चुनावी साल में : कैसा है BJP Chief CP Joshi का रिपोर्ट कार्ड, अभी तक नहीं बना पाए अपनी टीम, कहीं सॉफ्ट इमेज का नुकसान भाजपा को नहीं उठाना पड़े ?

कैसा है  BJP Chief CP Joshi का रिपोर्ट कार्ड, अभी तक नहीं बना पाए अपनी टीम,  कहीं सॉफ्ट इमेज का नुकसान भाजपा को नहीं उठाना पड़े ?
bjp chief cp joshi or Rajendra Rathore
Ad

जयपुर | राजस्थान भाजपा चीफ सीपी जोशी की प्रदेश अध्यक्ष पद पर ताजपोशी को पूरे तीन महीने हो गए हैं और अब ज्यादा वक्त नहीं है जब सभी राजनीतिक पार्टियों को विधानसभा चुनावों के बीच जाना है. ऐसे में बतौर प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी की जिम्मेदारी ज्यादा बढ़ जाती है कि वे पार्टी के लिए एक धारदार कैम्पेन करें. 

जब सीपी जोशी की भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए नियुक्ति हुई थी तो उन्हें हर किसी का फेवरेट माना जा रहा था. यहां तक सतीश पूनिया के कार्यकाल में भाजपा में चरम पर पहुँची गुटबाजी के बीच नए नाम के लिए सीपी जोशी ही उपयुक्त नाम माने गए जिनके ऊपर किसी भी गुट को ऐतराज नहीं था. 

ना केवल प्रदेश भाजपा बल्कि शीर्ष नेतृत्व ने भी सीपी जोशी को इसलिए फाइनल किया कि वे लगातार बढ़ती गुटबाजी को कंट्रोल करते हुए सभी खेमो के बीच बेहत्तर सामंजस्य बिठा सकते है. 

चूँकि सीपी जोशी की ताजपोशी चुनावों से ठीक पहले की गई थी तो उनके सामने ना केवल भाजपा की गुटबाजी को शांत करने की चुनौती थी बल्कि सरकार के खिलाफ माहौल खड़ा करते हुए संगठन में नई जान फूंकने की जिम्मेदारी भी थी. 

ऐसे में सीपी जोशी के प्रदेश अध्यक्ष बनते ही चर्चा चली कि बहुत जल्दी सीपी जोशी सतीश पूनिया की टीम को बदलकर अपनी नई टीम बनाएँगे लेकिन तीन महीने बीत जाने के बाद भी सीपी जोशी अपनी नई टीम नहीं बना पाए है. 

बहुत बार मीडिया द्वारा पूछे जाने पर भाजपा चीफ द्वारा बस इतना कहा जाता है कि जल्दी ही इस बारे में सूचना दी जाएगी लेकिन अभी तक  संगठन में बदलाव के काम को सीपी जोशी अमलीजामा नहीं पहना पाए है. 

राजनीतिक जानकारों की माने तो इन दिनों राजस्थान भाजपा में बदलाव की बड़ी आहट महसूस की जा रही है. बीते दिनों ना केवल पार्टी संगठन बल्कि पार्टी प्रभारी बदलने की चर्चा भी जोरों पर थी और अरुण सिंह की जगह उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का नाम चर्चा में रहने लगा लेकिन उसके बाद एक फिर से यह बात ठंडे बस्ते में चली गई. 

ना केवल संगठन बल्कि राजस्थान के कुछ चेहरों को मोदी मंत्रीमंडल में भी शामिल करने की बात चर्चा में है और कास्ट फैक्टर साधने के लिए कुछ चेहरों पर मंथन चल रहा है. 

ऐसे में माना जा रहा है कि राजस्थान को लेकर दिल्ली में तो बहुत कुछ चल रहा है लेकिन सीपी जोशी अपनी नई टीम को लेकर अभी तक नदारद ही नजर आए है. उनसे जब भी इस बारे में कोई सवाल किया जाता है तो एक ही जवाब मुस्कुरा कर देते है. 

