Highlights
- जयपुर स्टेशन पर वरिष्ठ नागरिक तीर्थ यात्रा योजना में हंगामा।
- तय संख्या से अधिक यात्री पहुंचने पर 120 बुजुर्गों को वापस भेजा गया।
- देवस्थान विभाग ने ज्यादा लोगों को फोन कर बुलाया था।
- यात्रियों ने अधिकारियों पर लापरवाही और बदसलूकी का आरोप लगाया।
जयपुर: जयपुर (Jaipur) रेलवे स्टेशन पर देवस्थान विभाग (Devasthan Vibhag) की फ्री तीर्थ यात्रा योजना में शामिल होने आए बुजुर्गों ने हंगामा किया। तय संख्या से अधिक यात्री पहुंचने पर लगभग 120 बुजुर्गों को वापस घर भेज दिया गया, जिससे वे आक्रोशित हो गए।
मंगलवार को जयपुर रेलवे स्टेशन पर देवस्थान विभाग की वरिष्ठ नागरिक तीर्थ यात्रा योजना-2025 के तहत गंगासागर (पश्चिम बंगाल) की यात्रा पर जाने वाले बुजुर्ग यात्रियों ने हंगामा शुरू कर दिया। ये सभी यात्री वातानुकूलित (AC) ट्रेन 'राजस्थान वाहिनी भारत गौरव' से अपनी तीर्थ यात्रा पर जाने वाले थे। विभाग द्वारा चयनित एक हजार यात्रियों को भेजा जाना था, लेकिन स्टेशन पर तय संख्या से काफी अधिक यात्री पहुंच गए। इस कारण लगभग 120 बुजुर्गों को वापस घर लौटने के लिए कह दिया गया, जिससे वे आक्रोशित हो उठे।
क्यों हुआ यह हंगामा?
देवस्थान विभाग की ओर से इस तीर्थ यात्रा के लिए जयपुर, उदयपुर और अजमेर संभाग से कुल 1000 बुजुर्गों को ले जाना था। जयपुर संभाग से 270, उदयपुर से 350 और अजमेर संभाग से 350 यात्रियों का चयन किया गया था। विभाग के सहायक आयुक्त महेंद्र देवतवाल ने बताया कि हर बार तय संख्या से अधिक लोगों को फोन करके बुलाया जाता है, क्योंकि कुछ लोग किन्हीं कारणों से यात्रा पर नहीं पहुंच पाते। इस बार जयपुर संभाग से 270 यात्रियों के स्थान पर लगभग 350 लोगों को फोन किया गया। हालांकि, इस बार उम्मीद से कहीं ज्यादा बुजुर्ग यात्री रेलवे स्टेशन पहुंच गए, जिससे स्थिति असमंजस भरी हो गई और विभाग को अतिरिक्त यात्रियों को वापस भेजना पड़ा।
यात्रियों का आक्रोश और गंभीर आरोप
जिन बुजुर्ग यात्रियों को यात्रा से वंचित कर दिया गया, उन्होंने और उनके परिजनों ने जयपुर रेलवे स्टेशन पर जमकर हंगामा किया। शाम 5 बजे जब टिकट वितरण के दौरान कई बुजुर्गों को टिकट नहीं मिले, तो उनके परिजनों ने स्टेशन के बाहर बने टेंट में विरोध प्रदर्शन किया। स्थिति इतनी बिगड़ गई कि मौके पर मौजूद अधिकारियों और परिजनों के बीच हाथापाई तक की नौबत आ गई।
एक बुजुर्ग महिला यात्री ने अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा, "अगर हमें तीर्थ यात्रा नहीं करवानी थी तो बुलाया क्यों गया? मैं तो पटरी पर जाकर सो जाऊंगी।" कई यात्रियों ने राजस्थान सरकार से मांग की कि यदि उन्हें ट्रेन से नहीं भेजा जा सकता तो सरकार उन्हें बस से ही सही, तीर्थ यात्रा पर भेजे। कुछ यात्रियों ने आधा किराया देने तक की पेशकश की।
प्रशासनिक लापरवाही और बदइंतजामी
एक अन्य बुजुर्ग यात्री ने अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उनके फॉर्म तक फाड़ दिए गए। उन्होंने बताया कि उन्हें दो बार फोन करके यात्रा की सूचना दी गई थी, जिसके बाद वे इतनी दूर से जयपुर रेलवे स्टेशन पहुंचे थे। यात्रियों ने यह भी शिकायत की कि वे सुबह से स्टेशन पर बैठे थे, लेकिन उन्हें चाय-पानी तक नहीं दिया गया।
झुंझुनूं के खेतड़ी निवासी प्रवीण कुमावत ने बताया कि उनकी मां भगवती देवी (62) और पिता राधेश्याम कुमावत (72) को दो बार फोन आया था। इसके बाद वे तीर्थयात्रा के लिए जयपुर रेलवे स्टेशन पहुंचे, लेकिन अब उन्हें बताया जा रहा है कि ज्यादा यात्री आने से टिकट नहीं मिल सकते। यह उनके साथ सरासर नाइंसाफी है।
भोजन व्यवस्था में भेदभाव और असंतोष
यात्रियों ने बताया कि रेलवे स्टेशन पर भोजन की व्यवस्था केवल उन लोगों के लिए की गई थी, जिन्हें तीर्थ यात्रा के लिए टिकट दिए गए थे। दूर-दराज के जिलों से आए जिन यात्रियों को वापस भेजा गया, उन्हें भूखे-प्यासे ही घर लौटना पड़ा। लोगों ने अधिकारियों की इस लापरवाही को लेकर गहरा रोष व्यक्त किया और कहा कि इतनी दूर से तीर्थ यात्रा के लिए आए लोगों को मायूस होकर लौटना पड़ा, जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। यह घटना सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में बेहतर समन्वय और प्रबंधन की आवश्यकता को उजागर करती है।
वंचितों को आगे मिलेगी प्राथमिकता
देवस्थान विभाग के सहायक आयुक्त महेंद्र देवतवाल ने उन यात्रियों को आश्वासन दिया है, जो आज यात्रा से वंचित रह गए। उन्होंने कहा कि इन सभी यात्रियों को आगे की यात्राओं में प्राथमिकता के आधार पर शामिल किया जाएगा। विशेष रूप से, 120 अतिरिक्त यात्रियों को 18 दिसंबर को तीर्थ यात्रा के लिए भेजा जाएगा।
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