भाजपा की सियासी चाल: सचिन पायलट की करीबी नेता ज्योति खंडेलवाल BJP में शामिल, अब किशनपोल से मिल सकता है टिकट

सचिन पायलट की करीबी नेता ज्योति खंडेलवाल BJP में शामिल, अब किशनपोल से मिल सकता है टिकट
Jyoti Khandelwal Join BJP
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ज्योति खंडेलवाल को सचिन पायलट की करीबी नेता माना जाता है। जयपुर की ही रहने वाली ज्योति पिछले 20 सालों से भी ज्यादा समय से कांग्रेस में रहकर पार्टी के लिए कार्यकर रही थी।

जयपुर | Jyoti Khandelwal Join BJP: राजस्थान में मतदान से पहले कांग्रेस पार्टी को उन्हीं के नेताओं ने बड़ा झटका देकर उनकी मुसीबत और बढ़ा दी है।

शनिवार को कांग्रेस के कई बड़े और दिग्गज नेताओं ने भाजपा का दामन थाम लिया। 

जयपुर की पूर्व मेयर ज्योति खंडेलवाल भी कांग्रेस पार्टी में अपनी अनदेखी होती देख भाजपा में शामिल हो गई हैं। 

ज्योति खंडेलवाल को सचिन पायलट की करीबी नेता माना जाता है। जयपुर की ही रहने वाली ज्योति पिछले 20 सालों से भी ज्यादा समय से कांग्रेस में रहकर पार्टी के लिए कार्यकर रही थी।

लेकिन बार-बार टिकट की मांग करने के बाद भी उन्हें पार्टी ने कोई बड़ा मौका नहीं दिया। 

ज्योति पिछले विधानसभा चुनावों में भी टिकट नहीं मिलने के बाद से काफी नाराज चल रही थी। 

भाजपा में शामिल होने के बाद ज्योति खंडेलवाल ने कहा कि कांग्रेस में कार्यकर्ताओं की कोई कद्र नहीं है। छोटे कार्यकर्ताओं की बात नहीं सुनी जाती, उन्हें दबा दिया जाता है। 

ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में रहकर भाजपा में शामिल होकर जनसेवा करना चाहती हैं। 

किशनपोल सीट से ज्योति को टिकट दे सकती है भाजपा

आपका बता दें कि पिछले दिनों ही ज्योति खंडेलवाल ने वसुंधरा राजे की तारीफ की थी। उसके बाद से ही वो चर्चा में आ गई थीं और उनके भाजपा में शामिल होने के चर्चें शुरू हो गए थे। 

अब उन्होंने भाजपा में शामिल होकर इन चर्चाओं को हकीकत में बदल दिया है। 

कहा जा रहा है कि बीजेपी ज्योति को जयपुर की किशनपोल विधानसभा सीट से उम्मीदवार बना सकती है। 

ज्योति ने अपनी ही सरकार के खिलाफ खोला था मोर्चा 

गौरतबल है कि ज्योति ने जयपुर मेयर रहने के दौरान भी अपनी ही सरकार के खिलाफ धरना दिया था। 

इस दौरान उन्होंने अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए उसे भ्रष्ट सरकार बताया था और सीएम गहलोत को भी निशाने पर लिया था।

यही नहीं साल 2018 में टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने राहुल गांधी को भी पत्र लिखकर अपनी नाराजगी जताई थी। जिसके चलते पार्टी ने उन्हें साल 2019 में सांसद का चुनाव लड़ाया था, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। वो बीजेपी के रामचरण बोहरा से हार गई थीं।

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