जालोर हत्याकांड: निष्पक्ष जांच की मांग तेज: गणपतसिंह-टीकमसिंह हत्याकांड में SIT जांच की मांग

गणपतसिंह-टीकमसिंह हत्याकांड में SIT जांच की मांग
जालोर हत्याकांड: निष्पक्ष जांच की मांग तेज
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Highlights

  • मांडोली के गणपतसिंह हत्याकांड में 15 माह बाद भी आरोपी फरार।
  • आहोर के टीकमसिंह राजपुरोहित हत्याकांड को 5 साल पूरे, राजफाश नहीं।
  • राजपुरोहित सेवा संघ ने मुख्यमंत्री से एसआईटी गठन की मांग की।
  • पीड़ित परिवारों को न्याय दिलाने और दोषियों को सजा देने की अपील।

जालोर: जालोर (Jalore) जिले में गणपतसिंह मांडोली (Ganpatsingh Mandoli) और टीकमसिंह राजपुरोहित (Tikamsingh Rajpurohit) हत्याकांडों में ठोस प्रगति न होने से आक्रोश बढ़ रहा है। राजपुरोहित सेवा संघ जालोर (Rajpurohit Seva Sangh Jalore) ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर दोनों मामलों में विशेष जांच दल (SIT) गठित करने की मांग की है।

जालोर जिले में घटित दो बेहद गंभीर हत्याकांडों – मांडोली निवासी गणपतसिंह हत्याकांड और आहोर के टीकमसिंह राजपुरोहित हत्याकांड – की जांच में अपेक्षित प्रगति न होने से क्षेत्र में लगातार असंतोष बढ़ रहा है। इन दोनों मामलों में न्याय की धीमी गति ने पीड़ित परिवारों के साथ-साथ आमजन को भी निराश किया है।

दोहरे हत्याकांड में बढ़ता आक्रोश

राजपुरोहित सेवा संघ जालोर के जिला संयोजक भरतसिंह राजपुरोहित अगवरी ने मुख्यमंत्री को एक विस्तृत पत्र भेजकर इन दोनों प्रकरणों में विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने की मांग की है। पत्र में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि वर्षों बीत जाने के बाद भी इन मामलों में सत्य उजागर नहीं हो पाया है, जिससे पीड़ित परिवार आज भी न्याय से वंचित हैं। यह स्थिति कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े करती है और जनता का विश्वास कमजोर करती है।

गणपतसिंह हत्याकांड: 15 माह बाद भी न्याय की आस

पत्र में मांडोली गांव के गणपतसिंह की हत्या का विशेष रूप से उल्लेख किया गया है। इस निर्मम हत्याकांड को 15 महीने से अधिक का समय बीत चुका है, लेकिन पुलिस अभी तक आरोपियों को पकड़ने में नाकाम रही है। दिवंगत गणपतसिंह के छोटे-छोटे बच्चे और वृद्ध माताजी आज भी न्याय की प्रतीक्षा में हैं। इस मामले का खुलासा न हो पाना पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगाता है।

परिवार के सदस्यों का कहना है कि हर गुजरते दिन के साथ उनकी उम्मीदें कम होती जा रही हैं। वे चाहते हैं कि पुलिस इस मामले को गंभीरता से ले और जल्द से जल्द दोषियों को पकड़कर उन्हें सजा दिलाए। क्षेत्र के लोग भी इस घटना से स्तब्ध हैं और न्याय की मांग कर रहे हैं।

टीकमसिंह राजपुरोहित हत्याकांड: 5 साल से अधूरा न्याय

आहोर में टीकमसिंह राजपुरोहित की निर्मम हत्या को 10 दिसंबर 2020 को पांच वर्ष पूरे हो गए हैं। इतने लंबे समय के बावजूद भी इस घटना का अब तक राजफाश नहीं हो सका है। पत्र में बताया गया है कि टीकमसिंह की हत्या अभियोजन कार्य के दौरान हुई थी, जो इस अपराध की गंभीरता को और बढ़ा देता है। इतने बड़े और संवेदनशील अपराध के बावजूद मामले में अपेक्षित कार्रवाई न हो पाना चिंताजनक है।

टीकमसिंह के परिवार ने भी कई बार प्रशासन से न्याय की गुहार लगाई है, लेकिन उन्हें अभी तक कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला है। इस मामले की धीमी जांच से स्थानीय लोगों में गहरा असंतोष व्याप्त है। वे मानते हैं कि यदि ऐसे गंभीर मामलों में न्याय नहीं मिलेगा तो अपराधियों के हौसले बुलंद होंगे।

राजपुरोहित सेवा संघ की मुख्यमंत्री से अपील

ज्ञापन के अनुसार, दोनों मामलों में धीमी जांच और आरोपियों की गिरफ्तारी न होने से पूरे जिले में असंतोष की भावना बढ़ी है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने भी कई बार प्रशासन का ध्यान इस ओर आकर्षित किया है, लेकिन जांच की गति अभी भी बेहद धीमी बनी हुई है। यह स्थिति आमजन में सुरक्षा की भावना को प्रभावित कर रही है।

एसआईटी गठन की आवश्यकता

राजपुरोहित सेवा संघ ने मुख्यमंत्री से पुरजोर मांग की है कि दोनों हत्याकांडों की निष्पक्ष, पारदर्शी और त्वरित जांच सुनिश्चित करने के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का तत्काल गठन किया जाए। संघ का मानना है कि एसआईटी के गठन से ही इन मामलों में ठोस प्रगति हो सकेगी और दोषियों को कानून के शिकंजे में लाया जा सकेगा।

जनता में विश्वास बहाली की उम्मीद

संघ ने अपने पत्र के अंत में कहा है कि इन मामलों का समाधान न केवल न्याय व्यवस्था को मजबूत करेगा, बल्कि आमजन में सुरक्षा और विश्वास की भावना को भी बढ़ाएगा। न्याय मिलने से पीड़ित परिवारों को राहत मिलेगी और समाज में कानून का राज स्थापित होने का संदेश जाएगा। यह अत्यंत आवश्यक है कि प्रशासन इन गंभीर मामलों पर तुरंत ध्यान दे और न्याय सुनिश्चित करे।

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