Highlights
- तीन जैन श्रावक करोड़ों का कारोबार और लग्जरी लाइफ छोड़कर दीक्षा ले रहे हैं।
- फरीदाबाद, मुंबई और उदयपुर के ये बिजनेसमैन 5 अक्टूबर को उदयपुर में दीक्षा लेंगे।
- एक बिजनेसमैन की पत्नी 4 साल पहले ही साध्वी बन चुकी हैं।
- आचार्य पुण्य सागर महाराज के चातुर्मास में होगा दीक्षा समारोह।
उदयपुर | देश के दो जाने-माने बिजनेसमैन और एक कमीशन एजेंट अपना करोड़ों का कारोबार और आलीशान जिंदगी छोड़कर धर्म के पथ पर आगे बढ़ने वाले हैं। यह तीनों जैन श्रावक 5 अक्टूबर को उदयपुर में चल रहे आचार्य पुण्य सागर महाराज के चातुर्मास में दीक्षा ग्रहण करेंगे।
इनमें से एक बिजनेसमैन की पत्नी ने तो 4 साल पहले ही दीक्षा ले ली थी और अब वे खुद अपने तीनों बेटों और घर-परिवार को छोड़कर धर्म के मार्ग पर चलने वाले हैं। उदयपुर के विद्या निकेतन स्कूल (सेक्टर 4) में होने वाले इस दीक्षा समारोह की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं।
दीक्षा लेने वाले इन तीनों जैन श्रावकों में फरीदाबाद (हरियाणा) के आदर्श कुमार जैन, मुंबई में रहने वाले अरविंद कोटड़िया और मूल रूप से उदयपुर के लेकिन मुंबई में रहने वाले देवीलाल भोरावत शामिल हैं। दीक्षार्थियों की शोभायात्रा और गोद भराई का कार्यक्रम आज शाम 6 बजे होगा।
इससे पहले शुक्रवार को हल्दी और मेहंदी की रस्म भी धूमधाम से संपन्न हुई। आचार्य पुण्य सागर महाराज जुलाई से उदयपुर में चातुर्मास कर रहे हैं और इसी दौरान तीनों जैन श्रावकों को दीक्षा दिलाई जाएगी।
करोड़ों का स्पेयर पार्ट्स का काम छोड़ा
फरीदाबाद के रहने वाले 68 वर्षीय बिजनेसमैन आदर्श कुमार जैन ने बताया कि उनका पेपर मिल के स्पेयर पार्ट्स बनाने का काम था। कमाई अच्छी हो रही थी, लेकिन उनका मन काम में कम और धर्म की तरफ ज्यादा लगता था। उनके मन में बार-बार यह विचार आता था कि उन्हें स्थायी सुख नहीं मिल रहा है।
वे समय निकालकर प्रभु भक्ति और धर्म-कर्म करते थे। एक बार सम्मेदशिखर में उन्होंने पुण्य सागर महाराज के दर्शन किए थे, जिनसे वे इतने प्रभावित हुए कि अब कारोबार छोड़कर दीक्षा लेकर जीवन को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया है। आदर्श कुमार जैन ने 1980 में रूड़की यूनिवर्सिटी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की थी।
उन्होंने 1992 तक एस्कॉर्ट लिमिटेड फरीदाबाद में मोटरसाइकल डिवीजन में असिस्टेंट मैनेजर प्रॉडक्शन के पद पर काम किया। इसके बाद उन्होंने अपना बिजनेस शुरू किया, जिसका सालाना टर्नओवर 3 करोड़ रुपए था। उनके परिवार में पत्नी पूनम जैन, दो बेटे और एक बेटी डॉ. प्राची हैं।
2000 किलोमीटर गुरु के साथ चलने पर दीक्षा लेने का मन बनाया
मुंबई के मलाड में रहने वाले 76 वर्षीय अरविंद कोटड़िया पावरलूम कमीशन एजेंट का काम करते थे। वे लाखों रुपए का सालाना व्यवसाय करते हुए एक लग्जरी लाइफ जी रहे थे, लेकिन अब इसे त्याग कर संयम का रास्ता अपनाने जा रहे हैं।
उन्होंने बताया कि जब गुरुदेव आचार्य पुण्य सागर महाराज मुंबई से नासिक की तरफ विहार कर रहे थे, तब उनका मन ऐसा बना कि वे घर नहीं जाकर गुरुदेव के साथ ही आगे बढ़ें। देखते ही देखते वे 2000 किलोमीटर की यात्रा कर शिखरजी तक पैदल ही चले गए।
उसके बाद भले ही वे मुंबई लौट आए, लेकिन उनका मन पक्का हो चुका था कि अब उन्हें अपनी आत्मा का कल्याण करने का रास्ता अपनाना होगा। उनका मन अब पूरी तरह से दृढ़ है और अब दीक्षा होने जा रही है। उनके परिवार में पत्नी सुलोचना, पुत्र धर्मेश और दो बेटियां अनिता व पूर्वी हैं।
पत्नी ने 4 साल पहले ली थी दीक्षा
76 वर्षीय बिजनेसमैन देवीलाल जैन मूल रूप से उदयपुर जिले के बंबोरा के पास गुड़ली गांव के रहने वाले हैं। वे 13 साल की उम्र में अपना गांव छोड़कर नौकरी के लिए अहमदाबाद चले गए थे और 15 साल की उम्र में अहमदाबाद से मुंबई आ गए।
उन्होंने बताया कि 2009 में मुंबई में गुरुदेव के दर्शन हुए थे, तभी उन्होंने अपनी आत्मा के कल्याण का मन बनाया। इस बीच उनकी पत्नी बबली देवी ने 3 दिसंबर 2021 को आचार्य पुण्य सागर महाराज के पास सम्मेद शिखर में दीक्षा ग्रहण कर ली। आज वे आर्यिका नियम मति माताजी के नाम से धर्म आराधना कर रही हैं।
इससे पहले देवीलाल जैन और उनकी पत्नी ने 15 साल तक ब्रह्मचर्य व्रत का पालन किया था। देवीलाल जैन का इलेक्ट्रिक और हार्डवेयर का बिजनेस है, जिसे वे अपने दो बेटों पंकज और राकेश को सौंपकर धर्म के पथ पर आगे बढ़ने के लिए दीक्षा लेने जा रहे हैं। उनका एक बेटा भारत की टीसीएस कंपनी में कार्यरत है।
दीक्षार्थियों की शोभायात्रा आज
उदयपुर के श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर हिरणमगरी सेक्टर 4 के अध्यक्ष झमकलाल अखावत ने बताया कि दीक्षार्थियों की आज शाम 6 बजे के करीब भव्य शोभायात्रा निकाली जाएगी। इससे पहले शुक्रवार शाम को हल्दी और मेहंदी की रस्म हुई, जिसमें श्राविकाओं ने सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दीं। कल दीक्षा समारोह होगा, जिसमें ये तीनों श्रावक सांसारिक मोहमाया त्यागकर संयम पथ पर अग्रसर होंगे।