Highlights
- सऊदी अरब से भारतीय नागरिक रमेश कुमार मेघवाल का शव 28 दिन बाद भी नहीं आया।
- राजस्थान हाईकोर्ट ने सऊदी अरब दूतावास को नोटिस जारी कर जवाब मांगा।
- भारतीय न्यायपालिका द्वारा किसी विदेशी सरकार को नोटिस जारी करने का यह पहला मामला है।
- मामले की अगली सुनवाई 17 दिसंबर को निर्धारित की गई है।
जोधपुर: राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan High Court) ने सऊदी अरब (Saudi Arabia) से भारतीय नागरिक रमेश कुमार मेघवाल (Ramesh Kumar Meghwal) का शव 28 दिन बाद भी भारत न आने पर बड़ा कदम उठाया है। कोर्ट ने नई दिल्ली (New Delhi) स्थित किंगडम ऑफ सऊदी अरेबिया (Kingdom of Saudi Arabia) दूतावास को नोटिस जारी कर सऊदी सरकार (Saudi Government) से जवाब मांगा है।
यह भारतीय न्यायपालिका द्वारा मानवीय संवेदनाओं से जुड़े एक गंभीर मामले में किसी विदेशी सरकार को नोटिस जारी करने का पहला मामला माना जा रहा है। रमेश कुमार मेघवाल राजस्थान के बालोतरा जिले के निवासी थे और उनकी उम्र केवल 19 वर्ष थी।
न्यायपालिका की शरण में पीड़ित परिवार
दिवंगत रमेश कुमार मेघवाल की मां ने जस्टिस नूपुर भाटी की बेंच के समक्ष याचिका दायर की थी। इस याचिका में उन्होंने अपने बेटे के पार्थिव शरीर को सम्मानजनक अंतिम संस्कार के लिए भारत वापस लाने की गुहार लगाई।
न्यायालय ने मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए त्वरित सुनवाई का निर्णय लिया।
28 दिन बाद भी नहीं आया शव
रमेश कुमार मेघवाल की मृत्यु विगत 13 नवंबर को सऊदी अरब में संदिग्ध परिस्थितियों में हुई थी। मृत्यु के 28 दिन बीत जाने के बाद भी उनका शव भारत नहीं भेजा गया, जिससे परिवार गहरे सदमे में है।
परिवार अंतिम संस्कार के लिए अपने बेटे के शव का बेसब्री से इंतजार कर रहा है, लेकिन उन्हें केवल निराशा ही हाथ लगी है।
चर्मेश शर्मा ने उठाई आवाज
इस मानवीय संकट में राजस्थान बीज निगम के पूर्व निदेशक और कांग्रेस नेता चर्मेश शर्मा ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने विदेश में संकटग्रस्त भारतीयों की सहायता के लिए सक्रिय रूप से काम किया है।
चर्मेश शर्मा ने सबसे पहले राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के नाम राष्ट्रपति सचिवालय में एक याचिका दायर की थी।
इसके बाद राष्ट्रपति सचिवालय ने विदेश मंत्रालय को इस मामले में तत्काल कार्यवाही के निर्देश दिए।
चर्मेश शर्मा ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और विदेश मंत्रालय में भी विस्तृत शिकायत दर्ज करवाई थी।
विदेश मंत्रालय ने चर्मेश शर्मा को मेल भेजकर इस संबंध में अधिकृत जवाब भी जारी किया था।
विदेश मंत्रालय के जवाब के बावजूद देरी
विदेश मंत्रालय से जवाब मिलने के बावजूद, मृत्यु के 27 दिन बाद तक भी रमेश कुमार का पार्थिव शरीर भारत नहीं भेजा गया। इस स्थिति ने पीड़ित परिवार को और अधिक निराश किया।
चर्मेश शर्मा की विधिक सलाह और सहयोग से ही पीड़ित परिवार ने अंततः न्यायपालिका की शरण लेने का निर्णय लिया।
यह कदम तब उठाया गया जब सभी अन्य प्रयास विफल होते दिख रहे थे।
हाईकोर्ट की त्वरित कार्रवाई
बुधवार को दिवंगत रमेश कुमार की मां तीजू बाई ने हाईकोर्ट के अधिवक्ता सुशील विश्नोई और सुनील पुरोहित के माध्यम से याचिका दायर की।
उन्होंने अपनी याचिका में बेटे के अंतिम दर्शन करवाने और सम्मानजनक अंतिम संस्कार की व्यवस्था करने की मार्मिक अपील की।
हाईकोर्ट ने मामले की गंभीरता को समझते हुए अगले ही दिन, गुरुवार को सुनवाई निर्धारित कर दी।
यह न्यायपालिका की संवेदनशीलता और त्वरित न्याय प्रदान करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
अंतर्राष्ट्रीय संबंधों पर प्रभाव
भारतीय न्यायपालिका द्वारा एक विदेशी सरकार को सीधे नोटिस जारी करना एक अभूतपूर्व कदम है। यह अंतर्राष्ट्रीय कानून और राजनयिक संबंधों के दायरे में एक महत्वपूर्ण मिसाल कायम कर सकता है।
इस मामले की अगली सुनवाई 17 दिसंबर को तय की गई है। इस दिन नई दिल्ली स्थित सऊदी अरब दूतावास की ओर से सऊदी सरकार अपना पक्ष रखेगी।
पूरा देश और विशेष रूप से राजस्थान का बालोतरा जिला, इस मामले के परिणाम का बेसब्री से इंतजार कर रहा है।
यह मामला न केवल एक परिवार के लिए न्याय का प्रतीक है, बल्कि विदेश में रहने वाले अन्य भारतीय नागरिकों के अधिकारों और सम्मान का भी सवाल है।
उम्मीद है कि जल्द ही रमेश कुमार मेघवाल का पार्थिव शरीर उनके परिवार को सौंपा जाएगा, ताकि वे उन्हें सम्मानजनक विदाई दे सकें।
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