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धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री से जुड़े मामलों पर राजस्थान में प्रसिद्ध लेखक ब्लॉगर नीलू शेखावत की एक टिप्पणी
यह तो शुरुआत है शास्त्री जी! व्यूह रचना आरंभ हो चुकी है। आप बालक अभिमन्यु की तरह अति उत्साह की चपेट में मत आ जाइए क्योंकि आपके सामने बैठी लाखों की संख्या अभिमन्यु के चाचा-ताऊओं की तरह तालियां बजा-बजाकर आपको चक्रव्यूह के भीतर जाने की उत्तेजना तो दे देगी मगर बाहर निकलने के लिए इनकी ओर दृष्टी डालिए तो नदारद रहेगी।
भीड़ तभी तक आपकी है जब तक आपसे प्रसादी पा रही है, जिस दिन यह प्रसादी मिलनी बंद हो जाएगी यही भीड़ चिकने हाथ पीछे पोंछकर सूखे मुंह से गालियां देगी। इसलिए भीड़ के भरोसे शौर्य-गर्जना करने के बजाय समझदारी से लड़ाई लड़ने की तैयारी कर लीजिए।
क्योंकि आप 'तिलक-चोटी-प्रसिद्धि-उन्मूलन समिति' की हिट लिस्ट में आ चुके हैं। शिकार के लिए पैटर्न बहुत सिंपल है इसके बावजूद बहुत कम व्यक्ति बच पाए -
- आप अंध श्रद्धा फैला रहे हैं।
- आपने अवैध संपति एकत्र की।
- आप तांत्रिक हैं, काला जादू करते हैं।
- मुफ्त के पैसों से अय्याशी करते हैं
ये कुछ आक्षेप वैसे तो आपको जमींदोज करने के लिए काफी है,बशर्ते मीडिया धुआंधार तरीके से आपके पीछे पड़ जाए किंतु अगले दो एक साल तक मीडिया की पूंछ तो बंधी रहने वाली है क्योंकि खोपड़ी में अच्छी खासी कील ठुकी हुई है.
लेकिन भारत के कठोरतम कानूनों पर दृष्टि डाल लीजिएगा क्योंकि विरोधी पक्ष आरोप लगाकर कानून की शरण नहीं जाता,कानून पढ़कर आरोप तैयार करता है। एक संगीन आरोप आपकी प्रतीक्षा में है।
हमें मालूम है कि आपसे पहले कई लोग आपके देखते-देखते इस मक्कड़जाल में फंसे और आपने उन लोगों की खिल्ली भी खूब उड़ाई, इस बात से अनजान कि आपका अंजाम भी यही होगा।
खैर! जो हुआ सो हुआ,अब आपको भीड़ के आगे दंभ भरने के बजाय कुछ बातों पर ध्यान दे लेना चाहिए-
- सबसे पहले तो एक लीगल टीम अपॉइंट कीजिए जो आपको व आपकी संस्था को कानूनी त्रुटियों से अवगत करवा सके। भारत में कानून का शासन है,विरोधियों को कानून की मदद से काउंटर कीजिए, लफ्फाजी से नहीं।
- अपने अध्ययन-श्रवण में वर्तमान परिदृश्य को शामिल कीजिए। आपके पास समय नहीं तो ऐसे लोगों को अपने पास रखिए जो वैश्विक, राजनीतिक,सामाजिक,धार्मिक घटनाक्रमों पर नजर रख सके। जो वर्तमान परिदृश्य से अद्यतन हों। दुनिया आपके धाम जितनी ही नहीं है जहां सबकुछ आप निर्धारित करते हैं।
- भीड़ पर भरोसा करना बन्द कीजिए,यह किसी की नहीं हुई। आपके भक्तों की तादाद कितनी है,इससे कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि आपके विरोधी कितने हैं, उन पर ध्यान दीजिए। चमत्कार अपनी जगह है और रणनीतियां अपनी जगह।
- नेताओं के भरोसे तो अपनी भद्द बिल्कुल मत करवाइए।
- श्रद्धा अपने आप में एक अनमोल भाव है,उसका आदर कीजिए। लोगों को मूर्ख मत समझिए।
इतनी एहतियात के बाद भी आप तभी बच पाएंगे जब आपकी किस्मत अच्छी होगी। अन्यथा इस रडार पर आया हुआ विरला ही बच पाया। जिन हिंदुओं के बल पर आप गर्दन हिला-हिलाकर बयानबाजी कर रहे हैं, उन्हें आपके सलाखों के पीछे जाने के बाद खाक फर्क नहीं पड़ता कि आप कौन 'सास्त्रीजी' थे।
उन्हें प्रसाद चटाने आपका भाई कोई और आयेगा,आप ही की तरह लटके कर-करके आपकी हंसी उड़ाएगा और फिर वह भी आपकी राह आप तक आ पहुंचेगा। जयकारे बोलने वाली यही भीड़ लानत बरसाएगी और आप अफसोस के साथ बस इतना ही कह पाएंगे- "अगले जनम मोहे हिंदू न कीजे।"