Highlights
- नरेश मीणा ने 15 दिन बाद आमरण अनशन खत्म किया.
- 24 घंटे में 80 लाख रुपए की सहायता राशि जुटाई गई.
- यह राशि झालावाड़ हादसे के पीड़ित परिवारों के लिए है.
- मीणा ने कहा कि वे भगत सिंह सेना लेकर दोबारा लौटेंगे.
जयपुर. नरेश मीणा (Naresh Meena) ने झालावाड़ (Jhalawar) स्कूल हादसे के पीड़ितों के लिए शुक्रवार को 15 दिन का आमरण अनशन (hunger strike) तोड़ दिया. उन्होंने शहीद स्मारक (Shaheed Smarak) पर 80 लाख रुपए की सहायता राशि जुटाई.
नरेश मीणा पिछले 15 दिनों से अनशन पर थे. वे झालावाड़ हादसे के पीड़ितों को न्याय दिलाना चाहते थे.
यह अनशन पीपलोदी स्कूल हादसे के लिए था. इसमें मृत बच्चों के परिजनों को न्याय चाहिए था.
शुक्रवार को उन्होंने अपना अनशन तोड़ दिया. वे समर्थकों संग एसएमएस हॉस्पिटल से निकले.
इसके बाद वे सीधा शहीद स्मारक पहुंचे. वहां भारी संख्या में मीणा के समर्थक मौजूद थे.
गुरुवार देर रात जयपुर की सड़कों पर भीड़ थी. समर्थकों ने मशाल जुलूस निकाला था.
इस जुलूस में अनशन खत्म करने की मांग की गई. सभी मीणा के समर्थन में एकजुट थे.
सहयोग राशि का ऐलान
अनशन तोड़ते हुए नरेश मीणा ने बयान दिया. उन्होंने कहा वे खाली हाथ नहीं लौटेंगे.
यह जनता का विश्वास बनाए रखने का वादा था. उन्होंने अपने संकल्प को दोहराया.
24 घंटे के भीतर 80 लाख रुपए जमा हो गए. यह सहायता राशि पीड़ितों के लिए थी.
यह राशि झालावाड़ के पीड़ित परिवारों को मिलेगी. मीणा ने राजस्थान की जनता का आभार जताया.
भरतसिंह कुंदनपुर का आग्रह
मीणा ने बताया भरतसिंह कुंदनपुर अस्पताल में भर्ती थे. उन्होंने भावुक होकर अनशन तोड़ने को कहा था.
कुंदनपुर ने कहा कि राजस्थान को उनकी ज़रूरत है. उनकी बात मानकर ही मीणा ने जूस पिया.
संघर्ष जारी रखने का संकल्प
मीणा ने कहा सरकार ने मांगों पर ध्यान नहीं दिया. 15 दिन के अनशन पर भी कार्रवाई नहीं हुई.
उन्होंने स्पष्ट किया कि वे दोबारा आएंगे. सरकार के दरवाजे पर फिर दस्तक देंगे.
समरावता के लोगों को न्याय दिलाना लक्ष्य है. वे भगत सिंह की सेना लेकर लौटेंगे.
यह संघर्ष यहीं खत्म नहीं होगा, उन्होंने बताया. मीणा ने अपने इरादे साफ कर दिए.