Highlights
- हाईकोर्ट ने हर जिले में समन्वय समिति बनाने के लिए सरकार को चार सप्ताह दिए।
- दोषी पुलिस अधिकारियों को निलंबित किया गया, अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू होगी।
- जोधपुर में पुलिस के लिए सॉफ्ट स्किल ट्रेनिंग आयोजित की गई।
- बार काउंसिल को वकीलों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम सुझाने को कहा।
जोधपुर: राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan High Court) ने जोधपुर (Jodhpur) के कुड़ी भगतासनी हाउसिंग बोर्ड थाने (Kudi Bhagtasani Housing Board Police Station) में वकील-पुलिस विवाद पर राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदमों को रिकॉर्ड पर लिया है। कोर्ट ने सरकार को सभी जिला स्तर पर समन्वय समितियों के गठन और दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की जानकारी देने के लिए चार सप्ताह की मोहलत दी है।
राजस्थान हाईकोर्ट ने हाल ही में जोधपुर के कुड़ी भगतासनी हाउसिंग बोर्ड थाने में वकीलों और पुलिस प्रशासन के बीच हुए विवाद को लेकर राज्य सरकार की ओर से उठाए गए कदमों को रिकॉर्ड पर लिया है। जस्टिस विनीत कुमार माथुर और जस्टिस आनंद शर्मा की खंडपीठ ने सोमवार को इस मामले में राज्य सरकार से चार सप्ताह में जवाब मांगा है।
सरकार को सभी जिला स्तर पर समन्वय समितियों (Coordination Committees) के गठन और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई का अपडेट देने के लिए कोर्ट ने चार सप्ताह की मोहलत दी है। यह मोहलत इसलिए दी गई है ताकि सरकार इस संवेदनशील मुद्दे पर ठोस प्रगति दिखा सके और न्यायपालिका को इसकी जानकारी दे सके।
दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई और समन्वय समितियों का गठन
राजस्थान हाईकोर्ट एडवोकेट्स एसोसिएशन (RHCAA) की ओर से दायर याचिका पर सोमवार को सुनवाई हुई। हाईकोर्ट ने अधिकारियों को निलंबित करने और सॉफ्ट स्किल ट्रेनिंग शुरू करने के लिए सरकार की प्रशंसा की है। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 28 जनवरी 2026 के लिए सूचीबद्ध की है, जो इस मामले की गंभीरता को दर्शाता है।
कोर्ट के समक्ष राज्य सरकार की ओर से प्रारंभिक जवाब दाखिल किया गया। इसमें बताया गया कि 2 दिसंबर को कोर्ट की ओर से जारी निर्देशों का पालन करने के लिए राज्य सरकार ने सभी संभव कदम उठाए हैं। यह दर्शाता है कि सरकार इस मामले की गंभीरता को समझ रही है और आवश्यक कार्रवाई कर रही है।
दोषी अधिकारियों का निलंबन और अनुशासनात्मक कार्रवाई
राज्य सरकार ने अपने जवाब में कहा कि दोषी अधिकारियों के खिलाफ निलंबन आदेश जारी किए जा चुके हैं और कानून के अनुसार उचित अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की जाएगी। यह कदम विवाद के मूल कारणों को संबोधित करने और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए महत्वपूर्ण है।
यह कार्रवाई पुलिस बल में जवाबदेही सुनिश्चित करने और जनता के साथ उनके व्यवहार को बेहतर बनाने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है। कोर्ट ने इस पहल की सराहना की है, जो न्यायपालिका की सक्रिय भूमिका और न्याय सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
पुलिस के लिए सॉफ्ट स्किल ट्रेनिंग
राज्य सरकार ने जवाब में स्पष्ट किया कि जहां तक 'सॉफ्ट स्किल एंड एटीट्यूड ट्रेनिंग' का सवाल है, जोधपुर जिले में यह प्रशिक्षण आयोजित किया जा चुका है। इस प्रशिक्षण का उद्देश्य पुलिसकर्मियों को जनता, विशेषकर कानूनी बिरादरी के साथ बेहतर ढंग से संवाद करने और तनावपूर्ण स्थितियों को संभालने में मदद करना है।
