Highlights
- इथियोपिया में ज्वालामुखी फटने से भारत में अंतरराष्ट्रीय फ्लाइट्स प्रभावित हुईं।
- राजस्थान और गुजरात पर ज्वालामुखी की राख के असर की आशंका थी।
- मौसम विभाग ने पुष्टि की कि राजस्थान पर आसमानी खतरा टल गया है।
- राख के कण अब आगे निकल चुके हैं, जिससे प्रदेश पर प्रभाव नहीं पड़ा।
जयपुर: इथियोपिया (Ethiopia) में ज्वालामुखी फटने के बाद भारत में अंतरराष्ट्रीय फ्लाइट्स प्रभावित रहीं। राजस्थान (Rajasthan) और गुजरात (Gujarat) पर राख के कणों का असर होने की आशंका थी, हालांकि मौसम विभाग ने अब यह आसमानी खतरा टलने की पुष्टि की है।
रविवार को इथियोपिया में हुए ज्वालामुखी विस्फोट के बाद भारत में काफी हलचल देखने को मिली। इस घटना के चलते सोमवार और मंगलवार को देश में कई अंतरराष्ट्रीय उड़ानें प्रभावित हुईं। शुरुआत में यह आशंका जताई जा रही थी कि ज्वालामुखी से निकली राख के कण राजस्थान और गुजरात के कुछ हिस्सों में पहुंच सकते हैं, जिससे वायु गुणवत्ता और दृश्यता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
राजस्थान पर टला आसमानी आफत का खतरा
हालांकि, राजस्थान और गुजरात के लिए अब राहत की खबर सामने आई है। मौसम विभाग ने पुष्टि की है कि आसमान से आने वाली यह संभावित आफत अब टल चुकी है। राजस्थान के मौसम विभाग ने इस संबंध में गहरी सांस ली है और संकेत दिए हैं कि फिलहाल यह संकट प्रदेश से दूर हो गया है। भारतीय मौसम विभाग ने पहले अनुमान लगाया था कि ज्वालामुखी विस्फोट के बाद उड़ी राख से देश के कुछ हिस्सों में विपरीत प्रभाव देखने को मिल सकता है, जिसके बाद राजस्थान का मौसम विभाग पूरी तरह से अलर्ट पर था और स्थिति पर लगातार नजर बनाए हुए था।
इस मामले को लेकर मौसम विभाग के निदेशक राधेश्याम शर्मा ने बताया कि इथियोपिया ज्वालामुखी के फटने से निकली राख के कणों का आज गुजरात और राजस्थान के कुछ हिस्सों पर असर माना जा रहा था। लेकिन, खुशी की बात यह है कि इसका कोई खास प्रभाव प्रदेश पर नहीं पड़ा। श्री शर्मा ने स्पष्ट किया कि हवा के साथ आए राख के कण अब आगे निकल चुके हैं, ऐसे में यह माना जा सकता है कि राजस्थान पर मंडरा रहा यह खतरा अब पूरी तरह से टल गया है। यह खबर राज्य के निवासियों और प्रशासन दोनों के लिए बड़ी राहत लेकर आई है।
क्या था इथियोपिया ज्वालामुखी विस्फोट का पूरा मामला?
जानकारी के अनुसार, गत रविवार को इथियोपिया के अफर क्षेत्र में स्थित हेली गुब्बी ज्वालामुखी फट गया था। इस भयंकर विस्फोट के बाद ज्वालामुखी से निकली राख का एक विशाल गुबार आसमान में लगभग 14 किलोमीटर की ऊंचाई तक उठ गया था। राख का यह घना गुबार धीरे-धीरे लाल सागर से होते हुए अरब प्रायद्वीप और फिर भारतीय उपमहाद्वीप की ओर फैल गया, जिससे भारत में इसके संभावित प्रभावों को लेकर चिंताएं बढ़ गई थीं।
इस राख के गुबार के कारण सोमवार को भारत में हवाई उड़ानों का संचालन बुरी तरह प्रभावित हुआ। एयर इंडिया ने एहतियात के तौर पर अपनी 7 अंतरराष्ट्रीय उड़ानों को रद्द कर दिया था। इसके अगले दिन, यानी मंगलवार को भी चार और अंतरराष्ट्रीय उड़ानें निरस्त करनी पड़ीं, जिससे यात्रियों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ा। हालांकि, अब राख का खतरा टल जाने से हवाई यातायात भी सामान्य होने की उम्मीद है।
अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर पड़ा था असर
इथियोपिया में ज्वालामुखी फटने के बाद भारत में अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर इसका सीधा असर देखने को मिला। ज्वालामुखी से निकली राख के कणों के वायुमंडल में फैलने से विमानों की सुरक्षा को लेकर चिंताएं बढ़ गई थीं। इसी वजह से कई एयरलाइंस ने अपनी उड़ानों को रद्द करने या उनके मार्ग बदलने का फैसला किया।
विशेष रूप से एयर इंडिया ने सोमवार को 7 अंतरराष्ट्रीय उड़ानों को रद्द कर दिया था, जिनमें मध्य-पूर्व और यूरोप के लिए उड़ानें शामिल थीं। मंगलवार को भी चार अतिरिक्त उड़ानों को रद्द करना पड़ा, जिससे सैकड़ों यात्री प्रभावित हुए। हालांकि, अब जब मौसम विभाग ने राख के कणों का खतरा टलने की पुष्टि कर दी है, तो उम्मीद है कि आने वाले दिनों में अंतरराष्ट्रीय हवाई यातायात पूरी तरह से सामान्य हो जाएगा और यात्रियों को किसी प्रकार की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा। यह खबर उन सभी लोगों के लिए सुकून भरी है जो यात्रा की योजना बना रहे थे या जिनके परिजन विदेश से आने वाले थे।
राजनीति