Jaipur Rajasthan: स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट: जांचों व रेफरेंस को 17KM दूर SMS अस्पताल

स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट: जांचों व रेफरेंस को 17KM दूर SMS अस्पताल
स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट: व्यवस्थाओं में 'कैंसर'
Ad

Highlights

  • मरीजों को सीटी स्कैन, एमआरआई, 2डी-ईको जैसी जांचों के लिए 17 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है।
  • कैंसर के अलावा अन्य बीमारियों के रेफरेंस के लिए भी एसएमएस अस्पताल जाना पड़ता है।
  • आरयूएचएस अस्पताल में कई सुविधाएं उपलब्ध होने के बावजूद मरीजों को दूर भेजा जा रहा है।
  • जांचों और रेफरेंस के कारण मरीजों को भर्ती होने में भी देरी होती है।

जयपुर: सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज (Sawai Man Singh Medical College) के अधीन संचालित स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट (State Cancer Institute) की व्यवस्थाएं खुद बीमार हैं। मरीजों को सीटी स्कैन, एमआरआई, 2डी-ईको जांच और रेफरेंस के लिए 17 किलोमीटर दूर एसएमएस हॉस्पिटल (SMS Hospital) जाना पड़ता है, जिससे वे परेशान हैं।

स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट में कैंसर का इलाज कराने आ रहे मरीजों को प्रशासनिक अव्यवस्थाओं का सामना करना पड़ रहा है। ओपीडी या आईपीडी में दिखाने के बाद भी उन्हें कई महत्वपूर्ण जांचों के लिए भटकना पड़ता है।

जांचों के लिए 17 किलोमीटर दूर जाने की मजबूरी

इन जांचों में सीटी स्कैन, एमआरआई और 2डी-ईको शामिल हैं। इन जांचों के लिए मरीजों को लगभग 17 किलोमीटर दूर स्थित एसएमएस अस्पताल जाना पड़ता है।

यही कारण है कि कई बार मरीज एक से दो दिन तक भर्ती ही नहीं हो पाते हैं। ओपीडी में दिखाने के बाद उन्हें जांचों के लिए एसएमएस अस्पताल के चक्कर काटने पड़ते हैं।

जांचें पूरी होने के बाद ही मरीज भर्ती की प्रक्रिया शुरू कर पाते हैं। यह प्रक्रिया मरीजों और उनके परिजनों के लिए अत्यधिक थकाऊ और समय लेने वाली साबित होती है।

बुजुर्ग महिला को दो दिन तक काटने पड़े चक्कर

सवाई माधोपुर के पास गंगापुर सिटी से आई एक 73 वर्षीय बुजुर्ग महिला इसका एक उदाहरण हैं। वे कैंसर से पीड़ित हैं और 10 दिसंबर को अपने बेटे के साथ एससीआई आई थीं।

डॉक्टरों को दिखाने के बाद उन्हें भर्ती होने के लिए कहा गया, लेकिन इससे पहले सीटी स्कैन, एमआरआई और 2डी-ईको जांचें लिख दी गईं। इन जांचों को करवाने के लिए मरीज और उनके पुत्र को दो दिन तक एसएमएस अस्पताल के चक्कर लगाने पड़े।

जांचें 12 दिसंबर को पूरी हुईं, जिसके बाद अब वे भर्ती की प्रक्रिया शुरू करवाएंगे। बुजुर्ग महिला के बेटे ने बताया कि डॉक्टर को दिखाने में ज्यादा समय नहीं लगा, लेकिन जांचों के लिए आने-जाने और समय लेने में ढाई दिन का वक्त लग गया।

उन्होंने सरकार से अपील की कि जब इतना बड़ा अस्पताल यहां बनाया गया है, तो इन जांचों की सुविधा भी यहीं उपलब्ध कराई जाए। इससे मरीजों को 17 किलोमीटर दूर जाने की परेशानी से बचाया जा सकेगा।

रेफरेंस के लिए भी भटकते हैं मरीज

यह परेशानी केवल जांचों तक ही सीमित नहीं है। जो मरीज भर्ती हैं और उन्हें कैंसर के अलावा कोई अन्य पुरानी बीमारी (क्रॉनिकल डिजीज) है, उन्हें भी रेफरेंस के लिए भटकना पड़ता है।

हृदय, शुगर, किडनी या लिवर जैसी बीमारियों से संबंधित परामर्श (रेफरेंस) के लिए भी मरीजों के परिजनों को एसएमएस अस्पताल आना पड़ता है। कैंसर के इलाज के दौरान इन बीमारियों का प्रबंधन भी महत्वपूर्ण होता है।

आरयूएचएस में सुविधाएं, फिर भी 17KM दूर

सबसे विडंबना यह है कि कई आवश्यक सुविधाएं स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट से सटी आरयूएचएस अस्पताल की बिल्डिंग में उपलब्ध हैं। सीटी स्कैन और 2डी-ईको जांच की सुविधा आरयूएचएस अस्पताल में मौजूद है।

इसके अतिरिक्त, आरयूएचएस अस्पताल में जनरल सर्जरी, जनरल मेडिसिन, कार्डियोलॉजी और ईएनटी जैसी यूनिट्स भी संचालित हैं। हृदय रोग से संबंधित रेफरेंस के लिए मरीजों को यहां भी भेजा जा सकता है।

हालांकि, न तो आरयूएचएस में रेफरेंस की कोई व्यवस्था की गई है और न ही एससीआई से आने वाले सीटी स्कैन मरीजों की जांच वहां की जा रही है। यह स्थिति मरीजों की परेशानी को और बढ़ा देती है।

प्रशासनिक स्तर पर इन व्यवस्थाओं में सुधार की तत्काल आवश्यकता है। मरीजों को बेहतर और सुलभ स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के लिए एससीआई और आरयूएचएस के बीच समन्वय स्थापित करना होगा।

इससे न केवल मरीजों का समय और पैसा बचेगा, बल्कि उन्हें समय पर उचित इलाज भी मिल पाएगा।

Must Read: धर्मेंद्र-हेमा मालिनी की बेटी ईशा देओल का जीवन और करियर

पढें ज़िंदगानी खबरें, ताजा हिंदी समाचार (Latest Hindi News) के लिए डाउनलोड करें thinQ360 App.

  • Follow us on :