लोकसभा : वंदे मातरम् की 150वीं वर्षगांठ पर PM मोदी ने कांग्रेस को घेरा

वंदे मातरम् की 150वीं वर्षगांठ पर PM मोदी ने कांग्रेस को घेरा
Narendra modi
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Highlights

  • पीएम मोदी ने वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूरे होने पर लोकसभा में चर्चा की।
  • उन्होंने कांग्रेस पर तुष्टीकरण की राजनीति के लिए वंदे मातरम् के अपमान का आरोप लगाया।
  • पीएम ने कहा कि महात्मा गांधी को यह गीत पसंद था, पर जिन्ना और नेहरू के कारण इसका अपमान हुआ।
  • वंदे मातरम् को बंकिम चंद्र चटर्जी ने 1875 में लिखा था और 1896 में टैगोर ने सार्वजनिक रूप से गाया।

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने लोकसभा (Lok Sabha) में वंदे मातरम् (Vande Mataram) के 150 वर्ष पूरे होने पर कांग्रेस (Congress) को घेरा। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) को यह गीत पसंद था, पर तुष्टीकरण के कारण इसका अपमान हुआ।

प्रधानमंत्री मोदी ने सोमवार को लोकसभा में वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूरे होने पर चर्चा की शुरुआत की। उन्होंने इस गीत को अंग्रेजों को दिया गया करारा जवाब बताया, जो आज भी प्रेरणा का स्रोत है। पीएम ने कहा कि आजादी के समय महात्मा गांधी को भी यह गीत बहुत पसंद था और वे इसे राष्ट्रीय गान के रूप में देखते थे।

वंदे मातरम् की ऐतिहासिक यात्रा

भारत के राष्ट्रगीत वंदे मातरम् को बंकिम चंद्र चटर्जी ने 7 नवंबर 1875 को अक्षय नवमी के पावन अवसर पर लिखा था। यह 1882 में पहली बार उनकी पत्रिका बंगदर्शन में उनके उपन्यास आनंदमठ के हिस्से के रूप में प्रकाशित हुआ था।

1896 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन में रवींद्रनाथ टैगोर ने मंच पर वंदे मातरम् गाया। यह पहला अवसर था जब यह गीत सार्वजनिक रूप से राष्ट्रीय स्तर पर गाया गया, जिससे हजारों लोगों की आंखें नम हो गईं।

कांग्रेस पर पीएम मोदी का तीखा वार

पीएम मोदी ने कांग्रेस पर वंदे मातरम् के टुकड़े करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि यह कांग्रेस की तुष्टीकरण की राजनीति को साधने का तरीका था। तुष्टीकरण की राजनीति के दबाव में कांग्रेस वंदे मातरम् के बंटवारे के लिए झुकी, और इसी कारण उसे एक दिन भारत के बंटवारे के लिए भी झुकना पड़ा।

प्रधानमंत्री ने तंज कसते हुए कहा कि कांग्रेस ने आउटसोर्स कर लिया है और उसकी नीतियां वैसी की वैसी ही हैं। उन्होंने कहा, “INC चलते-चलते MNC हो गया है।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि जिन-जिन के साथ कांग्रेस जुड़ा है, वे वंदे मातरम् पर विवाद खड़ा करते हैं।

जिन्ना और नेहरू के सामने कांग्रेस का झुकना

पीएम मोदी ने 15 अक्टूबर 1936 की घटना का जिक्र किया, जब मोहम्मद अली जिन्ना ने लखनऊ से वंदे मातरम् के खिलाफ नारा बुलंद किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष जवाहरलाल नेहरू को अपना सिंहासन डोलता दिखा। नेहरू ने मुस्लिम लीग के आधारहीन बयानों को करारा जवाब देने या उनकी निंदा करने के बजाय, वंदे मातरम् की ही पड़ताल शुरू कर दी।

नेहरू ने पांच दिन बाद नेताजी को एक चिट्ठी लिखी, जिसमें उन्होंने जिन्ना की भावना से सहमति जताते हुए लिखा कि वंदे मातरम् की आनंदमठ वाली पृष्ठभूमि से मुसलमानों को चोट पहुंच सकती है। कांग्रेस कार्यसमिति ने 26 अक्टूबर को वंदे मातरम् के उपयोग की समीक्षा का फैसला किया, जिसके खिलाफ देश भर में प्रभात फेरियां निकाली गईं। लेकिन इतिहास गवाह है कि कांग्रेस ने मुस्लिम लीग के सामने घुटने टेक दिए और वंदे मातरम् के टुकड़े कर दिए।

आजादी के परवानों का मंत्र था वंदे मातरम्

पीएम ने उन अनगिनत स्वतंत्रता सेनानियों को याद किया, जिन्होंने वंदे मातरम् कहते-कहते फांसी के फंदे को गले लगा लिया। खुदीराम बोस, रोशन सिंह, राजेंद्र नाथ लहरी, रामकृष्ण विश्वाश, गोपाल बाल और मास्टर सुरसेन जैसे नाम इस सूची में शामिल हैं। उन्होंने बताया कि जिन पर जुल्म हो रहे थे, उनकी भाषा अलग-अलग थी, लेकिन ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ और वंदे मातरम् ही उनका एकमात्र मंत्र था। 1947 में देश आजाद होने के बाद चुनौतियां बदलीं, प्राथमिकताएं बदलीं, लेकिन जब-जब देश पर संकट आया, वह वंदे भारत की भावना के साथ आगे बढ़ा।

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