Jaipur: जयपुर की गोभी-पालक में कैंसर-किडनी खराब करने वाले केमिकल: ग्राउंड रिपोर्ट

जयपुर की गोभी-पालक में कैंसर-किडनी खराब करने वाले केमिकल: ग्राउंड रिपोर्ट
जयपुर की सब्जी में कैंसर-किडनी केमिकल
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Highlights

  • जयपुर के आसपास दर्जनों गांवों में फैक्ट्रियों के गंदे पानी से उग रही हैं सब्जियां।
  • गोभी और पालक जैसी सब्जियों में मिल रहे हैं कैंसर और किडनी खराब करने वाले हेवी मेटल।
  • किसान खुलेआम पंप लगाकर नालों से केमिकल युक्त पानी खेतों तक पहुंचा रहे हैं।
  • साफ पानी से खेती करने पर सब्जियां महंगी होने की बात कह रहे हैं किसान।

जयपुर: जयपुर (Jaipur) के आसपास दर्जनों गांवों में फैक्ट्रियों से निकलने वाले केमिकल युक्त गंदे पानी से सब्जियां उगाई जा रही हैं। भास्कर (Bhaskar) की ग्राउंड रिपोर्ट (Ground Report) में सामने आया कि पंप लगाकर खेतों तक यह खतरनाक पानी पहुंचाया जा रहा है, जिससे गोभी (Cauliflower) और पालक (Spinach) जैसी सब्जियों में कैंसर (Cancer) और किडनी (Kidney) खराब करने वाले हेवी मेटल (Heavy Metals) मिल रहे हैं।

खतरनाक केमिकल से उगाई जा रही हैं सब्जियां

पालक और गोभी जैसी सब्जियां जो आमतौर पर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती हैं और शरीर को मजबूत बनाती हैं, अब जानलेवा साबित हो सकती हैं। जयपुर के आसपास के दर्जनों गांवों में फैक्ट्रियों से निकलने वाले केमिकल युक्त गंदे पानी से इनकी सिंचाई की जा रही है।

यह पानी इन सब्जियों में कैंसर, किडनी और लीवर फेल करने वाले हेवी मेटल मिला रहा है। उच्च न्यायालय के कार्रवाई के आदेश के बावजूद यह अवैध गतिविधि खुलेआम जारी है।

भास्कर की तीन दिवसीय पड़ताल

हमारी टीम ने तीन दिनों तक इस गंभीर समस्या की पड़ताल की, जिसमें चौंकाने वाले खुलासे हुए। सांगानेर सदर से चंदवाजी तक 26 किलोमीटर लंबे नाले में बड़े-बड़े पंप लगाकर खेतों तक यह खतरनाक पानी पहुंचाया जा रहा है।

पहला दिन: खुलेआम केमिकल वाला पानी खेतों में

भास्कर टीम सबसे पहले सांगानेर सदर इलाके में पहुंची, जहां फैक्ट्रियों के पास एक नाला बहता दिखाई दिया। कुछ दूर चलने पर पता चला कि नालों में पंप लगे हुए थे, जिनका एक सिरा केमिकल में डूबा था और दूसरा जमीन पर गढ़ा हुआ था।

आसपास के लोगों से पूछने पर पता चला कि कुछ किसान खेती के लिए पंप चलाकर इसी केमिकल वाले पानी का इस्तेमाल कर रहे हैं। कुछ और दूर जाने पर पंपों की एक लंबी लाइन लगी हुई मिली।

हमारी टीम नाले के साथ-साथ करीब 10 किलोमीटर चलकर रिंग रोड पहुंची, जहां हालात और भी चौंकाने वाले थे। मुख्य सड़क पर खुले में पंप चलाकर नाले का केमिकल वाला पानी खेतों में पहुंचाया जा रहा था।

प्रत्येक पंप पर एक व्यक्ति चौकीदारी के लिए खड़ा था, जिसका काम पंप में डीजल डालना और कचरा साफ करना था। यह काम करने के बाद ये लोग अपने-अपने पंप के पास सो जाते या बैठकर बातें करने लगते।

दूसरा दिन: महिला किसान का चौंकाने वाला खुलासा

भास्कर रिपोर्टर ने खेत तक जाने की कोशिश की, लेकिन आसपास कई किलोमीटर तक खेतों में किसी ने अंदर नहीं जाने दिया। पूछने पर वे साफ पानी से खेती करने का दावा कर रहे थे।

आखिरकार, रिपोर्टर ने एक स्थानीय व्यक्ति को अपने साथ लिया, जो उन्हें एक खेत तक ले गया। उसने स्थानीय भाषा में खेत में मौजूद एक महिला किसान से बातचीत की।

