Highlights
- पाली का कपड़ा उद्योग उद्यमियों की आपसी खींचतान और बकाया भुगतान के कारण संकट में है।
- ट्रीटमेंट प्लांट 6 के बाद अब प्लांट 4 ने भी फैक्ट्रियों का प्रदूषित पानी लेना बंद कर दिया है।
- प्लांट बंद होने से रोजाना 20-25 करोड़ रुपए का उत्पादन प्रभावित हो रहा है और कई फैक्ट्रियां बंद पड़ी हैं।
- सीईटीपी फाउंडेशन में पदाधिकारियों की खींचतान के चलते कोई कमान संभालने वाला नहीं है।
पाली: पाली (Pali) में उद्यमियों की खींचतान से कपड़ा उद्योग संकट में है। बकाया के कारण ट्रीटमेंट प्लांट 6 (Plant 6) व 4 (Plant 4) ने प्रदूषित पानी लेना बंद किया, जिससे उत्पादन प्रभावित है।
पाली का कपड़ा उद्योग इन दिनों गंभीर संकट से जूझ रहा है। उद्यमियों की आपसी खींचतान और ट्रीटमेंट प्लांटों पर करोड़ों रुपये के बकाया भुगतान के कारण स्थिति बद से बदतर होती जा रही है।
पहले ट्रीटमेंट प्लांट संख्या 6 ने 10 नवंबर से फैक्ट्रियों का प्रदूषित पानी लेना बंद कर दिया था, और अब 25 नवंबर की दोपहर से ट्रीटमेंट प्लांट संख्या 4 का संचालन करने वाली कंपनी ने भी यही कदम उठाया है।
इस वजह से रोजाना 20-25 करोड़ रुपए का उत्पादन प्रभावित हो रहा है, जिससे सैकड़ों फैक्ट्रियां बंद होने के कगार पर हैं या पूरी तरह बंद हो चुकी हैं।
इस संकट से परेशान उद्यमी अब जिला कलेक्टर से हस्तक्षेप की गुहार लगा रहे हैं, ताकि इन ट्रीटमेंट प्लांटों को फिर से शुरू किया जा सके और कपड़ा उद्योग को बचाया जा सके। पाली में लगभग 700 फैक्ट्रियां हैं, जिनमें से 583 रेड कैटेगरी की हैं, जो रंगीन पानी छोड़ती हैं। इन फैक्ट्रियों के लिए प्रदूषित पानी का उपचार अनिवार्य है।
आपसी खींचतान से निष्क्रिय हुआ सीईटीपी फाउंडेशन
इस संकट की जड़ में सीईटीपी (कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट) फाउंडेशन के पदाधिकारियों के बीच चल रही आपसी खींचतान है। इस खींचतान के चलते फाउंडेशन के अध्यक्ष अशोक लोढ़ा, सचिव एसपी चोपड़ा और कोषाध्यक्ष प्रवीण कोठारी ने हाल ही में अपने पदों से इस्तीफा दे दिया था। उनके इस्तीफे के बाद से सीईटीपी की कमान किसी ने नहीं संभाली है, जिससे प्लांटों के संचालन और बकाया भुगतान जैसे महत्वपूर्ण निर्णय अधर में लटक गए हैं।
फाउंडेशन की निष्क्रियता का सीधा असर ट्रीटमेंट प्लांट 4 और 6 पर पड़ा है, जिसके कारण उन्हें अपनी सेवाएं बंद करनी पड़ीं। इसका परिणाम यह हुआ कि कई उद्यमियों को अपनी फैक्ट्रियां बंद करनी पड़ीं, जिससे उन्हें भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है।
कई उद्यमियों ने तो सोशल मीडिया पर संदेश चलाकर जिला कलेक्टर से इस मामले में हस्तक्षेप करने और समाधान निकालने का निवेदन किया है, ताकि प्लांट फिर से संचालित हो सकें और फैक्ट्रियां दोबारा शुरू हो सकें।
करोड़ों का बकाया बनी प्लांट बंद होने की मुख्य वजह
