क्षत्राणी समागम में गूंजा संकल्प – संसद : संसद भवन में लगे मीरा की भव्य प्रतिमा

संसद भवन में लगे मीरा की भव्य प्रतिमा
Shakti Singh Bandikui
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Highlights

  • संसद भवन में मीरा बाई की प्रतिमा लगाने की सर्वसम्मति से मांग – क्षत्राणी समागम का मुख्य संकल्प।
  • मीरा बाईसा, हाड़ी रानी और बाला सती माता जी के त्याग, तपस्या और बलिदान को नमन – आयोजन का केंद्रीय संदेश।

  • युवा शक्ति संयोजन और क्षत्राणी ध्वजवाहकों का सामूहिक आव्हान – मातृशक्ति और सांस्कृतिक गौरव को राष्ट्रीय पटल पर लाने की पुकार।

  • नारी अस्मिता और सामाजिक एकजुटता का प्रतीक आयोजन – समागम ने भविष्य की पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का दीप जलाया।

जयपुर | कांस्टीट्यूशन क्लब सभागार, जयपुर में गुरुवार को आयोजित क्षत्राणी समागम इतिहास रच गया। सैकड़ों क्षत्राणियों की उपस्थिति में इस आयोजन ने न केवल मातृशक्ति की अदम्य परंपरा को जीवंत किया, बल्कि संसद भवन परिसर में मीरा बाई की भव्य प्रतिमा स्थापित करने की मांग भी पूरे दमखम के साथ उठाई।

युवा शक्ति संयोजन के तत्वावधान में आयोजित इस समागम में मुख्य ध्वजवाहक शक्ति सिंह बांदीकुई ने कहा कि –
“मीरा के अमर त्याग, भक्ति और आदर्श जीवन को राष्ट्रीय पटल पर लाना हमारा संकल्प है। संसद भवन में उनकी प्रतिमा स्थापित कर हम आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा का अमर स्रोत देंगे।”

मातृशक्ति को समर्पित आयोजन

यह आयोजन मीरा बाईसा, हाड़ी रानी सहल कंवर जी और बाला सती माता रूप कंवर बापजी की स्मृति को समर्पित रहा। यूनाइटेड ग्लोबल पीस फाउंडेशन के चेयरमैन मेघराज सिंह रॉयल ने कहा –
“यह संगम चेतना को जागृत करने वाला क्षण है, जहाँ मातृशक्ति का आदर्श स्वरूप प्रत्यक्ष अनुभव किया गया। बलिदान, त्याग और तपस्या की यह परंपरा समाज के लिए सदैव प्रेरणा का दीप प्रज्वलित करेगी।”

क्षत्राणी ध्वजवाहकों की हुंकार

कार्यक्रम में क्षत्राणी ध्वजवाहक कमोद राठौड़, सुनीता कंवर और सीमा कंवर खेड़ी ने आव्हान किया –
“आइए हम सब मिलकर माँ की उस अमर ऊर्जा को प्रणाम करें, जिन्होंने समाज और संस्कृति के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर किया।”

समागम में गूंजती हुंकार ने यह संदेश दिया कि मीरा केवल राजस्थान या राजपूत समाज की धरोहर नहीं, बल्कि भारत की महान सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान हैं। सर्वसम्मति से पारित प्रस्ताव में संसद भवन में मीरा बाई की प्रतिमा लगाने की मांग की गई।

बलिदान और तपस्या को किया नमन

कार्यक्रम में वक्ताओं ने बाला सती माता जी की दिव्य तपस्या को नमन किया, जिन्होंने आधी सदी तक अन्न-जल का त्याग कर केवल भक्ति और संयम को जीवन का आधार बनाया।

वहीं हाड़ी रानी सहल कंवर जी के अतुलनीय बलिदान को स्मरण करते हुए कहा गया कि –
“रणभूमि में विजय हेतु पति को अपना शीश समर्पित कर हाड़ी रानी ने इतिहास में त्याग और शौर्य की अनुपम मिसाल कायम की। उनके लिए धर्म जीवन से महान और सुहाग से ऊपर था।”

नारी अस्मिता और सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक

वक्ताओं ने यह भी कहा कि मीरा बाई ने नारी शक्ति, भक्ति और आत्मबल का ऐसा उदाहरण प्रस्तुत किया है, जो हर महिला के लिए मार्गदर्शन है। क्षत्राणी समाज का यह सामूहिक स्वर नारी अस्मिता, सांस्कृतिक गौरव और सामाजिक एकजुटता का प्रतीक है।

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