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"महादेव सिंह खंडेला कई बार विधायक और लोकसभा क्षेत्र से सांसद रहे हैं, लेकिन उन्होंने कभी विधानसभा या लोकसभा में मुद्दे ही नहीं उठाए, मैनेजमेंट से वे जीत जाते हैं"
रामदेवसिंह अपनी पत्नी सुशीला का जिक्र करते हुए बताते हैं कि उन्होंने विधायक महादेवसिंह की पत्नी को हराकर चुनाव जीता और बाद में भी लगातार जीत हासिल की
खंडेला | खंडेला विधानसभा क्षेत्र में इस बार बीजेपी से टिकट की चाह कई नेता रख रहे हैं। इनमें से हमारे स्टूडियो में आए सेवानिवृत्त आईपीएस डॉ. रामदेव सिंह खैरवा।
रामदेव सिंह हमसे मिलने के लिए थिंक 360 के स्टूडियो में आए और अपने अनुभव साझा किए और बताया कि वे किस विजन को लेकर राजनीति में सक्रिय हुए हैं।
खंडेला के प्रतापपुरा गांव के निवासी हैं रामदेवसिंह खैरवा और उन्होंने राजस्थान प्रशासनिक परीक्षा उत्तीर्ण करते हुए राजस्थान पुलिस सेवा में दशकों तक सेवाएं दी।
इसके बाद उनका चयन आईपीएस में हुआ और वे आईजी के पद से सेवानिवृत्त हुए। पुलिस विभाग में बेहतरीन काम के लिए इन्हें राष्ट्रपति पुलिस पदक भी दिया गया है।
रामदेवसिंह बताते हैं कि उन्होंने बीकानेर के पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय से उपाधि करने के बाद 10 वर्ष तक पशु चिकित्सक के तौर पर सेवाएं दी थी। साथ ही वे पशु चिकित्सा, कला, पत्रकारिता की छह डिग्री ले चुके हैं। पढ़ाई के दौरान वे बीकानेर में अपने कॉलेज में छात्रसंघ के महासचिव भी रह चुके हैं।
आरपीएससी से आरपीएस में चयन के बाद रामदेव सिंह लम्बे समय तक पुलिस विभाग में रहे और अब सेवानिवृत्ति के बाद खंडेला से बीजेपी का टिकट मांग रहे हैं सिंह। इनकी पत्नी श्रीमती सुशीला पूर्व में जिला परिषद और पंचायतराज की सदस्य रह चुकी हैं।
बीजेपी से जुड़ाव के सवाल पर रामदेवसिंह कहते हैं कि वे नरेन्द्र मोदी से प्रभावित हैं और कांग्रेस को वंशवाद पर आधारित पार्टी मानते हैं।
उनका कहना है कि खंडेला में पेयजल की समस्या एक बड़ी दिक्कत है और फ्लोराइड की अधिकता से गांव के गांव बर्बाद हो रहे हैं। रामदेव सिंह खैरवा का कहना है कि तकनीकी शिक्षा और उच्च शिक्षा के संस्थान होने के कारण और युवाओं के लिए रोजगार के स्थानीय अवसर नहीं होने से क्षेत्र का विकास बुरी तरह प्रभावित हुआ है।
वे कहते हैं कि यहां का गोटा उद्योग दुनिया में प्रसिद्ध था जो स्थानीय नेताओं की अकर्मण्यता के कारण बर्बाद हो गया।
परिवारवाद की राजनीति खराब है
रामदेवसिंह बताते हैं कि राजनीति में जो पहले राजनीति थी थोड़ी संजीदा थी। आज की राजनीति थोड़ी परिवारवाद से बर्बाद हो रही है।
वे कहते हैं कि यहां पहले गोटा उद्योग हुआ करता था। खंडेला कस्बे के लिए बहुत काम का था, लेकिन नेताओं की अकर्मण्यता के करण जो ट्रेडिशनल गोटा उद्योग था वो मौजूदा कंपटीशन में नहीं टिक पाया।
अतः धीरे-धीरे उद्योग बंद हो गया। मौजूदा राजनीति पर वे कहते हैं कि लोगों के पास धन बहुत आया है, ऐसे में अलग—अलग पेशे के लोग राजनीति में आ गए। अच्छे लोगों की जरूरत है।
किसान मतदाताओं पर नजर
रामदेव सिंह पूरे संवाद में अपने किसान परिवार से होने का जिक्र करते हैं और जातीय वोटों पर पकड़ की बात दोहराते भी हैं। वे कहते हैं कि मैं गांव की स्कूल में पढ़ा और गांव के पास ही पहली नौकरी चिकित्सक के तौर पर की।
डिग्रियों में मैं स्वर्ण पदक विजेता रहा हूं। वे कहते हैं कि पहली पोस्टिंग बाड़मेर हुई, लेकिन वहां अधिक समय नहीं रहा। खंडेला लौट आया, यहां नौकरी करते हुए अंग्रेजी साहित्य पढ़कर आरपीएससी दी तो आरपीएस बन गए।
बीकानेर कॉलेज प्रोफेशनल डिग्री का कॉलेज था, वहां महासचिव बने रामदेवसिंह बताते हैं कि राजनीति से पहला परिचय वह था। गांव से जुड़ा होने के कारण यह ठीक से पता है कि किसानों—पशुपालकों की समस्याएं क्या है और उन पर काम कैसे करना है।
पत्नी रहीं पंचायतराज में सक्रिय
रामदेवसिंह अपनी पत्नी सुशीला का जिक्र करते हुए बताते हैं कि उन्होंने विधायक महादेवसिंह की पत्नी को हराकर चुनाव जीता और बाद में भी लगातार जीत हासिल की। वे कई समितियों में भी सदस्य रही हैं। भाई सरपंच रहे, उनकी धर्मपत्नी भी पंचायत समिति व जिला परिषद मेंबर रहीं।
वे कहते हैं कि मौजूदा विधायक महादेवसिंह एक बड़ा नाम है, लेकिन अब उम्रदराज हो चले हैं। वे कोशिश कर रहे हैं कि उनका बेटा सेट हो। रामदेवसिंह आरोप लगाते हैं कि महादेव सिंह खंडेला कई बार विधायक और लोकसभा क्षेत्र से सांसद रहे हैं, लेकिन उन्होंने कभी विधानसभा या लोकसभा में मुद्दे ही नहीं उठाए। उनका कहना है कि त्रिकोणीय या चतुष्कोणीय मैनेजमेंट से वे जीत जाते हैं।