महिला टीम ने जीता विश्वकप, रचा इतिहास: भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने पहली बार जीता विश्वकप, रचा इतिहास, वर्मा और शर्मा ने जिताया World Cup Final

भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने पहली बार जीता विश्वकप, रचा इतिहास, वर्मा और शर्मा ने जिताया World Cup Final
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Highlights

  • भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने पहली बार विश्वकप जीता।
  • फाइनल मुकाबले में दक्षिण अफ्रीका को हराया।
  • मुंबई के डीवाई पाटिल स्टेडियम में खेला गया ऐतिहासिक मैच।
  • इस जीत पर देशभर में उत्साह और जश्न का माहौल।

मुंबई: भारतीय महिला क्रिकेट टीम (Indian Women's Cricket Team) ने दक्षिण अफ्रीका (South Africa) को हराकर पहली बार विश्वकप (World Cup) जीता है। इस ऐतिहासिक जीत का जश्न देशभर में मनाया जा रहा है।

ऐतिहासिक जीत का क्षण

मुंबई के प्रतिष्ठित डीवाई पाटिल स्टेडियम में खेले गए एक बेहद रोमांचक फाइनल मुकाबले में भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने इतिहास के पन्नों में अपना नाम दर्ज करा लिया है।

टीम इंडिया ने अपने शानदार प्रदर्शन से दक्षिण अफ्रीका को पराजित कर पहली बार महिला क्रिकेट विश्वकप का प्रतिष्ठित खिताब अपने नाम किया है।

भारत ने पहले बल्लेबाजी करते हुए दक्षिण अफ्रीका के सामने 299 रनों का एक चुनौतीपूर्ण और विशाल लक्ष्य स्थापित किया था।

जवाब में, दक्षिण अफ्रीकी टीम भारतीय गेंदबाजों के कसी हुई गेंदबाजी और क्षेत्ररक्षकों के शानदार प्रदर्शन के दबाव में बिखर गई।

वे निर्धारित ओवरों में लक्ष्य हासिल करने में विफल रहीं, जिससे भारत ने एक यादगार और शानदार जीत दर्ज की।

यह विजय भारतीय महिला क्रिकेट के लिए एक नए युग की शुरुआत का प्रतीक है।

वुमैन आफ द मैच का अवार्ड शैफाली वर्मा को दिया गया। जिन्होंने 87 रन की पारी खेलने के साथ—साथ टीम को दो ब्रेकथ्रू विकेट दिलाए।

वहीं मैन आफ द सीरिज का अवार्ड 22 विकेट लेने वाली और 215 रन बनाने वाली दीप्ति शर्मा को मिला।

लंबे इंतजार का सुखद अंत

यह जीत भारतीय महिला क्रिकेट के लिए एक दशकों पुराने इंतजार का सुखद अंत है।

इससे पहले, भारतीय महिला टीम कई बार विश्वकप के फाइनल तक पहुंची थी, लेकिन हर बार खिताब जीतने से चूक जाती थी।

50 ओवर के आईसीसी महिला क्रिकेट विश्व कप में, टीम 2005 और फिर 2017 में फाइनल उपविजेता रही थी, जो दिल तोड़ने वाला अनुभव था।

इसके अतिरिक्त, टीम ने महिला टी20 विश्व कप के फाइनल में भी अपनी जगह बनाई थी, लेकिन वहां भी ट्रॉफी उठाने में असफल रही थी।

इस बार, कप्तान और खिलाड़ियों ने टूर्नामेंट की शुरुआत से ही असाधारण दृढ़ता और दमदार प्रदर्शन किया, जिससे उन्होंने अपनी क्षमता और प्रतिभा का लोहा मनवाया।

टीम के हर सदस्य ने एकजुट होकर प्रदर्शन किया, जिससे यह ऐतिहासिक उपलब्धि संभव हो पाई।

देशभर में जश्न और प्रेरणा का स्रोत

इस ऐतिहासिक और गौरवपूर्ण जीत का जश्न पूरे भारत में बड़े उत्साह और हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है।

प्रधानमंत्री से लेकर देश के दिग्गज क्रिकेटरों, खेल हस्तियों और आम जनता ने भारतीय महिला टीम को इस अभूतपूर्व उपलब्धि के लिए हार्दिक बधाई दी है।

