Highlights
- जल जीवन मिशन घोटाले में छह अफसरों के खिलाफ जांच को मंजूरी मिली।
- भाजपा विधायक देवीसिंह शेखावत के भाई गोपाल सिंह शेखावत पर जांच की अनुमति नहीं।
- सीनियर आईएएस सुबोध अग्रवाल सहित छह अन्य अफसरों के खिलाफ जांच होगी।
- एसीबी ने मामले की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है।
जयपुर: जल जीवन मिशन में हुए भ्रष्टाचार मामले में एसीबी ने छह अफसरों के खिलाफ जांच के लिए एसआईटी का गठन किया है। सरकार ने बानसूर से भाजपा विधायक देवीसिंह शेखावत के भाई आरएएस गोपाल सिंह शेखावत और फाइनेंस एडवाइजर केसी कुमावत के खिलाफ जांच की अनुमति नहीं दी है, जबकि सीनियर आईएएस सुबोध अग्रवाल सहित छह अन्य अफसरों पर जांच होगी।
जांच के लिए मिली अनुमति और नहीं मिली मंजूरी
भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने जल जीवन मिशन घोटाले से जुड़े कुल आठ अधिकारियों के खिलाफ जांच की अनुमति मांगी थी। इनमें से सरकार ने सीनियर आईएएस सुबोध अग्रवाल सहित छह अफसरों के खिलाफ जांच की मंजूरी दे दी है।
हालांकि, बानसूर से भाजपा विधायक देवीसिंह शेखावत के भाई आरएएस गोपाल सिंह शेखावत और फाइनेंस एडवाइजर व सीएफओ केसी कुमावत के खिलाफ जांच की अनुमति नहीं दी गई है। इस फैसले पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं।
गोपाल सिंह शेखावत की वर्तमान स्थिति और पूर्व भूमिका
जल जीवन मिशन घोटाले के समय गोपाल सिंह शेखावत जलदाय विभाग में डिप्टी सेक्रेटरी के महत्वपूर्ण पद पर कार्यरत थे। वर्तमान में वे राजस्थान हाउसिंग बोर्ड में सेक्रेटरी के पद पर तैनात हैं, जो एक और महत्वपूर्ण प्रशासनिक पद है।
उनके खिलाफ जांच की अनुमति न मिलने से पारदर्शिता और निष्पक्षता को लेकर बहस छिड़ गई है। यह निर्णय राजनीतिक गलियारों में भी चर्चा का विषय बना हुआ है।
पूर्व मंत्री महेश जोशी पर पहले ही जांच जारी
इस बड़े घोटाले में पूर्व जलदाय मंत्री महेश जोशी सहित कुल 13 अफसरों के खिलाफ पहले ही जांच की अनुमति एसीबी को मिल चुकी है। यह दर्शाता है कि घोटाले की जड़ें काफी गहरी हैं और इसमें कई बड़े नाम शामिल हैं।
एसीबी इस मामले की तह तक जाने के लिए प्रतिबद्ध है, ताकि सभी दोषियों को कानून के दायरे में लाया जा सके और जनता के पैसे का दुरुपयोग करने वालों को सजा मिल सके।
एसआईटी का गठन और घोटाले का खुलासा
एसीबी ने जल जीवन मिशन घोटाले की विस्तृत जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है। इस टीम में एसपी महावीर सिंह राणावत, एएसपी हिमांशु कुलदीप, भूपेन्द्र सिंह और महावीर प्रसाद जैसे अनुभवी अधिकारी शामिल हैं।
यह घोटाला तब सामने आया जब एसीबी की प्रारंभिक जांच में जलदाय विभाग और कुछ निजी कंपनियों के बीच बड़े पैमाने पर अनियमित लेनदेन का मामला उजागर हुआ। एसीबी ने 30 अक्टूबर 2024 को पूर्व मंत्री महेश जोशी के खिलाफ इस संबंध में मामला दर्ज किया था।
फर्जी प्रमाण पत्रों के जरिए टेंडर हासिल करने का खेल
जांच में यह भी पता चला है कि मैसर्स श्री गणपति ट्यूबवैल कम्पनी के महेश मित्तल और फर्म मैसर्स श्री श्याम ट्यूबवैल कम्पनी के पदमचन्द जैन ने धोखाधड़ी का सहारा लिया। उन्होंने इरकॉन इन्टरनेशनल के फर्जी प्रमाण पत्र तैयार किए और उनका उपयोग करके सरकारी टेंडर हासिल किए।
इस तरह के फर्जीवाड़े से सरकारी खजाने को भारी नुकसान पहुंचाया गया, जिसका सीधा असर आम जनता पर पड़ा है। एसीबी इस पूरे प्रकरण की गहनता से जांच कर रही है ताकि दोषियों को बेनकाब किया जा सके।
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