Highlights
- जोड़ली गांव में डूंगरी बांध के विरोध में किसानों की महापंचायत हुई।
- किसानों ने बांध निर्माण रद्द करने के लिए आर-पार की लड़ाई की चेतावनी दी और सरकार को दस दिन का अल्टीमेटम दिया।
- सरकार ने स्पष्ट किया कि डूंगरी बांध से 72 नहीं, बल्कि केवल 16 गांव ही प्रभावित होंगे।
- प्रभावित 16 गांवों में से 9 गांव 70-100% प्रभावित होंगे, जिनके पुनर्वास की योजना तैयार है।
सवाईमाधोपुर: डूंगरी बांध (Doongri Dam) के विरोध में जोड़ली गांव में महापंचायत हुई। किसानों ने आर-पार की लड़ाई व दस दिन के अल्टीमेटम की चेतावनी दी। सरकार ने स्पष्ट किया कि बांध से 16 गांव ही प्रभावित होंगे, 72 नहीं।
राम जल सेतु लिंक परियोजना (संशोधित पीकेसी-ईआरसीपी) के तहत बनने वाले इस डूंगरी बांध के विरोध में शुक्रवार को जोड़ली गांव में किसानों और ग्रामीणों की एक विशाल महापंचायत हुई। वक्ताओं ने बांध निर्माण रद्द करने के लिए आर-पार की लड़ाई की चेतावनी दी और सरकार को दस दिन का अल्टीमेटम दिया।
सरकार ने स्पष्ट की स्थिति
सवाईमाधोपुर जिले में बढ़ते विरोध के बीच राजस्थान सरकार ने डूंगरी बांध से प्रभावित होने वाले गांवों की वास्तविक जानकारी साझा की। सचिवालय में जल संसाधन मंत्री सुरेश रावत, कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीणा और गृह राज्य मंत्री जवाहर सिंह बेढम ने प्रेसवार्ता कर परियोजना की जरूरत और प्रभावित गांवों की जानकारी दी।
16 गांव प्रभावित, पुनर्वास योजना तैयार
मंत्री किरोड़ीलाल मीणा ने बताया कि डूंगरी बांध बनने से कुल 16 गांव प्रभावित होंगे, जिनमें 4387 मकान शामिल हैं। उन्होंने कहा कि 2017 की सर्वे रिपोर्ट में अधिक गांव प्रभावित हो रहे थे, इसलिए भराव तल 230 मीटर से घटाकर 227.50 मीटर और भराव क्षमता 2100 मिलियन क्यूबिक मीटर (एमसीएम) से घटाकर 1588 एमसीएम की गई है।
मीणा ने बताया कि 16 में से केवल 9 गांव ही ऐसे हैं, जिनकी आबादी 70 से 100 प्रतिशत तक प्रभावित होगी। सरकार ने इन सभी प्रभावितों का पास ही पुनर्वास करने की योजना बना ली है।
'76 गांव का आंकड़ा सफेद झूठ', मंत्रियों का आरोप
तीनों मंत्रियों ने उन नेताओं पर निशाना साधा, जिन्हें जनता ने नकार दिया है। उन्होंने कहा कि ये राजनीतिक स्टंट के लिए किसानों को गुमराह कर रहे हैं और 76 गांव प्रभावित होने की झूठी अफवाह फैलाकर कानून व्यवस्था बिगाड़ने का प्रयास कर रहे हैं।
मंत्रियों ने किसानों से अपील की कि वे ऐसे नेताओं के बहकावे में न आएं और हिंसा पर उतारू न हों। उन्होंने कहा कि सरकार बातचीत के लिए हमेशा तैयार है। किसान प्रतिनिधिमंडल चाहे तो मंत्रियों और अफसरों से मिलकर परियोजना को समझ सकता है।
सर्वे रिपोर्ट में देरी का कारण
स्थानीय लोगों को पहले जानकारी न दिए जाने के सवाल पर किरोड़ीलाल मीणा ने स्पष्ट किया कि विस्तृत सर्वे रिपोर्ट दो दिन पहले ही आई है। उन्होंने कहा कि केवल फौरी तौर पर जानकारी नहीं दी जा सकती थी।
प्रभावित गांवों की सूची
- बनास नदी के किनारे: बढोलास, बाढ बिलोली, बिलोली नदी, भूरी पहाड़ी, तालेड़ा, भावपुर, डूंगरी, खिदरपुर जाडू
- मोरेल नदी के किनारे: सामोली, सांकडा, हाडोती, बडोडा
- सपोटरा नाले के किनारे: रूपपुरा, पदमपुरा, एकट और किराड़ी
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