Rajasthan: वसुन्धरा राजे ने संयम का महत्व लिखा है, क्या बीजेपी ने उन्हें आराम देने का मानस बना लिया है

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वहीं कुछ लोगों का कहना है कि लोकसभा चुनाव के बाद प्रदेश में बदलेगी राजनीति या प्रदेश भाजपा में होगा बड़ा बदलाव, तो वहीं कुछ सियासी जानकार यह भी बोल रहे है कि जब से सीएम भजनलाल शर्मा को बनाया मुख्यमंत्री और दीया कुमारी व प्रेम चंद बैरवा को बनाया उपमुख्यमंत्री तभी से मैडम राजे ने कई बीजेपी की बैठकों में नहीं लिया भाग, अब मैडम राजे ने यह बयान देकर दिया है एक जबरदस्त सियासी संदेश।

जयपुर | वसुन्धरा राजे के साथ राजनीति की शुरूआत करने वाले अब पाला बदल चुके हैं और वसुन्धरा राजे भीड़ में अकेली सी खड़ी हैं। अर्जुन मेघवाल हो या कोई और। देवजी पटेल, दुष्यंत सिंह के नजदीकी हुए और कांग्रेस से आने के बावजूद लगातार तीन टिकट पाए।

राहुल कस्वां भी बाहर हो गए हैं। अब प्रहलाद गुंजल भी रवाना हो चुके हैं। गजेन्द्रसिंह शेखावत से उनकी पहले से ही अदावत रही है। वहीं लोकसभा चुनाव में भी वसुन्धरा राजे को पूछा नहीं जा रहा है। सारे फैसले सीएम भजनलाल शर्मा ले रहे हैं। दस उपाध्यक्ष, पांच महामंत्री, 13 प्रदेश मंत्री, एक कोषाध्यक्ष और एक सह कोषाध्यक्ष बनाया, लेकिन इनमें वसुंधरा कैम्प की विदाई हो गई।

इससे तय है कि वसुन्धरा कैंप की राजस्थान भाजपा से विदाई हो रही है। वसुन्धरा राजे जो कि भाजपा की नियंता रही हैं। आलाकमान की पंसद के बावजूद गजेन्द्रसिंह शेखावत को अध्यक्ष नहीं बनने देने वाले सिंडिकेट की अघोषित प्रमुख रही राजे अब राजनीतिक रूप से अंतिम पारी खेल रही हैं। शिवराज सिंह को सांसद का टिकट दिया है बीजेपी ने मध्यप्रदेश से, लेकिन वसुन्धरा राजे को विधायक ही रहने दिया गया है।

 राजस्थान में भाजपा का पर्याय रहीं वसुन्धरा राजे ने एक ट्वीट लिखा है - जीवन में संयम होना है बहुत आवश्यक, क्योंकि धैर्यवान इंसान हर मुश्किल काम को भी कर सकता है आसानी से, अब मैडम के इस बयान के निकाले जा रहे है सियासी मायने, सियासी पंडितों का कहना है कि यह सियासी संदेश वसुन्धरा राजे ने लिखा है प्रहलाद गुंजल के लिए, दरअसल प्रहलाद गुंजल के भाजपा छोड़ कांग्रेस में शामिल होने की चल रही है चर्चा.

वहीं कुछ लोगों का कहना है कि लोकसभा चुनाव के बाद प्रदेश में बदलेगी राजनीति या प्रदेश भाजपा में होगा बड़ा बदलाव, तो वहीं कुछ सियासी जानकार यह भी बोल रहे है कि जब से सीएम भजनलाल शर्मा को बनाया मुख्यमंत्री और दीया कुमारी व प्रेम चंद बैरवा को बनाया उपमुख्यमंत्री तभी से मैडम राजे ने कई बीजेपी की बैठकों में नहीं लिया भाग, अब मैडम राजे ने यह बयान देकर दिया है एक जबरदस्त सियासी संदेश।

उनके नेतृत्व में राजनीति की शुरूआत करने वाले बाबू सिंह राठौड़, प्रताप पुरी, नारायण सिंह देवल सरीखे नेता अब खामोश हैं और ​कोई तवज्जो भी नहीं है। मेवाड़ में उनके सिपहसालार जो केवल गुलाबचंद कटारिया के कारण अगेन्स्ट ​बीजेपी थे, वे जा चुके हैं भजनलाल शर्मा के कैम्प में। भींडर रणधीर सिंह नाम है उनका। पूर्व रियासती परिवारों में मेवाड़ से विश्वराज सिंह की आमद ने राजे के राजसी चमत्कृत्व को और भी कम किया है। 

वसुन्धरा राजे जिन्होंने बीते बीस साल में अपने आसपास की उस टीम को नहीं बदला, जिसके पास वोट नहीं है। वह टीम जो उनके कामकाज को संभालती है। प्रिंट से टीवी, डिजिटल, सोशल और इंफ्लुएंस मैनेजमेंट तक के दौर में मैडम ने अपने पुराने लोग नहीं बदले। परन्तु ये लोग भी नहीं बदले समय के साथ। उनके ओएसडी महेन्द्र भारद्वाज तो ​मीडिया से भिड़ते तक नजर आए हैं।

वसुन्धरा राजे की उम्र के बावजूद उनकी उर्जा और रेस्पोंसिव पॉलिटिक्स में कभी कमी नहीं देखी गई। कहा जाता हैं कि वह अकेली दिल्ली की सत्ता से भिड़ती रहीं, अपनी टीम के लिए अपनों के लिए, विधानसभा चुनाव की पहली सूची के बाद आई लिस्ट में तो उनकी गजब चली भी। परन्तु सीएम बनाने के नाम पर जब वे ​भजनलाल शर्मा का नाम पुकार रही थीं, तब उनका चेहरा देखने लायक था।

वसुन्धरा राजे की निराशा उनके कार्यकर्ताओं में भी है। बाबू सिंह राठौड़ ने तो गजेन्द्रसिंह शेखावत के साथ बगावत कर भी डाली। चन्द्रभान सिंह अक्या निर्दलीय जीत भी गए। जीवाराम चौधरी भी जीत गए। परन्तु अब क्या? इन्हें वेटेज मिलेगा या नहीं? ये सभी वेटेज की राह तक रहे हैं। वसुन्धरा राजे अभी भी भीड़ में अकेली हैं और राह तक रही है उम्मीदों के एक सूर्य की जो उनकी राजनीतिक यात्रा को एक बार फिर से परवान चढ़ाए।

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