ट्रीटमेंट प्लांट 6 पर 11 करोड़ का बकाया
ट्रीटमेंट प्लांट संख्या 6 का संचालन करने वाली स्वराष्ट्र कंपनी के मैनेजर मुरुगेश थंगराज ने बताया कि उनके प्लांट पर मंडिया रोड और इंडस्ट्रीज फेज एक-दो का अनट्रीट पानी आता है। इस प्लांट की क्षमता 12 एमएलडी (मिलियन लीटर प्रतिदिन) है, और यह लगभग 7 एमएलडी अनट्रीट पानी लेता था।
सीईटीपी में प्रोजेक्ट का 8 करोड़ रुपए और ऑपरेशन व मेंटेनेंस का 3 करोड़ रुपए बकाया चल रहा है। इस कुल 11 करोड़ रुपए के बकाया के कारण प्लांट के संचालन में भारी परेशानी आ रही थी, जिसके चलते 10 नवंबर से फैक्ट्रियों का अनट्रीट पानी लेना बंद कर दिया गया है।
ट्रीटमेंट प्लांट 4 पर भी भारी बकाया
इसी तरह, ट्रीटमेंट प्लांट संख्या 4 का संचालन करने वाली त्रिवेणी कंपनी के प्लांट मैनेजर प्रबल सिंह ने बताया कि सीईटीपी में प्रोजेक्ट के 31 करोड़ रुपए और प्लांट ऑपरेशन व मेंटेनेंस के साढ़े 5 करोड़ रुपए बकाया हैं।
इस भारी बकाया के चलते 25 नवंबर की दोपहर से फैक्ट्रियों का अनट्रीट पानी लेना बंद कर दिया गया है। इस प्लांट की क्षमता भी 12 एमएलडी है और यह पूनायता औद्योगिक क्षेत्र की इकाइयों से लगभग 5 एमएलडी अनट्रीट पानी लेता था।
ट्रीटमेंट लागत और भुगतान पर सवाल
उल्लेखनीय है कि उद्यमियों ने सरकार के सहयोग से पूनायता औद्योगिक क्षेत्र में ट्रीटमेंट प्लांट 6 का निर्माण 100 करोड़ रुपए की लागत से करवाया था, जबकि ट्रीटमेंट प्लांट 4 का निर्माण 54 करोड़ रुपए की लागत से किया गया था। दोनों प्लांटों की क्षमता 12-12 एमएलडी है।
फैक्ट्रियों से निकलने वाले रासायनिक पानी को ट्रीट करने के लिए उद्यमियों से पहले 2100 रुपए प्रति केएलडी (किलोलिटर प्रतिदिन) चार्ज लिया जाता था, जिसे बढ़ाकर अब 2900 रुपए प्रति केएलडी सीईटीपी फाउंडेशन को दिया जा रहा है।
इसके बावजूद, प्लांट संचालित करने वाली कंपनियों को फाउंडेशन की ओर से करोड़ों रुपए का भुगतान न करना कई तरह के सवाल खड़े करता है। यह स्थिति उद्योगपतियों और पर्यावरण दोनों के लिए चिंताजनक है।
पर्यावरण पर गंभीर असर: चोरी-छिपे प्रदूषण
ट्रीटमेंट प्लांट बंद होने का सीधा असर पर्यावरण पर भी दिख रहा है। पाली शहर के पूनायता औद्योगिक क्षेत्र में नदी और एक नाले में रंगीन पानी बहता नजर आया।
यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि कुछ उद्यमी अभी भी चोरी-छिपे अपनी फैक्ट्रियों का संचालन कर रहे हैं और प्रदूषित रंगीन पानी को सीधे नदी-नालों में छोड़ रहे हैं। यह न केवल पर्यावरण नियमों का उल्लंघन है, बल्कि स्थानीय जल स्रोतों और पारिस्थितिकी तंत्र के लिए भी गंभीर खतरा है।
जिला प्रशासन और संबंधित विभागों को इस पर तत्काल ध्यान देने और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की आवश्यकता है ताकि पर्यावरण को और अधिक नुकसान से बचाया जा सके।
राजनीति