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अगर कांग्रेस सरकार रिपीट होती है तो पायलट को बैलेंस करने के लिए सीएम गहलोत ने जाट नेताओं को काफी मजबूती से खड़ा किया हुआ है।
जयपुर । राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot ) का एक बयान इन दिनों खासा चर्चा का विषय बना हुआ है।
इस बयान को सीएम गहलोत अपने मंच से दूसरी बार दोहरा रहे हैं।
गहलोत साहब कहते हैं कि मैं सीएम पद को तो छोड़ना चाहता हूं, लेकिन ये पद है कि मुझे छोड़ना नहीं चाहता है।
मुख्यमंत्री गहलोत जिस तरह राजनीति के एक बड़े खिलाडी माने जाते हैं तो उनके इस बयान के कोई मायने न हो, ऐसा तो हो ही नहीं सकता।
अशोक गहलोत (Ashok Gehlot ) भी इस बात को मानते हैं कि राजनीति में जो भी वो बोलते हैं बहुत सोच समझकर बोलते हैं।
अब सीएम साहब के इस बयान के राजनीतिक पंडित अलग-अलग मायने निकाल रहे हैं।
इनमें कुछ का मानना है कि गहलोत एक सन्देश देना चाहते हैं जो आलाकमान के लिए हो सकता है, पायलट कैंप के लिए हो सकता है या फिर ये कहे कि अपने ही पाले के नेताओं के लिए भी हो सकता है।
राजनीतिक सूत्रों की माने तो अशोक गहलोत का ये मैसेज सचिन पायलट (Sachin Pilot )को लेकर हो सकता है, क्योंकि अशोक गहलोत कभी भी सचिन पायलट को आगे नहीं आने देना चाहते हैं।
भले ही ऊपरी तौर पर देखने में लगता हो कि गहलोत और पायलट की सुलह हो गई हो, लेकिन असल में ऐसा नहीं लगता।
दोनों ही नेता अपनी राजनीतिक चाल को आगे बढ़ाते दिख रहे हैं और ऐसा माना जा रहा है कि अशोक गहलोत अपनी राजनीतिक चाल में कामयाब भी होते नज़र आ रहे हैं।
क्योंकि आने वाले समय में अगर कांग्रेस सरकार रिपीट होती है तो पायलट को बैलेंस करने के लिए सीएम गहलोत ने जाट नेताओं को काफी मजबूती से खड़ा किया हुआ है।
जिसमें सबसे पहले नंबर पर गहलोत के खास माने जाने वाले पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा (Govind Singh Dotasara ) हैं, रामेश्वर डूडी, हरीश चौधरी, लाल चंद्र कटारिया, रामलाल जाट भी इस खेमे में खड़े दिख रहे हैं।
गहलोत साहब खुद अपने खेमे के नेताओं को उनकी वरिष्ठता का फायदा उठाने का सन्देश हमेशा से देते आ रहे हैं।
क्योंकि गहलोत खेमे के जितने भी नेता हैं वो सचिन पायलट से काफी सीनियर नेता हैं इसलिए गहलोत ने सचिन पायलट को बैलेंस करने के लिए उनके सामने जाट नेताओं की पूरी एक फौज पहले ही खड़ी कर रखी है।