भाजपा की नई टीम: जातीय समीकरण और युवा जोश: राजस्थान भाजपा की नई कार्यकारिणी घोषित: 480 दिन बाद बड़ा बदलाव

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Highlights

  • भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी की घोषणा 480 दिन के लंबे इंतजार के बाद हुई।
  • 34 सदस्यीय टीम में 9 उपाध्यक्ष, 4 महामंत्री और 7 मंत्री शामिल हैं।
  • वसुंधरा राजे खेमे के नेताओं को नई कार्यकारिणी में तरजीह नहीं मिली।
  • संगठनात्मक पदों पर विधायकों और सांसदों की जगह कार्यकर्ताओं को प्राथमिकता।

जयपुर: राजस्थान (Rajasthan) भाजपा (BJP) ने 480 दिन बाद नई प्रदेश कार्यकारिणी घोषित की। मदन राठौड़ (Madan Rathore) ने 34 सदस्यीय टीम का ऐलान किया। नए चेहरे, वसुंधरा राजे (Vasundhara Raje) खेमा उपेक्षित रहा।

राजस्थान की सियासी गलियों में आज एक बड़ी राजनीतिक हलचल देखने को मिली है। पिछले 480 दिनों से जिस घड़ी का बेसब्री से इंतज़ार था, वो आखिरकार आ गई है। भारतीय जनता पार्टी ने अपनी नई प्रदेश कार्यकारिणी की घोषणा कर दी है। यह एक ऐसी टीम है जो आगामी चुनावों की बिसात बिछाएगी और संगठन को नई ऊर्जा देगी। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ ने अपनी नियुक्ति के पूरे डेढ़ साल के लंबे इंतजार के बाद, इस 34 सदस्यीय प्रदेश कार्यकारिणी का ऐलान किया है।

राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की संस्तुति के बाद यह सूची जारी की गई है। इस टीम में कुल 9 उपाध्यक्ष, 4 महामंत्री, 7 मंत्री और 7 प्रवक्ता शामिल हैं। इस कार्यकारिणी में कई नए चेहरों को मौका दिया गया है, जबकि कुछ पुराने दिग्गजों को बाहर का रास्ता भी दिखाया गया है। यह घोषणा ऐसे समय में हुई है जब पार्टी अपने 'मोड और मॉडल' को बदलने की बात कर रही है, लेकिन जातीय समीकरणों का प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है।

जातीय समीकरण और संगठनात्मक कमान

नई कार्यकारिणी में जातीय समीकरणों का खास ध्यान रखा गया है, लेकिन कुछ वर्गों को इसमें अधिक तरजीह मिली है। खासकर ब्राह्मण, राजपूत और वैश्य समुदाय से ही अधिकांश सदस्यों को मौका दिया गया है। ब्राह्मणों के हिस्से अधिकाधिक संगठन की कमान नजर आती है। बीजेपी का कार्यालय इसी जाति के लोग चलाएंगे, जैसे कि कार्यालय सचिव, आईटी, मीडिया प्रभारी और सोशल मीडिया प्रभारी जैसे चारों अहम पदों पर इसी वर्ग से लोग होंगे। यह दिखाता है कि पार्टी के आंतरिक कामकाज में एक विशेष वर्ग का प्रभाव बना हुआ है।

वहीं, भाजपा के बैकग्राउंड में जाटों को ज्यादातर विदा ही किया गया है। संतोष अहलावत जैसे बड़े जाट नेता को बाहर किया गया है। सीकर जैसे महत्वपूर्ण जिले से किसी को भी प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया है, जो चौंकाने वाला है। हालांकि, ज्योति मिर्धा, जो मूलतः कांग्रेस बैकग्राउंड से हैं, उन्हें उपाध्यक्ष बनाया गया है। राजपूतों को भी एक महामंत्री, एक मंत्री और एक उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई है, जो उनके राजनीतिक महत्व को दर्शाता है। अल्पसंख्यक और सिख कोटे से सुरेन्द्रपालसिंह टी.टी. को उपाध्यक्ष बनाया गया है, जो समावेशी राजनीति का एक संकेत है।

