देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज नई संसद भावन का शिलान्यास कर उसे देश को समर्पित कर दिया है. देश में चर्चा संसद भवन पर न होकर संसद भवन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा रखे गए सेंगोल यानि की राजदंड पर ज्यादा है.
जब इस सेंगोल को लेकर जानकारी सामने आई तो लोगो की जिज्ञासाए भी रुकने का नाम नहीं ले रही है. लोग तरह तरह से इंटरनेट पर इस सेंगोल के बारे में सर्च कर रहे है.
आज आपको सेंगोल यानि की राजदंड का एक किस्सा बतायेंगे तमिलनाडु की सियासत से जिसका जिक्र तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता पर लिखी किताब में मिलता है. जो राजदंड संसद भवन में स्थापित किया गया है, उसका कनेक्शन भी तमिलनाडु के ही एक मठ से है और जयललिता पर लिखी गई ये किताब भी इस बात को ज्यादा पुख्ता करती है कि देश में भले ही वर्तमान सरकार राजदंड की परम्परा को फिर से जीवित करने का दावा कर रही है लेकिन तमिलनाडु की सियासत की कुछ घटनाओ से राजदंड की मौजूदगी इससे पहले भी देखी गई थी.
कहानी यहां से शुरू होती है
कहानी जयललिता और MGR की है.MGR यानि की एम गोपालन रामचंद्रन जिन्हे जमाना MGR के नाम से पहचानता है. तमिल इंडस्ट्री के सुपरस्टार और तीन बार के मुख्यमंत्री जिनकी छाया में ही जयललिता ने अपने फ़िल्मी करियर से लेकर राजनीतिक करियर की बुलंदियों को छुआ. वैसे तो इन दोनों की कहानी पर कहने के लिए न जाने कितने ही किस्से है लेकिन हम फ़िलहाल उस घटना का ही जिक्र करेंगे जो एक सेंगोल के इर्द गिर्द घूमती है.

बात अक्टुंबर 1984 की है जब MGR की तबियत अचानक से खराब हो गई. पता चला कि MGR की किडनी ने काम करना बंद कर दिया है. इलाज के लिए MGR को अमरीका जाना पड़ा. और लम्बे समय तक उन्हें इलाज के लिए वही रुकना पड़ गया. MGR की गैरमौजूदगी में AIADMK के कुछ नेताओं ने जयललिता को निपटाने का एक प्लान तैयार कर लिया. और इस पूरे काम को अंजाम दे रहे थे MGR के सबसे भरोषेमंद साथियों में से एक एवी मयप्पन.
ना केवल AVM बल्कि MGR की पत्नी जानकी रामचंद्रन भी जयललिता को पसंद नहीं करती थी लिहाजा MGR की गैरमौजूदगी में AIADMK में कुछ ऐसी घटनाए हुई जो जयललिता को ठेस पहुंचाने वाली थी.
MGR की सदारत में जयललिता लगातार AIADMK में प्रभावी होती जा रही थी. और पार्टी की स्ट्रेटजी बनाने के आलावा वे प्रोपेगैंडा सचिव का काम भी संभालती थी.
MGR अमरीका थे और पीछे से हो गया खेल
उसी वक्त जयललिता राजसभा से लौट रही थी कि उन्हें पता चला दिल्ली के तमिलनाडु हाउस में उनकी एन्ट्री को बेन कर दिया गया है. खबर सुनते ही जयललिता को ये बात समझते देर नहीं लगी कि उसके पीछे से क्या खेल चल रहा है. आनन फानन में जयललिता ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस दिल्ली में बुला दी और कहा कि MGR अभी मानसिक रूप से अस्वस्थ है और इसी बात का फायदा उठाकर पार्टी के लोग उनके खिलाफ इस तरह की साजिशे कर रहे है. जयललिता आगे बोलती है कि पार्टी के लोग उस पार्टी को दूषित कर रहे है जिसे मैंने और MGR ने मिलकर खड़ा किया है.
लेकिन जयललिता का ये दांव उनके लिए उल्टा पड़ गया और बात फ़ैल गई कि MGR के बीमार होने का फ़ायदा उठाकर जयललिता मुख्यमंत्री बनना चाहती है.
इस तरह की बातों में नमक मिर्च लगाकर अब एमजीआर के कान भी भरे जाने लगे. MGR को बताया गया कि जयललिता ने उन्हें मानसिक रूप से बीमार कहा है और ये ऐलान किया है कि AIADMK सिर्फ एक व्यक्ति की पार्टी नहीं है. लिहाजा जब MGR इलाज के बाद भारत लौटे तो उन्होंने जयललिता से पूरी तरह दूरी बना ली.
MGR जयललिता से दूर रहने लगे
MGR जो हमेशा से ही राजनीतिक मामलो में मीडिया से दूरी बनाकर रखते थे और पार्टी के दूसरे नेताओ को भी मीडिया से दूर रहने की सलाह देते थे ऐसे में जयललिता ने दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाकर MGR के उस हुक्म की तालीम ठीक से नहीं की जो उन्होंने अपनी पार्टी के नेताओ को दे रखा था.
अब जयललिता न तो पार्टी के किसी पद पर थी और न ही MGR उन्हें कोई तरजीह दे रहे थे लिहाजा जब निकाय चुनाव हुए तो जयललिता को उसमे प्रचार करने की अनुमति नहीं दी. जब रिजल्ट आया तो AIADMK की परफॉर्मेंस चिंताजनक थी.MGR सहित पार्टी के दूसरे नेताओ को भी ये समझ में आ गया था कि धरातल पर चुनाव जीतने के लिए जयललिता की मौजूदगी बहुत जरूरी है. पार्टी के खिसकते जनाधार की चिंता एमजीआर को भी सताने लगी.