हालाँकि ताजपोशी के बाद एक प्लस पॉइंट सीपी जोशी के पक्ष में यह माना जा रहा है कि उनके बाद गुटबाजी को कंट्रोल करने में भाजपा काफी हद तक सफल रही है और वसुंधरा राजे सहित नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़, राज्यसभा सांसद किरोड़ीलाल मीणा, केंद्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत और पूर्व भाजपा अध्यक्ष सतीश पूनिया के साथ सीपी जोशी ने बेहत्तर समन्वय स्थापित किया है. 

क्या राजेन्द्र राठौड़ चला रहे है भाजपा 

राजनीतिक गलियारों में सीपी जोशी की ताजपोशी के बाद कुछ दूसरी तरह की बातें भी चलती है. जानकारों का मानना है कि सीपी जोशी को कमान मिलते ही नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ संगठन के स्तर पर काफी मजबूत हुए है. ना केवल राजेन्द्र राठौड़ सीपी जोशी के साथ ज्यादा नजर आते है बल्कि भाजपा मीडिया फेस भी इन दिनों राठौड़ ही बने हुए है. 

कांग्रेस अध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा तो यह बात खुलेआम कह चुके है कि सीपी जोशी को राजस्थान में कोई नहीं  पहचानता और राजेन्द्र राठौड़ ही पार्टी के कार्यक्रम की सूचना मीडिया को देते है. 

न केवल राजेन्द्र राठौड़ बल्कि सीपी जोशी के आते ही किरोड़ीलाल मीणा ने भी अपने विरोध की स्टाइल बदल ली है. सतीश पूनिया के कार्यकाल में किरोड़ीलाल अक्सर पार्टी से दूर रहते थे लेकिन सीपी जोशी के कार्यकाल में मीणा भी पार्टी लाइन में रहकर सरकार के खिलाफ विरोध की आवाजें उठा रहे है. 

इसके अलावा पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी को लेकर भी चर्चा है कि जोशी की नियुक्ति ने चतुर्वेदी के लिए संजीवनी का काम किया है. अब एक बार फिर से अरुण चतुर्वेदी फ्रंट लाइन पर आ गए है और पार्टी की मुख्यधारा में रहकर राजनीति कर रहे है. 

खुद का कोई आंदोलन खड़ा नहीं कर पाए सीपी जोशी 

अगर सीपी जोशी के धरातल पर काम की बात करें तो अभी तक वे प्रेस कॉन्फ्रेंस और मीडिया बाइट तक ही सिमित रहे है. हालाँकि जनाक्रोश यात्रा के बहाने उन्होंने राजस्थानभर में पहुँचने की कोशिश की लेकिन जनाक्रोश यात्रा की शुरुआत सतीश पूनिया के कार्यकाल में ही हो चुकी थी जिसे सीपी जोशी ने आगे बढ़ाया. 

जबकि पेपर लीक, कथित आईटी घोटाला, सचिन पायलट की जन संघर्ष यात्रा सहित तमाम ऐसे मुद्दे थे जिन्हे सीपी जोशी को धरातल पर उतारना चाहिए था. लेकिन सीपी जोशी अभी तक कोई बड़ा आंदोलन बतौर प्रदेश अध्यक्ष सरकार के खिलाफ खड़ा नहीं कर सके है. 

मेवाड़ से बाहर प्रभाव नहीं डाल पाए जनता में बन रही है सॉफ्ट इमेज 

सीपी जोशी की प्रदेश अध्यक्ष पद पर नियुक्ति के लिए मेवाड़ अंचल के समीकरण एक बड़ा फैक्टर थे. क्योकि असम का राजयपाल बनने के बाद गुलाबचंद कटारिया को लेकर एक बड़ा स्पेस मेवाड़ में था जिसे सीपी जोशी के बहाने भरने की कोशिश की गई. 

लेकिन सीपी जोशी मेवाड़ के बाहर अभी तक कोई बड़ी इमेज क्रिएट नहीं कर पाए है साथ ही उनकी सॉफ्ट स्टाइल इमेज आक्रामक कैम्पेन में बड़ा रोड़ा बन रही है. 

Must Read: मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा ने दिया वोकल फॉर लोकल का संदेश, लाभार्थियों से किया संवाद

पढें राजस्थान खबरें, ताजा हिंदी समाचार (Latest Hindi News) के लिए डाउनलोड करें thinQ360 App.

  • Follow us on :