Highlights
- प्रेमानंद महाराज ने किडनी फेल होने को ईश्वर का वरदान बताया।
- उन्होंने कहा कि बीमारी ने उन्हें सच्चा समर्पण सिखाया।
- बाबा बागेश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने उनसे वृंदावन में मुलाकात की।
- महाराज ने हर जन्म में किडनी फेल होने की कामना की।
वृंदावन: वृंदावन (Vrindavan) के संत प्रेमानंद महाराज (Premanand Maharaj) ने अपनी किडनी (kidney) की बीमारी को ईश्वर के प्रति सच्चे समर्पण का मार्ग बताया है। हाल ही में बाबा बागेश्वर (Baba Bageshwar) धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री (Dhirendra Krishna Shastri) उनसे मिलने केली कुंज आश्रम (Keli Kunj Ashram) पहुंचे।
प्रेमानंद महाराज का भावुक बयान: हर जन्म में किडनी फेल होने की कामना
वृंदावन के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज लंबे समय से किडनी की गंभीर समस्या से जूझ रहे हैं, जिसने उनके लाखों अनुयायियों को चिंतित कर दिया है।
देश-विदेश में फैले उनके भक्तगण महाराज के स्वास्थ्य लाभ के लिए लगातार प्रार्थनाएं कर रहे हैं और उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना कर रहे हैं।
इसी बीच, महाराज का एक अत्यंत भावुक और चौंकाने वाला बयान सामने आया है, जिसने सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया है।
उन्होंने कहा है कि वे हर जन्म में अपनी किडनी फेल होने की कामना करते हैं, जो उनके आध्यात्मिक दृष्टिकोण को दर्शाता है।
महाराज ने स्पष्ट किया कि इस शारीरिक पीड़ा ने उन्हें ईश्वर के प्रति सच्चे और पूर्ण समर्पण का अद्भुत अनुभव कराया है।
यह बयान उनकी गहरी आस्था और जीवन के प्रति अद्वितीय समझ को उजागर करता है।
किडनी की बीमारी ने सिखाया सच्चा समर्पण और अहंकार का त्याग
प्रेमानंद महाराज ने अपने हृदयस्पर्शी वक्तव्य में कहा कि जब व्यक्ति ईश्वर का चिंतन करता है, तब जीवन की कोई भी प्रतिकूलता वास्तव में अनुकूल बन जाती है।
उन्होंने बताया कि उनकी किडनी की बीमारी ने उन्हें वह गहन आध्यात्मिक सत्य सिखाया, जो वर्षों की कठोर साधना भी नहीं सिखा सकी थी।
महाराज ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि जब शरीर ने साथ छोड़ना शुरू कर दिया, तब उन्हें भीतर से यह गहरा अहसास हुआ कि अब सब कुछ ईश्वर पर ही छोड़ देना चाहिए।
उनके इस मार्मिक और सत्य से भरे वक्तव्य ने लाखों भक्तों की आंखों में आंसू ला दिए और उन्हें भावुक कर दिया।
उन्होंने यह भी बताया कि जब उन्होंने पूर्ण रूप से समर्पण किया, तभी उनके भीतर का 'अभ्यास का अहंकार' समाप्त हुआ, जो आध्यात्मिक मार्ग में एक बड़ी बाधा होता है।
वही क्षण उनके जीवन का सच्चा मोड़ था, जिसने उन्हें ईश्वरीय कृपा और शांति का अनुभव कराया।
यह दर्शाता है कि वास्तविक भक्ति शारीरिक सुख-दुख से परे होती है और आत्मा की शुद्धता पर केंद्रित होती है।
बाबा बागेश्वर से मुलाकात: श्रद्धा और भावनाओं का संगम
हाल ही में, देश के प्रसिद्ध संत बाबा बागेश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री प्रेमानंद महाराज से मिलने वृंदावन के ऐतिहासिक केली कुंज आश्रम पहुंचे थे।
दोनों महान संतों की इस बहुप्रतीक्षित मुलाकात के दौरान, बाबा बागेश्वर ने प्रेमानंद महाराज से अत्यंत श्रद्धापूर्वक कहा, "आप बीमार नहीं हैं, यह तो आपकी लीला है।"
बाबा बागेश्वर के इन शब्दों को सुनकर प्रेमानंद महाराज जोर से हँस पड़े, जिससे आश्रम का वातावरण और भी दिव्य और आनंदमय हो गया।
इस विशेष मुलाकात के दौरान पूरा माहौल श्रद्धा, प्रेम और गहरी भावनाओं से भर गया, जिसने उपस्थित सभी भक्तों को अभिभूत कर दिया।
दोनों संतों की यह भेंट न केवल उनके अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण घटना थी, बल्कि इसने आध्यात्मिक जगत में भी एक सकारात्मक संदेश दिया।
इसने भक्तों को एक साथ आने और आध्यात्मिक विचारों का आदान-प्रदान करने का एक अनमोल अवसर प्रदान किया।
महाराज का संदेश: पीड़ा में भी ईश्वर की कृपा
प्रेमानंद महाराज के लाखों अनुयायी उनकी गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं को लेकर लगातार चिंतित हैं और उनके शीघ्र स्वस्थ होने की हार्दिक कामना कर रहे हैं।
हालांकि, महाराज ने अपनी शारीरिक पीड़ा को आध्यात्मिक उन्नति का माध्यम बनाकर एक अत्यंत गहरा और प्रेरणादायक संदेश दिया है।
उनका यह बयान भक्तों को सिखाता है कि जीवन की सबसे कठिन परिस्थितियों और शारीरिक कष्टों को भी ईश्वर के प्रति पूर्ण समर्पण और अटूट विश्वास के साथ स्वीकार किया जा सकता है।
यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि सच्ची भक्ति और ईश्वरीय प्रेम शारीरिक सुख-दुख की सीमाओं से परे होते हैं और आत्मा की आंतरिक शांति पर केंद्रित होते हैं।
प्रेमानंद महाराज का जीवन, उनकी शिक्षाएं और उनके विचार आज लाखों लोगों के लिए एक महान प्रेरणा स्रोत बने हुए हैं, जो उन्हें सही मार्ग दिखाते हैं।
उनकी वाणी में ऐसी शक्ति है, जो लोगों को जीवन की चुनौतियों का सामना करने के लिए आध्यात्मिक बल प्रदान करती है।