नई टीम तैयार: राजस्थान कांग्रेस: जिलाध्यक्षों की नियुक्ति पर दिल्ली में मंथन

राजस्थान कांग्रेस: जिलाध्यक्षों की नियुक्ति पर दिल्ली में मंथन
Rajasthan Congress Govind Singh Dotasara, Ashok Gehlot, Tikaram Jully
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Highlights

  • राजस्थान कांग्रेस में जिलाध्यक्षों की नियुक्ति अंतिम चरण में।
  • 24 अक्टूबर को दिल्ली में अहम बैठक, केसी वेणुगोपाल करेंगे चर्चा।
  • 3000 से अधिक नेताओं ने जिलाध्यक्ष पद के लिए आवेदन किया।
  • संगठनात्मक सक्रियता और स्थानीय पकड़ को मिलेगी प्राथमिकता।

नई दिल्ली: राजस्थान कांग्रेस (Rajasthan Congress) संगठन में जल्द ही बड़ा फेरबदल होगा, 24 अक्टूबर को दिल्ली (Delhi) में अहम बैठक बुलाई गई है जिसमें केसी वेणुगोपाल (KC Venugopal) पर्यवेक्षकों से चर्चा करेंगे और जिलाध्यक्षों की नियुक्ति को अंतिम रूप दिया जाएगा।

दिल्ली में अहम बैठक: राजस्थान कांग्रेस को मिलेगी नई दिशा

राजस्थान कांग्रेस संगठन में लंबे समय से प्रतीक्षित जिलाध्यक्षों की नियुक्ति प्रक्रिया अब अपने निर्णायक चरण में पहुंच गई है।

कांग्रेस नेतृत्व ने इस महत्वपूर्ण संगठनात्मक पुनर्गठन को गति देने के लिए 24 अक्टूबर को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में एक अहम बैठक बुलाई है।

इस बैठक में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल राजस्थान से जुड़े 30 पर्यवेक्षकों के साथ गहन वन-टू-वन फीडबैक मीटिंग करेंगे।

इस दौरान पर्यवेक्षकों द्वारा विभिन्न जिलों से एकत्रित की गई विस्तृत रिपोर्टों पर गंभीरता से चर्चा की जाएगी।

बैठक में राजस्थान प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली भी विशेष रूप से उपस्थित रहेंगे।

इसके अतिरिक्त, पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और पूर्व मुख्यमंत्रियों अशोक गहलोत और सचिन पायलट से भी वेणुगोपाल इन रिपोर्टों के आधार पर विस्तृत रायशुमारी कर सकते हैं।

इस बैठक का प्राथमिक उद्देश्य जिलों के संगठनात्मक हालात की व्यापक समीक्षा करना और नए जिलाध्यक्षों की नियुक्ति को अंतिम रूप देकर संगठन को मजबूत बनाना है।

यह कदम आगामी चुनावों के लिए पार्टी की तैयारियों को एक नई गति प्रदान करेगा।

पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट: जमीनी हकीकत और कार्यकर्ताओं की राय

राजस्थान के सभी 50 जिलों में नियुक्त किए गए 30 केंद्रीय पर्यवेक्षकों ने अपनी विस्तृत रायशुमारी रिपोर्ट पार्टी के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री केसी वेणुगोपाल को पहले ही सौंप दी है।

इन पर्यवेक्षकों ने राहुल गांधी के महत्वाकांक्षी ‘संगठन सृजन अभियान’ के तहत विभिन्न जिलों में जाकर कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों से व्यापक फीडबैक लिया था।

इस फीडबैक प्रक्रिया में स्थानीय नेताओं की राय, संगठनात्मक सक्रियता और जमीनी स्तर पर पार्टी की स्थिति का गहन मूल्यांकन किया गया है।

अब वेणुगोपाल इन सभी रिपोर्टों का विश्लेषण कर प्रदेश प्रभारी और अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ गहन चर्चा करेंगे ताकि जिलाध्यक्षों के नामों को अंतिम रूप दिया जा सके।

सूत्रों के अनुसार, नए जिलाध्यक्षों को पहले की तुलना में अधिक अधिकार दिए जाएंगे, जिससे वे अपने-अपने जिलों में संगठनात्मक गतिविधियों को अधिक प्रभावी ढंग से संचालित कर सकें।

यह निर्णय पार्टी को निचले स्तर तक सशक्त बनाने और स्थानीय मुद्दों पर त्वरित प्रतिक्रिया देने में मदद करेगा।

जोधपुर में दावेदारों की लंबी सूची और चयन प्रक्रिया

उदाहरण के तौर पर, जोधपुर शहर जिला कांग्रेस की बात करें तो यहां जिलाध्यक्ष पद के लिए लगभग 20 नेताओं ने अपनी दावेदारी पेश की थी।

पर्यवेक्षक सुशांत मिश्रा ने जोधपुर में कार्यकर्ताओं, ब्लॉक अध्यक्षों और अन्य पदाधिकारियों से विस्तृत चर्चा कर उनकी राय जानी थी।

