स्मृति शेष: पुलिस प्रशासनिक सेवा के शिखर पुरुष: आईजी साहब भूपत सिंह चौहान का प्रेरणादायक जीवन

पुलिस प्रशासनिक सेवा के शिखर पुरुष: आईजी साहब भूपत सिंह चौहान का प्रेरणादायक जीवन
श्री भूपत सिंह चौहान पिपरली
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Highlights

वर्ष 1984 में वे राजपत्रित अधिकारी के रूप में नियुक्त हुए और 38 वर्षों की शानदार सेवा देने के बाद 2022 में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल से सेवानिवृत हुए। इस दौरान उन्होंने देश के विभिन्न हिस्सों में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। हमारे गांव पिपरली में 29 मार्च 1962 को जन्मे भूपत सिंहजी ने राजस्थान के माउंट आबू में अपनी पहली पोस्टिंग प्राप्त की।

इसके बाद वे पंजाब, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, जम्मू-कश्मीर, त्रिपुरा, तमिलनाडु, दिल्ली, कर्नाटक समेत कई राज्यों में कई बार तैनात रहे। माउंट आबू में 2013 से फरवरी 2017 तक आंतरिक सुरक्षा अकादमी के निदेशक पद पर कार्यरत रहे और उसके बाद कोयम्बटूर और त्रिपुरा में सेवा दी। उनकी अंतिम पोस्टिंग नीमच रही और वहीं से वे सेवानिवृत्त हुए।

मेरे आदर्श एवं प्रेरक, आंतरिक सुरक्षा अकादमी केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के पूर्व निदेशक एवं महानिरीक्षक रहे भूपत सिंह चौहान पिपरली का असमय हमारे बीच से चले जाना एक ऐसी क्षति है जिसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता। चौहान साहब से प्रेरणा लेकर कई लोगों ने प्रशासनिक जीवन में कदम रखा। उन्होंने जीवन में कर्म को प्रधानता दी और अपने कर्मों को आदर्श और प्रेरणा के स्तर तक पहुंचाया।

वे हमारे मार्गदर्शक, अग्रज और प्रेरणास्रोत थे। मुझ जैसे सैकड़ों लोगों ने भूपत सिंह चौहान को अपना आदर्श माना और उन्होंने अपनी कर्तव्यनिष्ठा से हमें हमेशा गौरवान्वित किया। उनके कर्मप्रधान जीवन से हमें मार्गदर्शन मिला और अनेक लोगों का जीवन संवर गया। उनका यूं चले जाना हम सबके लिए एक गहरे सन्नाटे से भर देता है।

सब कुछ ठीक चल रहा था कि अचानक सूचना मिली कि आदरणीय भूपत सिंहजी की कार का एक्सीडेंट हो गया है और वे अब हमें छोड़कर चले गए हैं। यह खबर सुनते ही पूरे मन और मस्तिष्क पर एक गहरा सन्नाटा छा गया। वे जोधपुर से सूरतगढ़ के लिए अपनी कार से जा रहे थे, जब रास्ते में किसी अज्ञात वाहन ने उनकी कार को टक्कर मार दी और वे हमारे बीच नहीं रहे।

वर्ष 1984 में वे राजपत्रित अधिकारी के रूप में नियुक्त हुए और 38 वर्षों की शानदार सेवा देने के बाद 2022 में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल से सेवानिवृत हुए। इस दौरान उन्होंने देश के विभिन्न हिस्सों में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। हमारे गांव पिपरली में 29 मार्च 1962 को जन्मे भूपत सिंहजी ने राजस्थान के माउंट आबू में अपनी पहली पोस्टिंग प्राप्त की।

इसके बाद वे पंजाब, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, जम्मू-कश्मीर, त्रिपुरा, तमिलनाडु, दिल्ली, कर्नाटक समेत कई राज्यों में कई बार तैनात रहे। माउंट आबू में 2013 से फरवरी 2017 तक आंतरिक सुरक्षा अकादमी के निदेशक पद पर कार्यरत रहे और उसके बाद कोयम्बटूर और त्रिपुरा में सेवा दी। उनकी अंतिम पोस्टिंग नीमच रही और वहीं से वे सेवानिवृत्त हुए।

वे एक प्रतिभाशाली अधिकारी थे और पुलिसिंग तथा प्रशिक्षण के क्षेत्र में पुरोधा माने जाते थे। उनके आकस्मिक निधन से पूरे केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल में शोक की लहर है। अकादमी के सभी अधिकारियों, अधीनस्थ अधिकारियों, और जवानों के शोक भरे संदेश उनके प्रति सम्मान का प्रतीक हैं। यह उनकी जीवनपर्यन्त की गई सेवा का ही परिणाम है।

अब उनके चले जाने के बाद नीमच में पोस्टिंग के वक्त का वह वीडियो, जिसमें देश के गृहमंत्री श्री अमित शाह उन्हें सर्वश्रेष्ठ प्रशिक्षण संस्थान के बतौर बेहतरीन काम के लिए सम्मानित कर रहे हैं, देखकर हमारा सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है। अब जब उस वीडियो को फिर से देखते हैं तो आंसू आ जाते हैं। लेकिन ये आंसू उनके प्रति गर्व और सम्मान से भरे हुए हैं। हम सभी, हमारा पूरा पिपरली गांव, उनके परिचित, साथी, और विभाग के लोग अश्रुपूरित श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।

महानायकों की श्रेणी में विराजमान, प्रशासनिक सेवा के आदर्श, और समर्पण की मूर्ति, आईजी साहब भूपत सिंह चौहान पिपरली, केवल एक अधिकारी नहीं, बल्कि समाज के लिए एक प्रेरणा स्रोत, एक मार्गदर्शक और एक जीवंत उदाहरण थे। उनकी जीवन यात्रा न केवल कर्म और कर्तव्यनिष्ठा की मिसाल थी, बल्कि उन्होंने अपने अद्वितीय कार्यों से प्रशासनिक सेवा को एक नई दिशा दी। चौहान साहब की नेतृत्व क्षमता, समाज के प्रति उनकी प्रतिबद्धता, और देश की सुरक्षा के लिए उनका समर्पण, उन्हें उन व्यक्तियों की श्रेणी में स्थान देता है, जिनके कृतित्व की गूंज सदियों तक बनी रहेगी। उनके असमय निधन से जो शून्यता उत्पन्न हुई है, वह अपूरणीय है, लेकिन उनके द्वारा स्थापित मूल्य और आदर्श हमेशा हमारे मार्गदर्शक रहेंगे।

श्रद्धासहित नमन

— किशन सिंह चौहान पिपरली


(लेखक राजस्थान पुलिस सेवा में उप अधीक्षक (RPS) हैं।)

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