थिंक 360 की खबर का असर: राजस्थान में अवैध खनन पर शिकंजा: 8000 बंद खानों का होगा सर्वे

राजस्थान में अवैध खनन पर शिकंजा: 8000 बंद खानों का होगा सर्वे
राजस्थान में अवैध खनन पर शिकंजा
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Highlights

  • खान विभाग 8000 बंद खानों का ड्रोन और गूगल इमेज से सर्वे करेगा।
  • सर्वे का उद्देश्य रॉयल्टी में गड़बड़ी और अवैध खनन का पता लगाना है।
  • इस साल 12 हजार करोड़ रुपये के राजस्व का लक्ष्य रखा गया है।
  • सिरोही में बेइंतेहा खनन के मामले के बाद विभाग ने यह कदम उठाया है।

जयपुर: राजस्थान (Rajasthan) में अवैध खनन पर नकेल कसने को खान विभाग (Mines Department) ने अभियान छेड़ा है। 8000 बंद खानों का ड्रोन, गूगल इमेज से सर्वे होगा, जिससे रॉयल्टी, अवैध खनन का पता चलेगा।

यह अभियान सिरोही में 'थिंक 360' द्वारा उठाए गए एक गंभीर मामले के बाद शुरू हुआ है, जहां तीन फर्मों द्वारा बेइंतेहा खनन का खुलासा हुआ था। जोधपुर से आई विशेष टीम की गहन जांच में बड़े पैमाने पर अवैध खनन पाया गया, जिसके बाद संबंधित फर्मों पर करीब 75 करोड़ रुपये की भारी पेनल्टी भी लगाई गई है।

शुरुआत में स्थानीय अधिकारियों द्वारा केवल शिकायत पर ही कार्रवाई करने की बात कही जा रही थी, लेकिन अब खान विभाग ने जयपुर स्तर पर राज्यव्यापी अभियान चलाने का आदेश देकर अवैध खनन के खिलाफ अपनी मजबूत और व्यापक मंशा जाहिर की है।

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राजस्व लक्ष्य और अवैध खनन पर लगाम

खान विभाग को इस वित्तीय वर्ष के लिए 12 हजार करोड़ रुपये का महत्वाकांक्षी राजस्व लक्ष्य मिला है, जो पिछले साल के 9200 करोड़ रुपये के लक्ष्य से लगभग 30% अधिक है। इस बढ़े हुए राजस्व लक्ष्य को प्राप्त करने और राज्य के खजाने में वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए विभाग ने टैक्स चोरी और खनन गतिविधियों में होने वाली अनियमिताओं पर सख्ती से लगाम लगाने का दृढ़ निर्णय लिया है। इसी कड़ी में प्रदेशभर की बंद पड़ी लगभग 8000 खानों का विस्तृत सर्वे किया जाएगा, ताकि किसी भी प्रकार की गड़बड़ी को पकड़ा जा सके।

8000 बंद खानों का व्यापक सर्वे

वर्तमान में प्रदेश में कुल 33 हजार स्थानों पर वैध खनन कार्य चल रहा है। इनमें से 18 हजार खान कैटेगरी में आते हैं, जबकि शेष क्वारी लाइसेंस के तहत संचालित हैं। खान कैटेगरी की 18 हजार खदानों में से केवल 10,060 में ही वास्तविक उत्पादन दर्ज किया जा रहा है। बाकी खदानें या तो पूरी तरह बंद हैं या उनमें शून्य उत्पादन बताया जा रहा है। अब विभाग ने इंजीनियरों के लिए यह अनिवार्य कर दिया है कि वे हर महीने कम से कम 5 से 6 खदानों के उत्पादन के उतार-चढ़ाव का गहन विश्लेषण करें, जिससे किसी भी असामान्य पैटर्न या अनियमितता को तुरंत पहचान कर कार्रवाई की जा सके।

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ड्रोन और गूगल इमेज की मदद से जांच

खान विभाग के पास सभी वैध खदानों के उत्पादन का विस्तृत रिकॉर्ड उपलब्ध है। हालांकि, यह भी तथ्य है कि लगभग 35% खानों में कोई उत्पादन दर्ज नहीं किया जा रहा है। ऐसी स्थिति में, नई और पुरानी गूगल इमेज की तुलना करके तथा खनन क्षेत्रों में ड्रोन उड़ाकर इंजीनियर वैध और अवैध खनन के बीच के अंतर का आसानी से पता लगा सकते हैं। उदाहरण के लिए, 2024 की गूगल इमेज की तुलना 2025 से करके खनन क्षेत्र में हुए नए या पुराने कार्यों और बदलावों को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। ड्रोन के उपयोग से दुर्गम और दूरस्थ क्षेत्रों में भी अवैध खनन की गतिविधियों की समीक्षा करना और रॉयल्टी में हुई गड़बड़ी का पता लगाना बेहद आसान हो जाएगा। यह प्रक्रिया विभाग या तकनीकी विशेषज्ञ लगातार अपनाते हैं और इसके आधार पर उत्पादन या अवैध खनन की गणना आसानी से हो जाती है।

अधिकारियों को जिम्मेदारी और निगरानी

इस महत्वपूर्ण अभियान की पूरी जिम्मेदारी वृत स्तर पर कार्यरत अधीक्षण खनिज अभियंताओं को सौंपी गई है। प्रमुख सचिव माइंस, टी. रविकांत ने इस संबंध में बताया, "अब खानों में खनन उत्पादन और रॉयल्टी ट्रेंड का नियमित रूप से विश्लेषण किया जाएगा, ताकि उत्पादन के उतार-चढ़ाव पर प्रभावी ढंग से निगरानी रखी जा सके।" यह दूरदर्शी कदम अवैध खनन पर अंकुश लगाने, खनन क्षेत्र में पारदर्शिता लाने और अंततः राज्य के राजस्व में उल्लेखनीय वृद्धि सुनिश्चित करने की दिशा में एक मजबूत पहल है।

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