बताया जा रहा है कि इन 20 दावेदारों में से छह नामों का एक संभावित पैनल तैयार किया गया है।

अब इस पैनल में शामिल नामों पर पार्टी के शीर्ष नेतृत्व स्तर पर गहन विचार-विमर्श होगा।

चयन प्रक्रिया के दौरान, उम्मीदवारों की संगठनात्मक सक्रियता, पार्टी के प्रति उनकी निष्ठा, स्थानीय स्तर पर उनकी पकड़ और जनसंपर्क क्षमता को प्रमुखता से प्राथमिकता दी जाएगी।

यह सुनिश्चित किया जाएगा कि चयनित जिलाध्यक्ष पार्टी के हितों को सर्वोपरि रखें और संगठन को प्रभावी नेतृत्व प्रदान करें।

3000 से अधिक आवेदन: पार्टी में बढ़ता उत्साह और प्रतिस्पर्धा

राजस्थान कांग्रेस में जिलाध्यक्ष बनने के लिए इस बार कार्यकर्ताओं और नेताओं में अभूतपूर्व उत्साह देखने को मिला है।

पूरे राजस्थान से लगभग 3000 से ज्यादा आवेदन प्राप्त हुए हैं, जो पार्टी में बढ़ते संगठनात्मक सक्रियता और नेताओं की महत्वाकांक्षा को स्पष्ट रूप से दर्शाता है।

राजधानी जयपुर में भी दावेदारों की संख्या काफी अधिक है; जयपुर शहर अध्यक्ष पद के लिए अकेले 32 लोगों ने आवेदन किए हैं।

वहीं, जयपुर ग्रामीण पूर्व और जयपुर ग्रामीण पश्चिम से 60 से अधिक आवेदन प्राप्त हुए हैं, जो ग्रामीण क्षेत्रों में भी पार्टी की पहुंच और प्रभाव को दर्शाता है।

कई वर्तमान विधायकों, पूर्व विधायकों और वरिष्ठ नेताओं ने भी इस बार जिलाध्यक्ष पद के लिए आवेदन किया है, जिससे इस पद के लिए प्रतिस्पर्धा और भी तीव्र हो गई है।

यह बड़ी संख्या पार्टी के भीतर नेतृत्व के लिए एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा का संकेत है, लेकिन साथ ही शीर्ष नेतृत्व के लिए सही उम्मीदवारों का चयन एक चुनौती भी है।

2028 विधानसभा चुनावों की तैयारी और राहुल गांधी का ड्रीम प्रोजेक्ट

कांग्रेस नेतृत्व का स्पष्ट मानना है कि जिला स्तर पर एक मजबूत और सक्रिय संगठन तैयार करने से ही पार्टी आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनावों में बेहतर प्रदर्शन कर सकेगी।

यह पूरी कवायद राहुल गांधी के महत्वाकांक्षी ड्रीम प्रोजेक्ट ‘संगठन सृजन अभियान’ का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

इस अभियान का मुख्य उद्देश्य 2028 के विधानसभा चुनाव वाले राज्यों में पार्टी संगठन को पुनर्गठित कर जमीनी स्तर पर नई ऊर्जा और उत्साह का संचार करना है।

मजबूत जिला इकाईयाँ पार्टी की नीतियों, कार्यक्रमों और संदेशों को जनता तक प्रभावी ढंग से पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

यह कदम पार्टी को निचले स्तर तक मजबूत करके आगामी चुनावों के लिए एक ठोस और सुदृढ़ आधार प्रदान करेगा, जिससे पार्टी की चुनावी संभावनाओं को बल मिलेगा।

संगठन को मजबूत करके ही कांग्रेस जनता के बीच अपनी पैठ बढ़ा सकती है और विपक्षी दलों को चुनौती दे सकती है।

अंतिम निर्णय और औपचारिक घोषणा की प्रतीक्षा

24 अक्टूबर की महत्वपूर्ण बैठक में सभी जिलों के लिए तैयार किए गए छह-छह नामों के पैनल की अंतिम रिपोर्ट एआईसीसी नेतृत्व को सौंपी जाएगी।

इस बैठक के बाद, जल्द ही राजस्थान कांग्रेस में नए जिलाध्यक्षों की नियुक्तियों की औपचारिक घोषणा की जाएगी।

इस घोषणा के साथ ही संगठनात्मक ढांचा पूरी तरह से सक्रिय हो सकेगा और पार्टी अपनी आगामी चुनावी रणनीतियों को अधिक प्रभावी ढंग से लागू कर पाएगी।

यह संगठनात्मक फेरबदल राजस्थान कांग्रेस को एक नई ऊर्जा, स्पष्ट दिशा और मजबूत नेतृत्व प्रदान करने की उम्मीद है, जिससे पार्टी राज्य की राजनीति में अपनी स्थिति को और मजबूत कर सके।

सभी की निगाहें अब 24 अक्टूबर की बैठक और उसके बाद होने वाली घोषणाओं पर टिकी हैं।

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