प्रभावशाली खेमे और वसुंधरा राजे की उपेक्षा

इस कार्यकारिणी में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, सुनील बंसल और प्रकाशचंद गुप्ता का प्रभाव स्पष्ट रूप से नजर आ रहा है। इन नेताओं की पसंद और नापसंद का असर टीम के गठन पर साफ देखा जा सकता है। वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के खेमे के नेताओं को प्रभावी तरजीह नहीं दी गई है। यह एक बड़ा राजनीतिक संकेत है कि पार्टी आलाकमान अब नई पीढ़ी और नए नेतृत्व को आगे बढ़ाना चाहता है। मदन राठौड़ ने अपने जिले से एकमात्र नाहरसिंह जोधा को रिपीट रखा है, जबकि सिरोही से नारायण पुरोहित को बतौर प्रदेश मंत्री लिया गया है। जालोर के सांवलाराम देवासी को प्रदेश मंत्री के पद से विदाई दे दी गई है।

भजनलाल शर्मा के करीबी श्रवणसिंह बगड़ी को प्रदेश महामंत्री यथावत रखा गया है, जो मुख्यमंत्री के बढ़ते प्रभाव को दर्शाता है। इस नई कार्यकारिणी में सात महिला पदाधिकारियों को भी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिली है, जो पार्टी के महिला सशक्तिकरण के दावे को मजबूत करती है। इसके साथ ही, लगभग सभी जिलों को तरजीह देने की कोशिश की गई है, जिससे क्षेत्रीय संतुलन बना रहे। यह साफ दर्शाता है कि भाजपा अपनी चुनावी रणनीति को धार देने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती और जमीनी स्तर पर अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है।

नई टीम का लक्ष्य और संदेश

प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने इस मौके पर कहा कि सभी पदाधिकारी पार्टी को पूरे प्रदेश में और मजबूत करेंगे। उन्होंने जोर देकर कहा कि पार्टी की नीतियों को गांव-गांव और गली-गली तक ले जाया जाएगा, जिससे संगठन और भी मजबूत होगा। यह बयान नई टीम के लिए एक स्पष्ट दिशा-निर्देश है, जिसमें जमीनी स्तर पर काम करने और जनता से सीधा जुड़ाव बनाने पर जोर दिया गया है। पार्टी का लक्ष्य आने वाले चुनावों में अपनी स्थिति को और सुदृढ़ करना है, जिसके लिए एक मजबूत और सक्रिय संगठन की आवश्यकता है।

उपाध्यक्षों की सूची: नए और पुराने चेहरे

आइए, अब एक नज़र डालते हैं इस नई टीम के महत्वपूर्ण चेहरों पर, जिन्हें प्रदेश कार्यकारिणी में जगह मिली है। उपाध्यक्ष पद पर नौ नेताओं को यह अहम जिम्मेदारी सौंपी गई है:

  • श्रीगंगानगर से सरदार सुरेन्द्रपाल सिंह टी.टी.
  • पाली से नाहरसिंह जोधा
  • झुंझुनूं से मुकेश दाधीच
  • बीकानेर से बिहारीलाल विश्नोई
  • कोटा से छगन माहूर
  • बांसवाड़ा से हकरू माईडा
  • नागौर से डॉ. ज्योति मिर्धा
  • उदयपुर से अल्का मूंदड़ा
  • अजमेर से सरिता गेना

गौर करने वाली बात यह है कि नाहरसिंह जोधा, मुकेश दाधीच और डॉ. ज्योति मिर्धा को पिछली कार्यकारिणी से भी रिपीट किया गया है। वहीं, सरदार सुरेन्द्रपाल सिंह टी.टी., बिहारीलाल विश्नोई, छगन माहूर, हकरू माईडा, अल्का मूंदड़ा और सरिता गेना उपाध्यक्ष के रूप में नए चेहरे हैं। पिछली कार्यकारिणी में 10 उपाध्यक्ष थे, जिन्हें घटाकर अब 9 कर दिया गया है, जो संगठन में पदों के पुनर्गठन को दर्शाता है।

