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देश के पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के बारे में यह बात आम थी कि स्वम के मूत्र का सेवन करते थे. ना केवल मोरारजी खुद ऐसा करते थे बल्कि अपने मित्रों को भी ऐसी सलाह देने से नहीं चूकते थे. ऐसे ही एक वाकये का जिक्र NCP सुप्रीमों शरद पंवार ने उनकी आत्मकथा 'अपनी शर्तो पर' में किया है.
देश के पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के बारे में यह बात आम थी कि वे स्वयं के मूत्र का सेवन करते थे. ना केवल मोरारजी खुद ऐसा करते थे बल्कि अपने मित्रों को भी ऐसी सलाह देने से नहीं चूकते थे. ऐसे ही एक वाकये का जिक्र NCP सुप्रीमों शरद पंवार ने उनकी आत्मकथा 'अपनी शर्तो पर' में किया है.
जब मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री थे तब शरद पंवार पीडीएफ सरकार के महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री थे. मोरारजी की जनता पार्टी का शरद पंवार की सरकार को समर्थन था. मोरारजी जब मुंबई जाते थे तो शरद पंवार हर बार उन्हें लेने के लिए हवाई अड्डे तक पहुंचते थे.
प्रधानमंत्री बनने के बाद मोरारजी ने पूरे देश में शराबबंदी को लागू किया लेकिन महाराष्ट्र में शरद पंवार ने इस मामले में थोड़ी ढील दे दी. इस बात को लेकर प्रधानमंत्री मोरारजी शरद पंवार से नाराज हो गए.
जब अगली बार मोरारजी मुंबई गए तो शरद पंवार उन्हें लेने हवाई अड्डे पर पहुंचे और मोरारजी को कार में लेकर रवाना हो गए. मोरारजी ने कार में तुरंत ही शरद पंवार द्वारा शराबबंदी में ढील दिए जाने पर अपनी असहमति व्यक्त कर दी.
शरद पंवार किताब में लिखते है कि मोरारजी पक्के गाँधीवादी थे और किसी भी बात पर उनकी असहमति को सहमति में बदलना बहुत कठिन था. शराबबंदी पर कार में बैठे-बैठे ही दोनों में बात छिड़ गई और शरद पंवार ने उसके पक्ष में तर्क दिए लेकिन मोरारजी अपनी बात पर दृढ थे.
बात करते वक्त ही शरद पंवार का हाथ उनकी छाती पर बांए तरफ गया. यह देखकर मोरारजी ने तुरंत शरद पंवार से पूछा कि-
'कुछ गड़बड़ है ?'
शरद पंवार ने खुद को संभालते हुए कहा कि बस सीने में थोड़ा सा दर्द है. इस बात पर मोरारजी काफी चिंतित हो गए और कहा कि इसे हल्के में मत लो. थोड़ी ज्यादा चिंता करते हुए मोरारजी ने शरद पंवार को शिवाम्बु थेरैपी की सलाह दे डाली. शिवाम्बु का मतलब अपना मूत्र सेवन करने वाली थेरैपी है.
मोरारजी यहीं नहीं रुके उन्होंने आगे स्वम् के मूत्र सेवन के बहुत से फायदे शरद पंवार को बता दिए और अगले आधे घंटे तक दोनों नेताओं में इसी बात पर चर्चा होती रही साथ ही शरद पंवार को शराबबंदी पर उनके द्वारा दी गई ढील पर तर्क देने से निजात मिल गई.
शरद पंवार अपनी किताब में स्वीकार करते है कि शिवाम्बु थेरैपी पर छिड़ी उस चर्चा से उन्हें काफी राहत महसूस हुई.
इसके बाद कुछ समय बाद मोरारजी फिर से मुंबई आए. शरद पंवार फिर से इस बात को लेकर चिंतित थे कि मोरारजी शराब वाले विषय पर ही उनसे बात करेंगे. लेकिन इस बार शरद पंवार भी पहले से हुशियार हो गए.
जैसे ही मोरारजी मुंबई पहुंचे एक बार फिर उन्होंने शरद पंवार से शिवाम्बु थेरैपी के बारे में ही बात शुरू कर दी. हुशियारी दिखते हुए शरद पंवार ने कहा कि-
'मोरारजी भाई आपके द्वारा बताई गई शिवाम्बु चिकित्सा थेरैपी का प्रायोड मैंने शुरू कर दिया है जिसके बाद मैं अब काफी स्वस्थ्य हूँ'
यह सुनकर मोरारजी काफी खुश हुए और एक बार फिर आधे घंटे तक स्वम् के मूत्र सेवन पर दोनों नेताओं के बीच चर्चा चलती रही और फिर से शराब के मुद्दे पर शरद पंवार तर्क देने से बच गए.