इसी तरह, राज्य के सभी जिला मुख्यालयों पर ऐसी घटनाओं से बचने के लिए 'सॉफ्ट स्किल एंड एटीट्यूड ट्रेनिंग' आयोजित करने के निर्देश जारी किए गए हैं। यह एक व्यापक दृष्टिकोण है जिसका लक्ष्य पूरे राज्य में पुलिस व्यवहार में सुधार लाना है और भविष्य में ऐसे विवादों को टालना है।
भविष्य के लिए पुलिस को निर्देश
एडिशनल एडवोकेट जनरल (AAG) ने कोर्ट के समक्ष पक्ष रखते हुए कहा कि सभी पुलिस अधिकारियों को उचित निर्देश जारी किए गए हैं कि भविष्य में ऐसी घटनाएं कभी न हों। उन्होंने जोर दिया कि इस प्रकार के मामलों से निपटने के दौरान उचित तंत्र अपनाया जाए, जिससे अनावश्यक विवादों से बचा जा सके और कानून व्यवस्था बनी रहे।
AAG ने यह भी बताया कि प्रत्येक जिले में 'समन्वय समितियों' के गठन का मामला उच्चतम स्तर पर विचाराधीन है और इसे शीघ्रता से तय किया जाएगा। इन समितियों का उद्देश्य वकील और पुलिस के बीच बेहतर तालमेल स्थापित करना और आपसी समझ को बढ़ावा देना है।
समन्वय समितियों का महत्व
AAG ने कोर्ट से हर जिले में 'समन्वय समितियों' के गठन के लिए राज्य को कुछ समय देने का अनुरोध किया। इन समितियों को कानूनी बिरादरी और प्रशासन के बीच एक सेतु के रूप में काम करना होगा, ताकि जोधपुर में हाल ही में हुई ऐसी घटना से बचा जा सके और दोनों पक्षों के बीच विश्वास का माहौल बन सके।
ये समितियां नियमित संवाद और समस्याओं के समाधान के लिए एक मंच प्रदान करेंगी, जिससे गलतफहमियों को दूर किया जा सकेगा और सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए जा सकेंगे। यह कदम दीर्घकालिक शांति और सहयोग के लिए महत्वपूर्ण है और न्याय प्रणाली की दक्षता को बढ़ाएगा।
बार काउंसिल को भी सुझाव देने का निर्देश
कोर्ट ने राज्य सरकार की तरफ से दाखिल प्रारंभिक जवाब को रिकॉर्ड पर लिया। कोर्ट ने राज्य सरकार को चार सप्ताह का समय दिया है कि वह दोषी अधिकारियों के खिलाफ शुरू की गई प्रस्तावित अनुशासनात्मक कार्रवाई और प्रत्येक जिले में 'समन्वय समितियों' के गठन की नवीनतम स्थिति पेश करें।
इसके साथ ही, कोर्ट ने बार काउंसिल और बार एसोसिएशन को भी वकीलों के प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने के लिए समान सुझाव लेकर आने को कहा है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि जोधपुर में हुई घटना राजस्थान राज्य में कहीं भी न दोहराई जाए और समुदाय के बड़े लाभ के लिए वकील भी अपनी भूमिका समझें और पेशेवर आचरण बनाए रखें।
सुनवाई में शामिल पक्षकार और वकील
याचिकाकर्ता एडवोकेट्स एसोसिएशन की ओर से सीनियर एडवोकेट आनंद पुरोहित (एडवोकेट सुनील पुरोहित की सहायता से), सीनियर एडवोकेट सचिन सारस्वत, एडवोकेट सुशील बिश्नोई, शुभम मोदी, मनीष टाक, अनिता गहलोत, दीपिका सोनी, राजेश परिहार, रतनाराम ठोलिया, क्षमा पुरोहित, दीनदयाल पुरोहित, राकेश कल्ला और जसराज सिंह ने पेश होकर तर्क दिया।
प्रतिवादी राजस्थान राज्य की ओर से AAG बीएल भाटी, डॉ. प्रवीण खंडेलवाल के लिए एडवोकेट दीपक चांडक, AAG एनएस राजपुरोहित, AAG महावीर बिश्नोई (एडवोकेट हर्षवर्धन सिंह की सहायता से), AAG राजेश पंवार (एडवोकेट आयुष गहलोत की सहायता से), एडवोकेट मोनल चुग, राकेश शर्मा और मीनल सिंघवी ने पेश होकर तर्क दिया। यह दर्शाता है कि इस मामले में कई वरिष्ठ वकीलों और कानूनी विशेषज्ञों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है, जो इसकी गंभीरता को और बढ़ा देता है।
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