महामंत्रियों की जिम्मेदारी और पदोन्नति

अब बात करते हैं चार महामंत्रियों की, जिन्हें संगठन में अहम जिम्मेदारी मिली है:

  • सीकर से श्रवण सिंह बगड़ी
  • हनुमानगढ़ से कैलाश मेघवाल
  • दौसा से भूपेन्द्र सैनी
  • अजमेर से मिथिलेश गौतम

इसमें श्रवण सिंह बगड़ी एकमात्र ऐसे चेहरे हैं जिन्हें पिछली कार्यकारिणी से रिपीट किया गया है। भूपेन्द्र सैनी और मिथिलेश गौतम को पिछली कार्यकारिणी में मंत्री पद पर रहने के बाद अब प्रमोट करके महामंत्री बनाया गया है। एससी मोर्चे के अध्यक्ष कैलाश मेघवाल को भी प्रमोट करके प्रदेश कार्यकारिणी में महामंत्री बनाया गया है। पिछली कार्यकारिणी में पाँच महामंत्री थे, जिन्हें घटाकर अब चार कर दिया गया है, जिससे संगठन में अधिक केंद्रित नेतृत्व का संकेत मिलता है।

मंत्रियों की नई सूची

मंत्रियों की नई सूची में सात नेताओं को जगह दी गई है। इनमें नारायण मीणा, अजीत मांडन, अपूर्वा सिंह, आईदान सिंह भाटी, एकता अग्रवाल, नारायण पुरोहित और सीताराम पोसवाल ‘गुर्जर’ शामिल हैं। एसटी मोर्चा के अध्यक्ष नारायण मीणा को भी प्रमोट करते हुए प्रदेश कार्यकारिणी में मंत्री बनाया गया है। यह दिखाता है कि पार्टी विभिन्न मोर्चों के सक्रिय कार्यकर्ताओं को मुख्यधारा में लाने का प्रयास कर रही है।

अन्य संगठनात्मक और मीडिया पद

संगठनात्मक पदों में कोषाध्यक्ष के रूप में पंकज गुप्ता को जिम्मेदारी मिली है, जबकि डॉ. श्याम अग्रवाल को सह-कोषाध्यक्ष बनाया गया है। प्रकोष्ठ प्रभारी के पद पर विजेन्द्र पूनिया को नियुक्त किया गया है। पार्टी की आवाज़ बनने के लिए प्रवक्ताओं का एक मजबूत पैनल भी तैयार किया गया है, जिसमें सात नए चेहरे शामिल हैं: कैलाश वर्मा, कुलदीप धनकड़, रामलाल शर्मा, दशरथ सिंह, मदन प्रजापत, राखी राठौड़ और स्टेफी चौहान। ये नाम अब पार्टी का पक्ष रखेंगे और मीडिया में उसकी छवि को मजबूत करेंगे।

इसके अलावा, सोशल मीडिया टीम में हीरेन्द्र कौशिक को प्रभारी बनाया गया है, आईटी प्रभारी अविनाश जोशी हैं और मीडिया प्रभारी की जिम्मेदारी प्रमोद कुमार वशिष्ठ को सौंपी गई है। मुकेश पारीक को कार्यालय सचिव बनाया गया है। इन पदों पर ब्राह्मण समुदाय के लोगों की अधिकता संगठन में उनकी मजबूत पकड़ को दर्शाती है।

विधायकों और सांसदों की भूमिका में बदलाव

इस नई कार्यकारिणी में सबसे बड़ी बात यह है कि मदन राठौड़ की टीम में इस बार केवल दो विधायकों को जगह मिली है। बगरू विधायक कैलाश वर्मा और विराट नगर विधायक कुलदीप धनकड़ को प्रदेश प्रवक्ता बनाया गया है। हालांकि, प्रदेश कार्यकारिणी के मूल पदों जैसे उपाध्यक्ष, महामंत्री और मंत्री में किसी भी विधायक या सांसद को शामिल नहीं किया गया है। यह एक बड़ा बदलाव है, जहाँ पार्टी ने संगठन के काम में विधायक-सांसदों की जगह पार्टी कार्यकर्ताओं को तरजीह दी है।

