Highlights
- अंता उपचुनाव में हार के बाद निर्दलीय नरेश मीणा का बयान।
- मीणा ने कहा, "आज ईमानदारी हार गई और भ्रष्टाचार जीत गया।"
- निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर 53 हजार से अधिक वोट मिले।
- कांग्रेस से टिकट न मिलने पर निर्दलीय चुनाव लड़ा था।
बारां: अंता उपचुनाव (Anta by-election) के नतीजों के बाद निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा (Naresh Meena) का रिएक्शन सामने आया है। चुनावी हार से दुखी मीणा ने कहा कि आज ईमानदारी हार गई और भ्रष्टाचार जीत गया। उन्होंने सर्वसमाज (Sarvsamaj) को 53 हजार से अधिक वोट देने के लिए धन्यवाद भी दिया।
अंता उपचुनाव में मिली हार के बाद निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने चुनावी नतीजों पर गहरा दुख जताते हुए कहा कि यह ईमानदारी की हार और भ्रष्टाचार की जीत है। मीणा ने किसी का नाम लिए बिना, संभवतः प्रमोद जैन भाया की ओर इशारा करते हुए कहा कि उन्होंने अब तक तीन चुनाव लड़े हैं और उन्हें सभी वर्गों का भरपूर प्यार व समर्थन मिला है।
53 हजार से अधिक वोट पाकर सर्वसमाज का जताया आभार
तीसरा चुनाव लड़ रहे नरेश मीणा ने अंता विधानसभा क्षेत्र में 53 हजार से भी अधिक वोट प्राप्त किए। इस भारी समर्थन के लिए उन्होंने सर्वसमाज का हृदय से आभार व्यक्त किया। उन्होंने अपने पिछले ढाई दशक के राजनीतिक संघर्ष का जिक्र करते हुए कहा कि यह उनका अंता में तीसरा चुनाव था, लेकिन इस बार की लड़ाई में भ्रष्टाचार की जीत हुई।
26 महीने में लड़ा तीसरा चुनाव, किसान पुत्र होने पर गर्व
अपने समर्थकों की विशाल भीड़ को संबोधित करते हुए नरेश मीणा ने अपनी पृष्ठभूमि पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, "मैं नरेश मीणा, एक किसान परिवार में पैदा हुआ। एक किसान का बेटा होने के नाते, मैंने 26 महीने के भीतर यह तीसरा चुनाव लड़ा। यह तीसरा चुनाव बारां की पवित्र धरती पर लड़ा गया।" उन्होंने सर्वसमाज द्वारा दिए गए अपार आशीर्वाद के लिए उनके चरणों में प्रणाम किया।
मीणा ने अपनी राजनीतिक यात्रा को भ्रष्टाचार और ईमानदारी के बीच का सीधा संघर्ष बताया। उन्होंने दृढ़ता से कहा, "हमारा 25 साल का लंबा संघर्ष था। हमारी यह लड़ाई भ्रष्टाचार और ईमानदारी के बीच की सीधी लड़ाई थी। मुझे इस बात का गहरा दुख है कि आज ईमानदारी हार गई और भ्रष्टाचार जीत गया।"
कांग्रेस से टिकट न मिलने पर निर्दलीय उतरे मैदान में, बीजेपी को पहुंचाया नुकसान
यह उल्लेखनीय है कि कांग्रेस पार्टी से टिकट न मिलने के बाद नरेश मीणा ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनावी मैदान में उतरने का फैसला किया था। उनके इस कदम से अंता विधानसभा उपचुनाव का मुकाबला सीधे दो दलों के बीच न रहकर त्रिकोणीय हो गया था। मीणा की निर्दलीय उम्मीदवारी ने बीजेपी प्रत्याशी मोरपाल सुमन को काफी नुकसान पहुंचाया, जिसके चलते वे दूसरे नंबर पर रहे और जीत से वंचित रह गए।
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