यह जीत न केवल भारतीय क्रिकेट को नई ऊंचाइयों पर ले गई है, बल्कि इसने यह भी एक बार फिर साबित कर दिया है कि भारत की बेटियां किसी भी क्षेत्र में किसी से कम नहीं हैं।

यह विजय देश की लाखों युवा लड़कियों और महिला खिलाड़ियों के लिए एक शक्तिशाली प्रेरणा का स्रोत बनेगी, उन्हें अपने सपनों को पूरा करने के लिए प्रोत्साहित करेगी।

यह भारतीय समाज में महिला सशक्तिकरण का एक जीवंत उदाहरण प्रस्तुत करती है।

दीप्ति शर्मा का ऐतिहासिक प्रदर्शन

दीप्ति शर्मा ने अपने शानदार प्रदर्शन से भारतीय टीम को विश्व कप जिताया।

उन्होंने पांच महत्वपूर्ण विकेट लेकर दक्षिण अफ्रीका की बल्लेबाजी को ध्वस्त कर दिया।

इसमें लौरा वोल्वार्ड्ट का बड़ा विकेट भी शामिल था, जिसे अमनजोत कौर ने तीन प्रयासों में लपका।

खतरनाक जोड़ी डी क्लर्क और ट्रायॉन के एक साथ आने पर, दीप्ति ने सिर्फ तीन और गेंदों में ट्रायॉन को एलबीडब्ल्यू फंसाया।

ट्रायॉन ने रिव्यू लिया लेकिन गेंद लेग स्टंप के शीर्ष को छू रही थी, जिससे अंपायर का फैसला बरकरार रहा और भारत को महत्वपूर्ण सफलता मिली।

हरमनप्रीत कौर का निर्णायक कैच और टीम की जीत

मैच के अंतिम क्षणों में, 45वें ओवर के अंत में, दीप्ति शर्मा ने रन आउट के रूप में आठवां विकेट लिया, जिसमें खाका शॉर्ट पाई गईं।

दक्षिण अफ्रीका को अंतिम पांच ओवरों में 53 रन चाहिए थे, लेकिन वे 52 रन से पीछे रह गईं।

नादिन डी क्लर्क अंत में आउट हो गईं, जब उन्होंने अंदर-बाहर शॉट खेला और हरमनप्रीत कौर ने कवर से पीछे दौड़कर, उछलकर गेंद को लपका और विश्व कप पर मुहर लगा दी।

कप्तान हरमनप्रीत कौर, जो कुछ रात पहले डगआउट में भावुक थीं, ने इस निर्णायक कैच से टीम को जीत दिलाई।

भविष्य की ओर एक कदम

जीत के बाद अमनजोत कौर ने कहा कि यह सिर्फ शुरुआत है और भारतीय टीम हर प्रारूप में दुनिया पर हावी होगी।

यह तीसरी बार था जब भारतीय महिला टीम फाइनल में पहुंची थी, इससे पहले 2005 और 2007 में मिताली राज के नेतृत्व में।

मिताली राज, झूलन गोस्वामी और डायना एडुल्जी जैसे दिग्गज भी इस ऐतिहासिक पल के गवाह बने।

इन सभी ने भारतीय महिला क्रिकेट के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और अब वे इस जीत का आनंद ले सकते हैं।

भारतीय महिला क्रिकेट टीम का विश्वकप में पूर्व प्रदर्शन

भारतीय महिला क्रिकेट टीम का 50 ओवर के विश्वकप में प्रदर्शन हमेशा से ही संघर्षपूर्ण और उतार-चढ़ाव भरा रहा है।

टीम ने अब तक कुल 341 एक-दिवसीय (ODI) अंतरराष्ट्रीय मैच खेले हैं, जिनमें 187 में जीत हासिल की है, जबकि 147 में हार का सामना करना पड़ा है।

इसके अलावा, 2 मैच टाई रहे और 5 मैचों का कोई परिणाम नहीं निकला।

विश्वकप में प्रमुख पड़ाव:

1982 के टूर्नामेंट में भारत ग्रुप स्टेज में ही बाहर हो गया था, जो टीम के शुरुआती संघर्षों को दर्शाता है।

1988 में, भारतीय टीम ने वित्तीय और अन्य कारणों से टूर्नामेंट में भाग नहीं लिया था।

