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भाजपा जिला मीडिया प्रभारी रोहित खत्री ने बताया कि धनतेरस के शुभ अवसर पर मंत्री देवासी सुबह सारणेश्वर महादेव मंदिर में पूजा-अर्चना करेंगे, जिसके बाद भाजपा पदाधिकारी और कार्यकर्ता गोयली चौराहे से स्वागत जुलूस निकालते हुए पनिहारी गार्डन पहुंचेंगे।
सिरोही, 17 अक्टूबर। राजस्थान के जैसलमेर और जयपुर में आगजनी की दर्दनाक घटनाओं से जहां पूरा प्रदेश शोक में डूबा है, वहीं सिरोही में भाजपा की ओर से पंचायतीराज एवं ग्रामीण विकास राज्यमंत्री ओटाराम देवासी के जन्मदिन पर भव्य स्नेह मिलन समारोह आयोजित किया जा रहा है।
भाजपा जिला मीडिया प्रभारी रोहित खत्री ने बताया कि धनतेरस के शुभ अवसर पर मंत्री देवासी सुबह सारणेश्वर महादेव मंदिर में पूजा-अर्चना करेंगे, जिसके बाद भाजपा पदाधिकारी और कार्यकर्ता गोयली चौराहे से स्वागत जुलूस निकालते हुए पनिहारी गार्डन पहुंचेंगे।
यहां भजन सम्राट छोटूसिंह रावण अपनी प्रस्तुतियां देंगे, साथ ही साधु-संतों का सानिध्य भी रहेगा।
समारोह में कैबिनेट मंत्री जोगाराम पटेल, अविनाश गहलोत, जोराराम कुमावत, मुख्य सचेतक योगेश्वर गर्ग, सांसद लुम्बाराम चौधरी, पूर्व सांसद पुष्प जैन पटेल, सहित कई विधायक, प्रदेश पदाधिकारी और भाजपा कार्यकर्ता बड़ी संख्या में मौजूद रहेंगे।
सोशल मीडिया पर कांग्रेस और आम नागरिकों का विरोध
जहां भाजपा कार्यकर्ताओं में इस आयोजन को लेकर उत्साह दिख रहा है, वहीं सोशल मीडिया पर विपक्षी दलों और आम लोगों ने इस आयोजन पर कड़ी आपत्ति जताई है।
कांग्रेस और अन्य संगठनों से जुड़े यूज़र्स का कहना है कि
“जब प्रदेश के कई जिलों में आगजनी से लोग अपनी जान गंवा रहे हैं, तब सरकार के मंत्री का जन्मदिन इस तरह भव्य तरीके से मनाना असंवेदनशीलता की पराकाष्ठा है।”
वहीं, भाजपा समर्थकों का कहना है कि यह आयोजन पहले से तय था और इसमें धार्मिक अनुष्ठान भी शामिल हैं, इसलिए इसे राजनीति से जोड़ना उचित नहीं है।
दो तस्वीरें — एक राजस्थान
एक ओर जैसलमेर और जयपुर की आग से उठता धुआं अब भी रुक नहीं रहा,
दूसरी ओर सिरोही में मंत्री के जन्मदिन पर स्नेह मिलन और भजन संध्या का आयोजन —
इन दोनों तस्वीरों ने सोशल मीडिया पर बहस को और तेज़ कर दिया है।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि “सत्ता और संवेदना के बीच का अंतर अब जनता साफ़-साफ़ देख रही है।”
अब देखना यह होगा कि मंत्री देवासी इस आलोचना पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं,
लेकिन फिलहाल सोशल मीडिया पर सिरोही का यह आयोजन
राजस्थान की राजनीति में ‘संवेदनहीनता बनाम परंपरा’ की नई बहस खड़ी कर चुका है।