महिला ने बताया कि जयपुर तो सांगानेर की कपड़ा फैक्ट्रियों से निकलने वाले गंदे पानी की ही सब्जी खा रहा है। उसने कहा कि अगर किसान साफ पानी से खेती करेगा, तो सब्जियां 200 रुपये प्रति किलो बेचनी पड़ेंगी।

महिला ने यह भी बताया कि गंदे पानी की खेती खराब तो है, लेकिन सालों से यही चल रहा है। अब तो इस जमीन को भी गंदे पानी की आदत पड़ गई है, और साफ पानी या बारिश का पानी आता है तो उससे खेती ही नहीं होती।

तीसरा दिन: सीधे नाले से खेत तक पाइपलाइन

हमारी टीम उस जगह को देखना चाहती थी, जहां से केमिकल का पानी नाले से पंप के माध्यम से खींचकर खेतों में फैलाया जाता है। तीसरे दिन एक खेत में सीधा पाइप मिला।

पाइप के चारों ओर देखने पर केमिकल और गंदे जले हुए प्लास्टिक के टुकड़े मिले। मौके पर किसी भी प्रकार का ट्रीटमेंट प्लांट नहीं मिला, जिससे स्पष्ट हुआ कि नाले से आने वाला गंदा पानी सीधे पौधों को दिया जा रहा था।

आपकी रसोई तक कैसे पहुंच रही है यह जहरीली सब्जी?

सांगानेर के इस इलाके में कपड़ा छपाई की सैकड़ों फैक्ट्रियां हैं, जिनमें कपड़े पर पेंटिंग, डाइंग, ब्लीचिंग और वॉशिंग का काम किया जाता है। इस काम के लिए रिएक्टिव डाई, डिस प्रेस डाई, वेट डाई और सल्फर डाई जैसे विभिन्न केमिकल का प्रयोग किया जाता है।

यह डाई पानी में आसानी से घुल जाती है और पानी को रंगीन बना देती हैं। कपड़े रंगने के बाद इस केमिकल वाले पानी को फैक्ट्री से बाहर सीधे नालों में छोड़ दिया जाता है।

यह गंदा पानी 26 किलोमीटर तक नाले में बहता हुआ चंदवाजी तक पहुंचता है। इस बीच में करीब 1 हजार से अधिक जनरेटर और छोटी पानी की मोटर लगाकर लोग 15 किलोमीटर तक भूमिगत पाइपलाइन बिछाकर यह केमिकल वाला पानी अपने खेतों में ले जाते हैं।

इसी गंदे पानी से सब्जियां उगाई जाती हैं, जो बाद में मुहाना मंडी, सांगानेर मंडी और हटवाड़े में बेची जाती हैं। वहां से ये सब्जियां आपकी रसोई तक पहुंच जाती हैं, जिससे आपके स्वास्थ्य पर गंभीर खतरा मंडराता है।

जमीन और भूजल पर गंभीर खतरा

विशेषज्ञों का कहना है कि केमिकल वाले पानी के लगातार उपयोग से मिट्टी का पीएच धीरे-धीरे बदल जाएगा। इससे मिट्टी की उपजाऊ क्षमता घटती चली जाएगी और वह अंततः बंजर हो सकती है।

अच्छी खेती के लिए आवश्यक केंचुए और माइक्रोब्स की बहुत जरूरत होती है, लेकिन बार-बार केमिकल के संपर्क में आने से ये मर जाएंगे। इसके अलावा, लगातार केमिकल वाले पानी के इस्तेमाल से भूजल भी खराब होता है, जो पीने के पानी के स्रोतों को दूषित कर रहा है।

इन गांवों में हो रही है केमिकल युक्त पानी से खेती

जयपुर में मंडरियावाला, कूकस, शिकारपुरा, बुआरिया खेतापुरा, सांगानेर, नेवटा, मुहाना, मदरामपुरा, चंदलाई में सबसे ज्यादा कपड़ा फैक्ट्रियां हैं। सांगानेर सदर से चंदलाई तक 26 किलोमीटर की दूरी में नारिया, मलवा, बुरारिया, खेतापुरा, वाटिका, नीमड़ी की ढाणी, सूरजपुरा, शिकारपुरा, मंडरियावाला, रातलिया सहित दर्जनों गांवों में लोग पंप लगाकर यह गंदा पानी खेतों तक पहुंचा रहे हैं।

राजस्थान के अन्य शहरों में भी यही हाल

यह समस्या केवल जयपुर तक ही सीमित नहीं है। जयपुर के अलावा, राजस्थान के जोधपुर, पाली, भिवाड़ी, भीलवाड़ा और बालोतरा में भी कई जगहों पर केमिकल युक्त पानी का इस्तेमाल खेती में किया जा रहा है। यह एक व्यापक पर्यावरणीय और स्वास्थ्य समस्या है, जिस पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है।

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