rajasthan: माउंट आबू में पट्टा आवंटन में भ्रष्टाचार का बड़ा खुलासा

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इस पूरे प्रकरण का सबसे बड़ा सबूत एक वायरल ऑडियो रिकॉर्डिंग है, जिसमें कथित रूप से पट्टा आवंटन में की जा रही धांधली का खुलासा होता है। ऑडियो में पट्टे देने के बदले भारी भरकम रकम की मांग की बातें हो रही हैं।

यह रिकॉर्डिंग इस बात की गवाही देती है कि माउंट आबू में पट्टा आवंटन का यह खेल खुल्लमखुल्ला और पूरी बेखौफी के साथ खेला गया है।

माउंट आबू: राजस्थान का खूबसूरत हिल स्टेशन माउंट आबू, जहां पहले सिर्फ पर्यटन की चर्चा होती थी, अब एक नए घोटाले की गूंज सुनाई दे रही है। पूर्ववर्ती राज्य सरकार द्वारा गरीबों के लिए पट्टा आवंटन योजना में भ्रष्टाचार के मामले सामने आए हैं, जिसमें नगर पालिका, यूआईटी (शहरी सुधार न्यास) के कार्मिकों, पार्षदों और नेताओं ने मिलकर भारी अनियमितताएं की हैं।

भ्रष्टाचार का खुलासा: 'रकम लाओ, पट्टा ले जाओ'

इस योजना का मकसद था गरीबों को जमीन का पट्टा आवंटित करना, लेकिन कथित तौर पर इस प्रक्रिया में भारी रिश्वतखोरी और मनमाने ढंग से पट्टे बेचे गए। आरोप है कि योजनाओं का फायदा उठाने की जगह यहां "रकम लाओ, पट्टा ले जाओ" का फॉर्मूला अपनाया गया। आश्चर्यजनक बात यह है कि अब तक इन कार्मिकों, नेताओं और उनसे जुड़े रैकेट पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। प्रशासन की ओर से सिर्फ रस्मअदायगी के तौर पर कुछ नोटिस जारी किए गए हैं, जो केवल लीपापोती साबित हो रहे हैं।

क्या पट्टे वाकई मनमानी कीमत पर बेचे गए?

माउंट आबू के स्थानीय निवासियों से लेकर जिला प्रशासन तक सभी इस सच्चाई से वाकिफ हैं, लेकिन कोई भी खुलकर सामने आने की हिम्मत नहीं कर रहा है। ऐसा लगता है जैसे भ्रष्टाचार की यह जड़ें इतनी गहरी हो चुकी हैं कि इसे उजागर करने में सभी डर रहे हैं।

वायरल ऑडियो ने खोला भ्रष्टाचार का राज

इस पूरे प्रकरण का सबसे बड़ा सबूत एक वायरल ऑडियो रिकॉर्डिंग है, जिसमें कथित रूप से पट्टा आवंटन में की जा रही धांधली का खुलासा होता है। ऑडियो में पट्टे देने के बदले भारी भरकम रकम की मांग की बातें हो रही हैं। यह रिकॉर्डिंग इस बात की गवाही देती है कि माउंट आबू में पट्टा आवंटन का यह खेल खुल्लमखुल्ला और पूरी बेखौफी के साथ खेला गया है।

प्रशासन की खामोशी पर सवाल

जहां आमजन भ्रष्टाचार का ये खेल बखूबी जान रहे हैं, वहीं जिला प्रशासन और उच्च अधिकारी भी इन घटनाओं से अनभिज्ञ नहीं हैं। बावजूद इसके, किसी प्रभावी कार्रवाई का न होना संदेह को और बढ़ा रहा है। क्या प्रशासन इस घोटाले में भी मिलीभगत कर रहा है, या फिर भ्रष्टाचार का यह खेल इतना व्यापक हो चुका है कि इसे रोकने की क्षमता किसी के पास नहीं रह गई है?

यह मामला न केवल माउंट आबू बल्कि पूरे राजस्थान के प्रशासनिक तंत्र पर सवालिया निशान खड़ा करता है। जनता अब कार्रवाई की उम्मीद कर रही है, ताकि इस घोटाले के दोषियों को सजा मिल सके।

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