1993 में भी भारत ग्रुप स्टेज से आगे बढ़ने में असफल रहा था।

1997 में, टीम ने अपने प्रदर्शन में सुधार किया और सेमीफाइनल तक का सफर तय किया, जो एक महत्वपूर्ण कदम था।

2005 में, भारत पहली बार विश्वकप के फाइनल में पहुंचा, लेकिन खिताब जीतने में सफल नहीं हो पाया, जो एक कड़वी हार थी।

2009 और 2013 के टूर्नामेंट में टीम ग्रुप स्टेज से आगे नहीं बढ़ पाई थी, जिससे उम्मीदें धूमिल हुई थीं।

2017 में, भारतीय टीम ने एक बार फिर शानदार प्रदर्शन करते हुए फाइनल में जगह बनाई, पर दुर्भाग्यवश खिताब जीतने में असफल रही थी, एक बार फिर उपविजेता बनकर संतोष करना पड़ा था।

इन सभी प्रयासों और अनुभवों के बाद, 2024 में यह पहली बार है जब भारतीय महिला टीम ने आखिरकार विश्वकप ट्रॉफी को अपने हाथों में उठाया है, जो उनकी कड़ी मेहनत और लगन का परिणाम है।

भारत की मजबूत शुरुआत और अहम साझेदारियां

बारिश के कारण दो घंटे की देरी से शुरू हुए इस महत्वपूर्ण मुकाबले में भारत ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया।

सलामी बल्लेबाज शेफाली वर्मा और स्मृति मंधाना ने टीम को शानदार शुरुआत दी, पहले विकेट के लिए 104 रनों की साझेदारी की।

शेफाली वर्मा ने आक्रामक अंदाज में बल्लेबाजी करते हुए 87 रनों की बेहतरीन पारी खेली, जिसमें उन्होंने कई आकर्षक चौके और छक्के जड़े।

स्मृति मंधाना ने भी 45 रनों का महत्वपूर्ण योगदान दिया, जिसमें उनके पसंदीदा बैक-कट और कवर ड्राइव शॉट्स शामिल थे।

हालांकि, मंधाना के आउट होने के बाद रनों की गति थोड़ी धीमी पड़ी, लेकिन शेफाली ने अपना खेल जारी रखा।

मध्यक्रम का योगदान और दीप्ति शर्मा का अर्धशतक

शेफाली वर्मा के आउट होने के बाद, दीप्ति शर्मा ने जिम्मेदारी संभाली और 58 रनों की महत्वपूर्ण अर्धशतकीय पारी खेली।

उन्होंने एक छोर संभाले रखा और लगातार स्ट्राइक रोटेट करती रहीं, जिससे टीम का स्कोर आगे बढ़ता रहा।

जेमिमा रोड्रिग्स और हरमनप्रीत कौर ने भी अच्छी शुरुआत की, लेकिन बड़ी पारियों में तब्दील नहीं कर पाए।

रिचा घोष ने अंत में तेजी से रन बनाए, 24 गेंदों पर 34 रन की पारी में तीन चौके और दो छक्के शामिल थे।

उनकी पारी ने भारत को एक सम्मानजनक स्कोर तक पहुंचाने में मदद की, खासकर तब जब दक्षिण अफ्रीका के गेंदबाजों ने वापसी की थी।

दक्षिण अफ्रीका की कसी हुई गेंदबाजी

दक्षिण अफ्रीका की गेंदबाज आयबोंगा खाका ने नई गेंद से महंगे स्पेल के बाद शानदार वापसी की।

उन्होंने अपने अंतिम सात ओवरों में केवल 29 रन दिए और शेफाली वर्मा, जेमिमा रोड्रिग्स और रिचा घोष के महत्वपूर्ण विकेट चटकाए।

खाका ने कुल 3 विकेट लेकर भारतीय बल्लेबाजी क्रम को झटके दिए, खासकर अंतिम ओवरों में।

नदीन डी क्लर्क और नॉनकुलुलेको म्लाबा ने भी बीच के ओवरों में कसी हुई गेंदबाजी की, जिससे भारत की रन गति पर अंकुश लगा।

अंतिम 10 ओवरों में भारतीय टीम केवल 69 रन ही बना सकी, जो 320 से अधिक के स्कोर की उम्मीदों पर पानी फेर गया।

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