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अदालती आदेशों की अवहेलना की जिम्मेदारी से ये अधिकारी बच नहीं सकते
हाईकोर्ट की वृहदपीठ की ओर से दिए गए आदेश का हवाला देकर उनकी पालना पर जोर दिया
जयपुर | हाईकोर्ट ने मास्टर प्लान (Master plan) मामले में 2017 के आदेश के विपरीत बहुमंजिला इमारतों (multi-storey buildings) के निर्माण पर नाराजगी जताई है। कोर्ट ने आदेश की अवहेलना के लिए मुख्य सचिव, गृह और नगरीय विकास विभाग के सचिवों को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि वे अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकते।
उधर, हाईकोर्ट (Highcourt) प्रशासन ने बहुमंजिला इमारतों पर यथास्थिति बनाए रखने के लिए 15 मई के निर्देशों की पालना कराने के लिए आदेश की कॉपी नगरीय विकास विभाग (Urban Development Department), जयपुर विकास प्राधिकरण (Jaipur Development Authority) व जयपुर नगर निगम (Jaipur Municipal Corporation) को भेज दी है।
हाईकोर्ट ने 2017 में मास्टर प्लान मामले में जोन (Zone) तय किए बिना बहुमंजिला इमारतों के निर्माण की मंजूरी नहीं दिए जाने का आदेश दिया था, जिसकी अवहेलना कर बहुमंजिला इमारतों को मंजूरी दिए जाने पर न्यायाधीश (judge) गणेशराम मीणा ने बुधवार को स्वप्रेरणा (self motivation) से प्रसंज्ञान लिया था।
साथ ही, गांधीनगर व प्रदेश में 350 बहुमंजिला इमारतों को मंजूरी दिए जाने को लेकर गांधीनगर व अन्य संबंधित क्षेत्रों में बहुमंजिला इमारतों पर यथास्थिति (remain so) बनाए रखने का आदेश दिया।
कोर्ट ने मास्टर प्लान मामले में 2017 में दिए गए निर्देशों की पालना नहीं होने के लिए मुख्य सचिव, गृह और नगरीय विकास विभाग के सचिवों सहित अन्य संबंधित अधिकारियों को स्पष्ट रूप से जिम्मेदार माना है। साथ ही, कहा कि अदालती आदेशों (court orders) की अवहेलना की जिम्मेदारी से ये अधिकारी बच नहीं सकते।
डार्कजोन, हरियाली व वन्य प्राणियों को लेकर भी चिंता जताई
कोर्ट ने बहुमंजिला इमारतों को लेकर स्वप्रेरणा से दर्ज जनहित याचिका में डार्कजोन (darkzone), हरियाली व वन्य प्राणियों को लेकर गहरी चिंता जताई है। साथ ही, मास्टर प्लान मामले में हाईकोर्ट (Highcourt) की ओर से 2017 में दिए गए आदेश व उसके बाद इसी मामले में हाईकोर्ट की वृहदपीठ की ओर से दिए गए आदेश का संकेत देकर उनकी पालना पर जोर दिया।
यह है जमीनी हकीकत
डॉर्कजोन– केवल जयपुर का गांधीनगर ही नहीं, लगभग पूरा प्रदेश भूजल स्तर बहुत अधिक गिरने के कारण डार्कजोन में है।
हरियाली– प्रदेश के शहरी क्षेत्रों में लिसोडा, महुआ, जामुन, नीम, पीपल और बरगद जैसे वर्षों तक हरे-भरे रहने वाले स्थानीय प्रजाति के पेड कम हो रहे हैं। इन पेड़ों से स्थानीय पक्षियों व कीटों को भी भोजन मिलता है, जिससे जलवायु (climate) को भी लाभ होता है।
वन्य जीव– कंक्रीट के जंगल बढ़ने और पानी के स्रोत कम होने से वन्य जीवों के शहरी क्षेत्रों में प्रवेश की घटनाएं बढ़ रही हैं।