इसका मतलब यह भी है कि मौजूदा विधायक और सांसदों में से कुछ को मंत्रिमंडल और कुछ को राजनीतिक नियुक्तियों में समायोजित किया जा सकता है। यह एक स्पष्ट संकेत है कि पार्टी संगठन और सरकार के बीच एक स्पष्ट विभाजन रेखा खींचना चाहती है, ताकि दोनों अपनी-अपनी भूमिकाओं पर अधिक ध्यान केंद्रित कर सकें। यह निर्णय संगठन को और अधिक मजबूत और कार्यकर्ताओं को प्रेरित करने वाला माना जा रहा है।

बाहर हुए प्रमुख नेता

कई बड़े नाम ऐसे हैं जिन्हें इस बार कार्यकारिणी में जगह नहीं मिल पाई है। इनमें राज्यसभा सांसद चुन्नीलाल गरासिया और सांसद दामोदर अग्रवाल, तिजारा विधायक बाबा बालकनाथ, जितेंद्र गोठवाल, पूर्व राज्यसभा सांसद नारायण पंचारिया, पूर्व मंत्री प्रभुलाल सैनी, पूर्व सांसद सीआर चौधरी, सरदार अजयपाल सिंह और मोतीलाल मीणा जैसे प्रमुख चेहरे शामिल हैं। पिछली कार्यकारिणी के महामंत्रियों में से जितेंद्र गोठवाल, सांसद दामोदर अग्रवाल, पूर्व सांसद संतोष अहलावत और देवनारायण बोर्ड के अध्यक्ष ओमप्रकाश भडाणा को भी बाहर किया गया है। यह निर्णय पार्टी की नई रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है, जो नए नेतृत्व को मौका देने और संगठन को पुनर्जीवित करने पर केंद्रित है।

नए पदों का समावेश और भविष्य की रणनीति

एक और महत्वपूर्ण बदलाव यह है कि इस बार प्रदेश कार्यकारिणी में प्रवक्ता, मीडिया, आईटी और सोशल मीडिया प्रभारी जैसे नए पद भी शामिल किए गए हैं। अभी तक प्रदेश कार्यकारिणी में केवल उपाध्यक्ष, महामंत्री, मंत्री, कोषाध्यक्ष और सह-कोषाध्यक्ष ही शामिल होते थे। इन नए पदों को शामिल करने का मुख्य उद्देश्य अधिक से अधिक कार्यकर्ताओं को प्रदेश कार्यकारिणी में जगह देना और संगठन में उनकी भूमिका को औपचारिक बनाना है। यह आधुनिक राजनीति की आवश्यकताओं के अनुरूप है, जहां डिजिटल मीडिया और प्रभावी संचार की भूमिका बढ़ती जा रही है।

राजस्थान भाजपा की यह बहुप्रतीक्षित कार्यकारिणी जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों का खासा ख्याल रखते हुए बनाई गई है। आगामी संगठनात्मक गतिविधियों और चुनावी तैयारी को देखते हुए, इस नई टीम का गठन बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। यह टीम न सिर्फ पार्टी को जमीनी स्तर पर मजबूत करने का काम करेगी, बल्कि आने वाले समय में होने वाले चुनावों के लिए भी बिसात बिछाएगी। यह नई टीम, नए चेहरों और नई रणनीति के साथ, भाजपा को कितनी मजबूती दे पाती है, यह देखना वाकई दिलचस्प होगा। राजस्थान की राजनीति में, जहाँ अगले कुछ सालों में कई चुनावी चुनौतियाँ सामने होंगी, इस कार्यकारिणी की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण रहने वाली है।

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