हॉकी में धमाल: म्हारी छोरियां छोरों से कम हे के..., झाक गांव की बेटियां बढ़ रहीं आगे

म्हारी छोरियां छोरों से कम हे के..., झाक गांव की बेटियां बढ़ रहीं आगे
Jhak Hockey Team
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Highlights

दस साल पहले तक कभी हॉकी स्टिक तक नहीं पकड़ी हाथ में, अब लगातार आठ साल से जीत रहे ख़िताब

झाक में शिक्षक शिक्षक राजेंद्र सिंह मांडोली की मेहनत से निखर रहे हॉकी खिलाड़ी छात्रा वर्ग में लगातार 8 वीं बार तो छात्र वर्ग में छठी बार जीता ख़िताब

ग्रामीणों की ख़ुशी लगातार 8 वीं बार ख़िताब जीतने पर डीजे के साथ निकाला विजय ज़ुलूस

रामसीन | क्षेत्र के छोटे से गाँव झाक में स्थित राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय के बालक बालिकाओं ने हॉकी खेल में पिछले आठ वर्षों से एक अलग पहचान बना ली हैं।इस गाँव की बालिकाओं ने पहले कभी हॉकी खेल नहीं खेला था और कभी हॉकी स्टिक तक हाथ में नहीं पकड़ी थीं अब ज़िला स्तर पर छात्रा वर्ग में लगातार आठ वर्षों से तथा छात्र वर्ग में छठा खिताब जीत रहे हैं।इसकी वजह यहाँ 2012 में लगे शिक्षक राजेंद्र सिंह मांडोली की मेहनत है।

ये खिलाड़ियों को लगातार प्रेरित कर रहे हैं।और प्रशिक्षण दे रहे हैं इस बार भी 67 वीं ज़िला स्तरीय हॉकी खेलकूद प्रतियोगिता में बालिकाओं ने मांडोली को व बालको ने बूगाँव को हराकर जीत हासिल की।

हर साल राज्यस्तर पर भी जालोर से हॉकी में झाक से जाते हैं सर्वाधिक खिलाड़ी :-हॉकी में झाक ने पिछले आठ सालो में इतना बेहतर प्रदर्शन किया हैं कि उसको ज़िले कि कोई टीम हरा नहीं सकी है।

हर साल 12 से 15 छात्र छात्राओ का चयन राज्य स्तर के लिये होता है।इस बार छात्र करण सिंह,विष्णु कुमार,चंदन सिंह,कुंदन कुमार,भरत सिंह व महेंद्र सिंह का व छात्रा वर्ग में मफ़री कुमारी,नीतू कुमारी,भानुमति कंवर,पूजा कंवर,ललिता कुमारी ,कविता कंवर व सुहाना बानू राज्यस्तर पर भाग लेगी।

ग्रामीणों में ख़ुशी ,निकाला जुलूस:-ज़िला स्तरीय हॉकी प्रतियोगिता इस वर्ष तवाव में आयोजित हुई। छात्रा वर्ग में लगातार 8 वीं बार व छात्र वर्ग में छठी बार ख़िताब जीतने पर ग्रामीण ख़ुशी से झूम उठे.

प्रतियोगिता के समापन के बाद जैसे ही टीम गाँव में पहुँची तो ग्रामीण डीजे लेकर अपनी टीम और टीम प्रभारी व प्रशिक्षक राजेंद्र सिंह मांडोली का ज़ोर दार स्वागत किया एवं डीजे के साथ पूरे गांव में ख़ुशी से जुलूस निकालकर  शिक्षक राजेंद्र सिंह का आभार जताते हुए कहा कि जिस गाँव में बालिकाओं ने हॉकी देखी तक नहीं वहाँ की बालिकायें लगातार जीत रही है.

यह हमारे गांव के लिए गौरव कि बात हैं।शिक्षक की कड़ी मेहनत और लगन ने हमारे गांव का नाम रोशन किया हैं।

गाँव में हॉकी खेल को लेकर बिल्कुल उत्साह नहीं था.शुरुआत की तो एक भी छात्रा खेलने को लेकर तैयार नहीं हुई।:-यद्यपि गांव में 2008 से पहले बालक हॉकी खेलते थे परंतु उसके बाद हॉकी खेलना बच्चों ने बिल्कुल बंद कर दिया था और बालिकाओं ने तो कभी हॉकी पकड़ी भी नहीं थीं।

जब 2012 में अध्यापक राजेंद्र सिंह मांडोली की इस विद्यालय में प्रथम नियुक्ति हुई तो एक वर्ष के भीतर ही विद्यालय में हॉकी का खेल पुनः शुरू करवा दिया।यद्यपि लड़के तो खेलने के लिए तैयार हो गये.

परंतु न तो बालिकायें तैयार हुई और न ही अभिभावक हॉकी जैसे ख़तरनाक खेल को खेलने के लिए राज़ी हो रहे थे जैसे तैसे शिक्षक ने खेलों का विद्यार्थी जीवन में महत्व बताकर उनको व उनके अभिभावकों को हॉकी खेलने के लिये राजी कर लिया।

प्रतियोगिता से दो माह पहले करवाते है अभ्यास:विद्यालय का नया सत्र शुरू होने के बाद खेल मैदान में प्रतिदिन 2 घंटे तक खेल का अभ्यास करवाना शुरू कर देते हैं साथ ही बच्चों की पढ़ाई बाधित नहीं हो इसलिए विद्यालय समय बाद साम को बच्चों को अभ्यास करवाते हैं।

यद्यपि 10 साल बाद विद्यालय में पीटीआई के रूप में श्रीमती नीलम की नियुक्ति हो चुकी हैं परंतु उनका मेजर गेम एथलेटिक्स होने के कारण वोह एथलेटिक्स की तैयारी करवाती हैं और हॉकी की तैयारी अभी भी शिक्षक राजेंद्र सिंह मांडोली पर ही है और वह अपनी इस ज़िम्मेदारी पर खरे उतरे हैं.

गांव के युवाओं की बनी समिति माताजी युवा मंडल के माध्यम से खिलाड़ियों के लिए हर वर्ष निःशुल्क खेल सामग्री भी उपलब्ध करवाते हैं ताकि खिलाड़ियों को खेल सामग्री की कमी न हो।

11 साल पहले विद्यालय में मैंने कार्यग्रहण किया था तब हॉकी प्रतियोगिता में भाग लेने विद्यालय की टीम नहीं जाती थीं यद्यपि बालक तो फिर भी जैसे तैसे हॉकी खेलने को तैयार हो गये परंतु बालिकाये तो हॉकी को देखकर ही डर जाती थीं जैसे तैसे उनके अंदर से डर को ख़त्म किया और बालिकाओ को हॉकी खेलने के लिये तैयार किया और उनके अभिभावकों को भी मना लिया।

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