Rajasthan: विधायक शोभारानी कुशवाह को हाईकोर्ट से राहत, क्रिमिनल केस रद्द

विधायक शोभारानी कुशवाह को हाईकोर्ट से राहत, क्रिमिनल केस रद्द
शोभारानी कुशवाह को राहत, केस रद्द
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Highlights

  • राजस्थान हाईकोर्ट ने विधायक शोभारानी कुशवाह के खिलाफ आपराधिक मामला रद्द किया।
  • मामला 8 साल पुराना था, जिसमें धोखाधड़ी और साजिश के आरोप थे।
  • कोर्ट ने माना कि विधायक कंपनी में केवल शेयरधारक थीं, प्रबंधन का हिस्सा नहीं।
  • शिकायतकर्ता और कंपनी के बीच विवाद का निपटारा हो चुका है।

जयपुर: राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan High Court) ने धौलपुर (Dholpur) से कांग्रेस विधायक शोभारानी कुशवाह (Shobharani Kushwah) को बड़ी राहत दी है, उनके खिलाफ दायर 8 साल पुराने धोखाधड़ी और साजिश के आपराधिक मामले को रद्द कर दिया है। जस्टिस समीर जैन (Justice Sameer Jain) की अदालत ने विधायक की याचिका स्वीकार करते हुए यह आदेश दिया।

यह मामला साल 2017 में भरतपुर में धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश के आरोपों में दर्ज किया गया था। पुलिस ने इस मामले में सह-आरोपियों के खिलाफ आरोप प्रमाणित मानते हुए चालान पेश किया था, लेकिन कोर्ट ने 18 अक्टूबर 2022 को विधायक शोभारानी कुशवाह के खिलाफ भी संज्ञान ले लिया, जिससे उनकी मुश्किलें बढ़ गई थीं।

8 साल पुराना मामला और न्यायिक प्रक्रिया

विधायक शोभारानी कुशवाह के खिलाफ दर्ज इस एफआईआर के बाद, ट्रायल कोर्ट के संज्ञान लेने के आदेश को चुनौती दी गई थी। हालांकि, एडीजे कोर्ट ने 12 मई 2023 को उनके खिलाफ दायर पुनरीक्षण याचिका को भी खारिज कर दिया था। इन दोनों आदेशों को चुनौती देते हुए विधायक ने राजस्थान हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जहां उन्हें अब बड़ी राहत मिली है और उनके खिलाफ चल रहा आपराधिक मुकदमा समाप्त हो गया है।

विधायक की दलीलें: कंपनी में सीमित भूमिका

केवल शेयरधारक, प्रबंधन से दूर

विधायक की ओर से वरिष्ठ वकील माधव मित्र ने हाईकोर्ट में जोरदार पैरवी की। उन्होंने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता एक महिला हैं और विपक्षी पार्टी की विधायक हैं। उनका कंपनी के दिन-प्रतिदिन के कार्यों से कोई संबंध नहीं है, वे कंपनी में केवल एक शेयरधारक हैं। वकील ने यह भी तर्क दिया कि पुलिस जांच में ऐसा कोई सबूत नहीं मिला है जो याचिकाकर्ता को इस अपराध में प्रत्यक्ष रूप से शामिल दर्शाता हो।

वकील मित्र ने कोर्ट को यह भी जानकारी दी कि कंपनी के खिलाफ पंजाब और छत्तीसगढ़ जैसे अन्य राज्यों में भी इसी तरह के मामले दर्ज हुए थे। महत्वपूर्ण बात यह है कि इन किसी भी मामले में याचिकाकर्ता शोभारानी कुशवाह का नाम शामिल नहीं था। उनके पास कंपनी के मात्र 9 हजार शेयर हैं, जो कंपनी में उनकी सीमित भागीदारी को दर्शाता है।

शिकायतकर्ता से समझौता और सह-आरोपी की रिहाई

माधव मित्र ने कोर्ट को अवगत कराया कि इस मामले में शिकायतकर्ता के साथ कंपनी का समझौता भी हो चुका है। इसके अतिरिक्त, मामले में एक सह-आरोपी को 11 नवंबर 2024 को पहले ही बरी किया जा चुका है। वकील ने जोर देकर कहा कि यह विवाद निवेशक और कंपनी के बीच पूरी तरह से निजी और दीवानी प्रकृति का है। ऐसे में याचिकाकर्ता के खिलाफ ट्रायल कोर्ट में आपराधिक कार्रवाई जारी रखना कानून का दुरुपयोग होगा और पूरी तरह से अनुचित भी।

हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला और तर्क

राजस्थान हाईकोर्ट ने अपने विस्तृत फैसले में विधायक के तर्कों को स्वीकार करते हुए महत्वपूर्ण टिप्पणियां कीं। कोर्ट ने कहा कि पुलिस ने याचिकाकर्ता शोभारानी कुशवाह के खिलाफ कोई आरोप पत्र दायर नहीं किया था। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि वे केवल एक शेयरधारक हैं, न कि कंपनी के प्रबंधन का हिस्सा, जिसका अर्थ है कि उनकी कंपनी के संचालन में कोई सक्रिय भूमिका नहीं थी।

अदालत ने यह भी नोट किया कि शिकायतकर्ता और कंपनी के बीच विवाद का निपटारा पहले ही हो चुका है और मामले में एक सह-आरोपी को भी बरी किया जा चुका है। इन सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए, हाईकोर्ट ने माना कि याचिकाकर्ता के खिलाफ ट्रायल कोर्ट में आपराधिक कार्रवाई जारी रहना अनुचित है। कोर्ट ने यह भी दोहराया कि यह मामला मूल रूप से दीवानी प्रकृति का है, न कि आपराधिक। इस ऐतिहासिक फैसले से धौलपुर विधायक शोभारानी कुशवाह को बड़ी राहत मिली है और उनके राजनीतिक करियर पर मंडरा रहा खतरा टल गया है।

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