तभी MGR जापान से एक थेरैपी करवाकर इंडिया लौटे तो जयललिता की एक मुलाकात MGR से हो जाती है इस मुलाक़ात में दोनो के रिश्तो में जमी बर्फ थोड़ी पिघलती है. तभी MGR पार्टी को मदुरै में क्लबों का एक बड़ा सम्मलेन आयोजित करने को कहा. इससे पहले जयललिता की पार्टी में वासपी होती है. उन्हें फिर से सचिव का पद दिया जाता है.
सुलह हुई तो जयललिता ने दिया MGR को राजदंड
जब मदुरै में वो समेल्लन आयोजित हुआ तो MGR अपनी पत्नी जानकी रामचंद्रन और जयललिता दोनों साथ लेकर पहुंचे. जानकी रामचंद्रन इसके खिलाफ थी लेकिन पार्टी में एकजुटता का सन्देश देने के लिए MGR को यह कदम उठाना पड़ा.
जयललिता के जीवन पर लिखी गई किताब जयललिताज जर्नी फ्रॉम मूवी स्टार टू पोलिटिकल क़्वीन में इसी क्लब सम्मलेन के हवाले से एक सेंगोल यानि की राजदंड का जिक्र मिलता है.
किताब के पेज नंबर 51 पर लिखा है कि जब MGR जयललिता के साथ उस क्लब सम्मलेन में पहुंचे तो जयललिता अब उत्साह से भरी हुई थी. प्रशंसकों के एक बड़े जुलुस को उन्होंने ही झगड़ा दिखाया. जयललिता के सम्बोधन का क्रम एमजीआर से ठीक पहले का था. मंच पर जयललिता ने MGR को छह फिट लम्बा चांदी का एक राजदंड सौपा जिस पर सोने की कलाई चढ़ी थी. इसके बाद जयललिता पेर छूकर एमजीआर से आशीर्वाद लेती है. और उनके इस व्यव्हार का दर्शको ने दिल खोलकर स्वागत किया.

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